गोल्डन लंगूर के पर्यावास में भारी गिरावट

वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार गोल्डन लंगूर (वैज्ञानिक नाम- ट्रेचीपिथेकस जीई) (rachypithecus geei) के आवास में भारी गिरावट हुई है।

महत्वपूर्ण तथ्य: गोल्डन लंगूर एक 'संकटग्रस्त' प्राइमेट प्रजाति है, जो भूटान और भारत की सीमा के साथ पाई जाती है।

  • जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) के वैज्ञानिकों ने 'फ्यूचर सिमुलेटेड लैंडस्केप प्रेडिक्ट्स हैबिटाट लॉस फॉर गोल्डन लंगूर: ए रेंज-लेवल एनालिसिस फॉर ए इंडेंजर्ड प्राइमेट' (Future simulated landscape predicts habitat loss for the golden langur: a range-level analysis for an endangered primate) शीर्षक वाले शोधपत्र में यह अध्ययन प्रकाशित किया है।
  • गोल्डन लंगूरों को उनके फर के रंग से आसानी से पहचाना जाता है, और ये भूटान के त्सिरंग, सरपांग, जेमगांग और ट्रोंगसा जिलों के वनों में पाये जाते हैं।
  • भारत में, प्रजातियों की खंडित और पृथक आबादी असम के चिरांग, कोकराझार, धुबरी और बोंगाईगांव जिलों में पाई जाती है।
  • परिणामों के अनुसार 66,320 वर्ग किमी की कुल रेंज सीमा में से केवल 12,265 वर्ग किमी (18.49%) ही वर्तमान में गोल्डन लंगूर प्रजातियों के लिए उपयुक्त है।
  • गोल्डन लंगूर की पर्यावास रेंज वर्ष 2031 तक घटकर 8,884 वर्ग किमी तक हो सकती है।

संरक्षण की स्थिति: 2003 में, इसे IUCN रेड लिस्ट द्वारा 'संकटग्रस्त' प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। इसे CITES परिशिष्ट I के रूप में भी सूचीबद्ध किया गया था।

जीके फ़ैक्ट

  • असम स्थित चक्रशिला भारत का पहला वन्यजीव अभयारण्य है, जिसमें प्राथमिक प्रजाति के रूप में गोल्डन लंगूर है। चक्रशिला में लगभग 600 गोल्डन लंगूर हैं, जिनकी आबादी पश्चिमी असम और भूटान की तलहटी में फैली हुई है।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी