प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY)

इसे 2010 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रारंभ किया गया था। इसके अंतर्गत 50% से अधिक अनुसूचित जाति (एससी) जनसंख्या वाले 1,000 गांवों के एकीकृत विकास का लक्ष्य रखा गया था। 2014-15 में इसे 11 राज्यों के अन्य 1,500 गांवों तक बढ़ाया गया। सरकार का लक्ष्य 2024-25 तक 26,000 से अधिक गांवों को इस योजना के तहत विकसित करना है।

  • आदर्श ग्राम का दर्जा प्राप्त करने के लिए इन गाँवों को विभिन्न महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक अंतराल को कम करना पड़ेगा।
  • प्राथमिक स्तर (I-VIII) पर बच्चों का 100% नामांकन और प्रतिधारण (retention)
  • शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर कम करना गाँव शत-प्रतिशत खुले में शौच मुक्त होने चाहिए।
  • स्थायी आधार पर सभी ग्रामीणों के लिए सुरक्षित पेयजल सुविधा तक पहुँच।
  • बच्चों का पूर्ण टीकाकरण।
  • गांव तक सभी मौसम सड़क संपर्क उपलब्ध होना।
  • गाँव में मृत्यु और जन्म का 100% पंजीकरण।
  • बाल विवाह और बाल श्रम न होना।
  • शराब और अन्य नशीले पदार्थों का कोई सार्वजनिक उपभोग नहीं।
  • सभी पात्र परिवारों को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (पीएमजीएवाई) का 100% आवंटन।
  • योजना के तहत चयनित प्रत्येक नए गांव के लिए कुल 21 लाख रुपये प्रदान किया जायेंगे, जिसमें से 20.00 लाख रुपये ‘गैप-फिलिंग’घटक के लिए आबंटित है। इसमें से 1 लाख रुपये ‘प्रशासनिक व्यय’के लिए है, जो 1:1:1:2 के अनुपात में केंद्र, राज्य, जिला और ग्राम स्तर पर खर्च किया जायेगा।

चुनौतियां

  • सामाजिक और पारंपरिक रूढि़यां, एकीकरण के लिए व्यवहार परिवर्तन, धन का अनुचित उपयोग आदि समाधान-प्रशासन, विशेष रूप से स्थानीय इकाइयों, को बेहतर परिणाम के लिए योजना का ईमानदार कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए।