डे-लाइट हार्वेस्टिंग टेक्नोलॉजी

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और भवन ऊर्जा दक्षता में सुधार करने के लिए नवीनतम 'डे-लाइट हार्वेस्टिंग टेक्नोलॉजी' (Daylight Harvesting Technology) में एक अद्वितीय स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।

महत्वपूर्ण तथ्य: डेलाइट हार्वेस्टिंग टेक्नोलॉजीज के लिए भारत में एकमात्र स्टार्ट-अप कंपनी 'स्काईशेड डेलाइट्स प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद’ ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक सांविधिक निकाय 'प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड' के साथ एक 3 मार्च, 2022 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

  • प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड स्काईशेड कंपनी को 24x7 आधार पर बेसमेंट रोशनी के लिए नई तकनीक विकसित करने के लिए 5 करोड़ रुपए का अनुदान प्रदान करेगा।
  • स्काईशेड स्टार्ट-अप अब दो और नवीन समाधानों के साथ आया है, जिनका नाम 'मानव केंद्रित-जलवायु अनुकूलित गृहमुख' (Human centric-climate adaptive building facades) और 'केंद्रीय एकीकृत डेलाइटिंग सिस्टम' (Central integrated daylighting system) है।
  • ‘डेलाइटिंग’ कमरों के अंदर प्राकृतिक सूर्य का प्रकाश लाने की तकनीक है। डेलाइट हार्वेस्टिंग समकालीन इमारतों के लिए टिकाऊ प्रकाश डिजाइन में उपयोग की जाने वाली सबसे उन्नत तकनीकों में से एक है।
  • प्रस्तावित तकनीक एक इमारत के लिए भारी मात्रा में धूप का उपयोग करती हैं और रोशनी उपलब्ध कराती है, जो विद्युत प्रकाश ऊर्जा खपत को 70-80% तक कम कर देती है।

जीके फ़ैक्ट

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत वर्ष 1996 में प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड का गठन किया गया था। इसका उद्देश्य स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास और व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ आयातित प्रौद्योगिकी को अपनाने की प्रक्रिया को बढ़ावा देना है।

इन्हें भी जानें

वैरिएबल रिफ्रेश रेट्स

  • अबाउट क्रोमबुक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार 'गूगल क्रोम ओएस 101 डेव चैनल' (Chrome OS 101 Dev Channel) अब ‘वैरिएबल रिफ्रेश रेट्स’ (Variable Refresh Rates: VRR) को सपोर्ट करने जा रहा है।
  • यह सुविधा क्रोमबुक्स (Chromebooks) पर गेमिंग अनुभव को बेहतर बना सकती है। 'क्रोमबुक' क्रोम ओएस द्वारा संचालित लैपटॉप और टैबलेट आदि हैं। रिफ्रेश रेट वह संख्या है, जितनी बार कोई डिस्प्ले एक सेकंड में रिफ्रेश करने में सक्षम होता है। इसे हर्ट्ज (Hz) में मापा जाता है। एक 30 हर्ट्ज या 60 हर्ट्ज डिस्प्ले क्रमशः प्रति सेकंड 30 या 60 बार रिफ्रेश कर सकता है। रिफ्रेश रेट जितना अधिक होगा, दृश्यता का अनुभव उतना ही बेहतर होगा। 120 हर्ट्ज से अधिक के डिस्प्ले एक सहज और अधिक आरामदायक दृश्यता का अनुभव प्रदान करते हैं। वीडियो गेम खेलते समय या वीडियो देखते समय यह आवश्यक है। VRR रिफ्रेश रेट की एक विस्तृत शृंखला का समर्थन करता है, जो रिफ्रेश रेट को गेमिंग कंसोल जैसे स्रोत डिवाइस से आने वाले फ्रेम-प्रति-सेकंड (FPS) रेट के आधार पर रियल टाइम में बदलने की अनुमति देता है। VRR को विभिन्न डिवाइस निर्माताओं द्वारा डायनेमिक रिफ्रेश रेट (dynamic refresh rate) या अनुकूली रिफ्रेश रेट के रूप में भी जाना जाता है। VRR को सिंक्रोनाइज मुद्दों के समाधान के लिए डिजाइन किया गया है, जो तब उत्पन्न होते हैं, जब डिस्प्ले की रिफ्रेश रेट स्रोत डिवाइस से कंटेंट (सामग्री) के FPS रेट से मेल नहीं खाती है। रिफ्रेश रेट और FPS को सिंक्रोनाइज नहीं करने पर स्क्रीन-टियरिंग, वोब्लिंग इफेक्ट आदि आम समस्याएं आ जाती हैं।

संसद प्रश्नोत्तर सार

समुद्री उद्योग द्वारा कार्बन उत्सर्जन

  • समुद्री उद्योग (सैन्य अभियानों को छोड़कर) से ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन समग्र परिवहन क्षेत्र के जीएचजी उत्सर्जन में 1 प्रतिशत का योगदान करता है यानी लगभग 2,744.34 Gg CO2e।
  • विभिन्न पहलों और कार्यक्रमों के माध्यम से इसे ईंधन-कुशल, परिवहन का स्वच्छ माध्यम बनाकर उत्सर्जन को कम करने के लिए उपाय किए गए हैं। इनमे एक पहल हरित बन्दरगाह परियोजना है, जिसमें टर्मिनल डिजाइन, विकास और संचालन में स्थायी प्रथाओं का कार्यान्वयन; पर्यावरण प्रबंधन और निगरानी योजना तैयार करना; बंदरगाह के जल में विसर्जकों और अपशिष्टों का विनियमन और स्वच्छ भारत पहल से इसे कम करना और बंदरगाह क्षेत्रों के आसपास बड़े वृक्षारोपण करना आदि शामिल है। दूसरी पहल बंदरगाह गतिविधियों के लिए अक्षय ऊर्जा का उपयोग है, जिसमें सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना, रूफटॉप सोलर, विंड फार्म, फ्लोटिंग सोलर प्लांट आदि शामिल है।

समुद्री संसाधनों का संरक्षण

  • भारत सरकार ने पहले से ही कानून के कार्यान्वयन और निरंतर निगरानी के माध्यम से तटीय और समुद्री संसाधनों, विशेष रूप से आर्द्रभूमि, मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों के संरक्षण और उनके प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए कई पहल की हैं।
  • वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट ऑफ इंडिया (1972) कई समुद्री जानवरों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। भारत में तटीय क्षेत्रों को कवर करने वाले कुल 31 प्रमुख समुद्री संरक्षित क्षेत्र हैं, जिन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अधिसूचित किया गया है। 1993 में गठित 'मैंग्रोव, आर्द्रभूमि और प्रवाल भित्तियों पर राष्ट्रीय समिति समुद्री' प्रजातियों के संबंध में प्रासंगिक नीतियों और कार्यक्रमों पर सरकार को सलाह देती है। तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना (1991 और बाद के संस्करण) संवेदनशील तटीय पारिस्थितिक तंत्र में विकास गतिविधियों और कचरे के निपटान पर रोक लगाते हैं। सेंटर फॉर मरीन लिविंग रिसोर्सेज एंड इकोलॉजी (सीएमएलआरई), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) का एक संलग्न कार्यालय है, जो पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी और मॉडलिंग गतिविधियों के माध्यम से समुद्री जीवन संसाधनों के लिए प्रबंधन रणनीतियों के विकास के लिए जिम्मेदार है। भारत का जैविक विविधता अधिनियम, 2002 और जैविक विविधता नियम 2004, और उसके दिशा-निर्देश सरकार को जैव विविधता के संरक्षण और सुरक्षा, टिकाऊ उपयोग आदि से संबंधित मामलों पर सलाह देते हैं।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी