उल्लू प्रजाति संरक्षण

उल्लुओं को होने वाले सामान्य खतरों को उजागर करने और उल्लुओं की प्रभावी पहचान के लिए ' ट्रैफिक' (TRAFFIC) और 'डब्ल्यूडब्ल्यूएफ - इंडिया' (WWF - India) ने हाल में एक पहचान उपकरण लॉन्च किया है।

महत्वपूर्ण तथ्य: कानून प्रवर्तन अधिकारियों को देश में अवैध व्यापार में आम तौर पर पाई जाने वाली 16 उल्लू प्रजातियों की सही पहचान करने में सक्षम बनाने के लिए पहचान (आईडी) कार्ड जारी किए गए हैं।

  • अंग्रेजी और हिंदी में ये आईडी कार्ड पूरे भारत में वन्यजीव कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मुफ्त में वितरित किए जाएंगे।
  • नए आईडी टूल इनकी प्रजातियों की कानूनी स्थिति, आवास और वितरण से संबंधित आवश्यक जानकारी प्रदान करते हैं।
  • वे प्रजातियों के स्तर पर उल्लुओं की पहचान करने और सामान्य खतरों को उजागर करने के लिए कीमती सुझाव भी प्रदान करते हैं।

भारत में उल्लू की प्रजातियाँ: भारत में उल्लू की लगभग 36 प्रजातियाँ हैं, जो सभी वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित हैं।

  • हालाँकि, प्रजातियों के वर्गीकरण के आधार पर गणना की बहुत कम जानकारी उपलब्ध है, जिससे ये प्रजातियाँ अतिसंवेदनशील (vulnerable) हो जातीहैं।

संरक्षण: वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के अनुसार उल्लूओं का शिकार करना, व्यापार करना या किसी अन्य प्रकार का उपयोग एक दंडनीय अपराध है; भारत में पाई जाने वाली सभी उल्लू प्रजातियों को CITES के तहत भी सूचीबद्ध किया गया है, जो इनके अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रतिबंधित करता है।

जीके फ़ैक्ट

  • ट्रैफिक (TRAFFIC) की स्थापना 1976 में WWF और IUCN द्वारा वन्यजीव व्यापार निगरानी नेटवर्क के रूप में की गई थी।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी