विविध

बाघों के बेहतर संरक्षण के लिए वैश्विक CA | TS मान्यता

भारत के 14 बाघ अभयारण्यों (tiger reserve) को बाघों के बेहतर संरक्षण के लिए वैश्विक ‘कंजर्वेशन एश्योर्ड द्य टाइगर स्टैंडर्ड्स’ (Conservation Assured | Tiger Standards (CA | TS) की मान्यता मिली है।

  • जिन 14 बाघ अभयारण्यों को मान्यता दी गई है, उनमें असम के मानस, काजीरंगा और ओरंग; मध्य प्रदेश के सतपुड़ा, कान्हा और पन्ना; महाराष्ट्र के पेंच; बिहार का वाल्मीकि टाइगर रिजर्व; उत्तर प्रदेश का दुधवा; पश्चिम बंगाल का सुंदरबन; केरल का परम्बिकुलम; कर्नाटक का बांदीपुर टाइगर रिजर्व और तमिलनाडु के मुदुमलाई और अनामलाई टाइगर रिजर्व शामिल हैं।

CA | TS: इसे टाइगर रेंज देशों (TRCs) के वैश्विक गठबंधन द्वारा मान्यता संबंधी उपकरण के रूप में स्वीकार किया गया है और इसे बाघ और संरक्षित क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा विकसित किया गया है।

  • आधिकारिक तौर पर 2013 में लॉन्च किया गया CA | TS लक्षित प्रजातियों के प्रभावी प्रबंधन के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करता है और प्रासंगिक संरक्षण क्षेत्रों में इन मानकों के मूल्यांकन को प्रोत्साहित करता है।
  • CA | TS मानदंड का एक सेट है, जो बाघ से जुड़े स्थलों को यह जांचने का अवसर देता है कि क्या उनके प्रबंधन से बाघों का सफल संरक्षण संभव होगा।

ब्रायम भारतीएंसिस

पंजाब के केंद्रीय विश्वविद्यालय के भारतीय ध्रुवीय जीवविज्ञानियों ने अंटार्कटिका में लारसेमैन हिल्स (Larsemann Hills) में ‘काई’ (Moss) की एक देशी प्रजाति की खोज की है।

  • भारत और भारतीय अंटार्कटिक स्टेशन ‘भारती’ के नाम पर इस प्रजाति का नाम ‘ब्रायम भारतीएंसिस’ (Bryum bharatiensis) रखा गया है।
  • 1981 में शुरू हुए भारतीय अंटार्कटिक मिशन के चार दशकों में पहली बार किसी पादप प्रजाति की खोज की गई है।

जीके फ़ैक्ट

  • तीसरे भारतीय अभियान (1983-84) के दौरान अंटार्कटिका में दक्षिण गंगोत्री नाम का पहला स्थायी अनुसंधान आधारित भारतीय स्टेशन स्थापित किया गया था, लेकिन बर्फ की चादर में डूबे हुए स्टेशन को 1990 में त्याग दिया गया। मैत्री स्टेशन 1989 में जबकि भारती स्टेशन 2012 में चालू किया गया था। ये दोनों वर्तमान में चालू हैं।

पूर्वोत्तर अंतरिक्ष उपयोग केंद्र

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 24 जुलाई, 2021 को ‘पूर्वोत्तर अंतरिक्ष उपयोग केंद्र’ ( North Eastern Space Applications Centre- NESAC) के ‘बहुउद्देश्यीय कन्वेंशन सेंटर सह अंतरिक्ष प्रदर्शनी सुविधा’ का शिलान्यास किया।

  • NESAC, अंतरिक्ष विभाग और पूर्वोत्तर परिषद की एक संयुक्त पहल है, जो मेघालय सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1983 के तहत पंजीकृत एक सोसायटी है।
  • 5 सितंबर, 2000 को अस्तित्व में आया यह केंद्र ‘उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी’ सहायता प्रदान करके क्षेत्र में विकास प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद करता है।
  • NESAC मेघालय की राजधानी शिलांग से लगभग 20 किमी. दूर उमियम (बारापानी) में स्थित है।
  • NESAC का उद्देश्य रिमोट सेंसिंग का उपयोग करके क्षेत्र में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों की खोज और उपयोग करना, पूर्वोत्तर राज्यों को उपग्रह सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना और शैक्षणिक संस्थानों के साथ गठजोड़ करके क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अनुसंधान को बढ़ावा देना है।

जीके फ़ैक्ट

  • NESAC सोसायटी के अध्यक्ष केंद्रीय गृह मंत्री (पूर्वोत्तर परिषद के पदेन अध्यक्ष) अमित शाह हैं।

एनिमेशन, दृश्य प्रभाव, गेमिंग और कॉमिक्स के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा 26 जुलाई, 2021 को राज्य सभा में दी गई जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने भारतीय और साथ ही वैश्विक उद्योग के लिए भारत में एक विश्व स्तरीय प्रतिभा पूल तैयार करने के लिए ‘एनिमेशन, दृश्य प्रभाव, गेमिंग और कॉमिक्स के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र’ (National Centre of Excellence for Animation, Visual effects, Gaming and Comics) स्थापित करने का निर्णय लिया है।

  • इसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे के सहयोग से स्थापित किया जाएगा।
  • एनिमेशन और दृश्य प्रभाव (VFX) क्षेत्र में कुशल श्रमशक्ति का समर्थन करने के लिए, ‘सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान’ और ‘भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान’ एनिमेशन और VFX पर पाठ्यक्रम संचालित करते हैं।

राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन

केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा 26 जुलाई, 2021 को लोक सभा में दी गई जानकारी के अनुसार सरकार ने देश में अनुसंधान परितंत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए एक ‘राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन’ (National Research Foundation - NRF) के गठन का प्रस्ताव किया है।

  • NRF की परिकल्पना एक व्यापक संरचना के रूप में की जा रही है, जो अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा क्षेत्र तथा उद्योग के बीच संपर्कों में सुधार लाएगी।
  • राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का प्रस्तावित कुल परिव्यय पांच वर्ष के अवधि के दौरान 50,000 करोड रुपये है।
  • NRF के मुख्य उद्देश्यों में शैक्षणिक संस्थानों, विशेष रूप से विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों, जहां अनुसंधान क्षमता वर्तमान में आरंभिक चरण में है, में अनुसंधान को बढ़ावा देना, विकसित करना तथा सुविधा प्रदान करना है।

नई पीढ़ी की आकाश मिसाइल ‘आकाश-एनजी’

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 21 जुलाई, 2021 को ओडिशा के तट के करीब एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से सतह से हवा में मार करने वाली नई पीढ़ी की आकाश मिसाइल ‘आकाश-एनजी’ (Akash-NG) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

  • मिसाइल प्रणाली को रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला, हैदराबाद द्वारा अन्य (DRDO) प्रयोगशालाओं के सहयोग से विकसित किया गया है।
  • सरकार ने आकाश-एनजी विकसित करने के लिए सितम्बर 2016 में मंजूरी दी थी।

विशेषताएं: हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए उच्च स्तरीय गतिशीलता; भारतीय वायु सेना की हवाई सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ावा।

अमेजन इंडिया ‘डिजिटल केंद्र’

अमेजन इंडिया ने 8 जुलाई, 2021 को गुजरात के सूरत में अपना पहला ‘डिजिटल केंद्र’ लॉन्च किया, जो कंपनी द्वारा 2025 तक भारत के एक करोड़ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को डिजिटल बनाने की पहल का हिस्सा है।

  • अमेजन डिजिटल केंद्र एमएसएमई को ई-कॉमर्स के लाभों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे और शिपिंग और लॉजिस्टिक सहायता जैसी तृतीय-पक्ष सेवाओं का लाभ उठाने में मदद करेंगे।
  • जनवरी 2020 में, अमेजन के पूर्व सीईओ जेफ बेजोस ने छोटे और मध्यम व्यवसायों को ऑनलाइन करने में मदद करने के लिए भारत में 1 बिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की थी।

WHO-GMP/CoPP प्रमाणन

आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत उत्तराखंड के मोहान, अल्मोड़ा में स्थित ‘इंडियन मेडिसिन्स फार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IMPCL) ने 18 आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए 'WHO-GMP/COPP प्रमाणीकरण’ के लिए आवेदन किया है।

GMP प्रमाणनः दवा कंपनियों को दवाएं बेचने में सक्षम होने के लिए अधिकांश वैश्विक बाजारों में WHO की ‘अच्छी विनिर्माण पद्धतियां प्रमाणन’ [Good Manfuacturing Practices (GMP) certificate] अनिवार्य है।

  • एक निर्यातक देश के विनिर्माता को उस देश के नियामक प्राधिकरण द्वारा लाइसेंस प्राप्त होना चाहिए और WHO GMP दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए।

CoPP प्रमाणनः ‘फार्मास्युटिकल उत्पादों का प्रमाणन’ (Certificates of Pharmaceutical Products- CoPP), जो डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित प्रारूप में है, निर्यातक देश में दवा उत्पाद और ‘प्रमाणपत्र आवेदक’ की स्थिति को स्पष्ट करता है।

मैन पोर्टेबल एंटीटैंक गाइडेड मिसाइल

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 21 जुलाई, 2021 को स्वदेशी रूप से विकसित कम वजन वाली, ‘दागो और भूल जाओ’ ‘मैन पोर्टेबल एंटीटैंक गाइडेड मिसाइल’ (Man-Portable Anti-Tank Guided Missile) का सफल परीक्षण किया।

  • मिसाइल में उन्नत एवियोनिक्स के साथ अत्याधुनिक ‘मिनीएचराइज्ड इन्फ्रारेड इमेजिंग सीकर’ (Miniaturized Infrared Imaging Seeker) को शामिल किया गया है।
  • मानव-पोर्टेबल मिसाइल को एक ट्राईपॉड का उपयोग करके लॉन्च की गई, जिसे 15 किग्रा. से कम के लॉन्च वजन के साथ अधिकतम 2-5 किमी की दूरी के लिए डिजाइन किया गया है।
  • इस परीक्षण के बाद देश स्वदेशी तीसरी पीढ़ी के मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल निर्मित करने के अंतिम चरण में पहुंच गया है।

ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रियों की घोषणा

भारत की अध्यक्षता में 15 जुलाई, 2021 को 7वीं ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रियों की बैठक में ‘ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रियों की घोषणा’ को अपनाया गया।

  • मंत्रिस्तरीय घोषणा में बेरोजगारी, सम्माननीय कार्य की कमी और असमानता को दूर करने के प्रयासों पर कोविड-19 महामारी के नकारात्मक प्रभाव को स्वीकार किया गया।
  • ब्रिक्स राष्ट्रों के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौतों को बढ़ावा देना; श्रम बाजारों का औपचारिककरण; श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी; और श्रम बाजार में रोज कमाने वाले तथा अस्थायी श्रमिकों की भूमिका को बढ़ाने की प्रतिबद्धता की गई।

आलू का झुलसा रोग

जुलाई 2021में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मंडी के शोधकर्ताओं ने शिमला में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित समाधान विकसित किया है, जो आलू के पत्तों की तस्वीरों की जांच करके ‘आलू के झुलसा’ रोग का पता लगा सकता है।

  • झुलसा आलू की फसल का एक सामान्य रोग है, जो पत्ती के सिरे और किनारों के पास असमान हल्के हरे रंग के रूप में क्षति शुरू करता है और फिर बड़े भूरे से बैंगनी-काले धब्बों के रूप में फैल जाता है, जो अंततः पौधे की सड़न की ओर ले जाता है।
  • यदि इसका पता नहीं चला और अनियंत्रित छोड़ दिया गया, तो अनुकूल परिस्थितियों में झुलसा एक सप्ताह के भीतर पूरी फसल को नष्ट कर सकता है।

जीके फ़ैक्ट

  • आईसीएआर-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI) की स्थापना अगस्त 1949 में पटना में हुई थी। आलू के प्रजनन में संकरण कार्य को सुविधाजनक बनाने और आलू के बीज स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए संस्थान को बाद में 1956 में शिमला, हिमाचल प्रदेश में स्थानांतरित कर दिया गया।

इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एंड कन्वेंशन सेंटर-‘रुद्राक्ष’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 जुलाई, 2021 को वाराणसी में जापान की सहायता से निर्मित इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एंड कन्वेंशन सेंटर- ‘रुद्राक्ष’ (International Cooperation and Convention Centre - 'Rudraksh') का उद्घाटन किया।

  • वाराणसी के सिगरा क्षेत्र में लगभग 186 करोड़ रुपये की लागत से 2-87 हेक्टेयर भूमि में निर्मित इस दो मंजिला सम्मेलन केंद्र में 1200 लोगों की बैठने की क्षमता है।
  • इसमें एल्यूमीनियम के 108 बड़े ‘पंचमुखी रुद्राक्ष’ स्थापित किए गए हैं। भवन की छत का निर्माण शिव लिंग के आकार में किया गया है। इसमें गैलरी वाराणसी की विशिष्ट संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करती है, जिसमें भित्ति चित्र इसकी कला और संगीत को दर्शाते हैं।
  • इसका निर्माण जापानी अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) की सहायता से पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए किया गया है और यह ‘एकीकृत आवास मूल्यांकन के लिए ग्रीन रेटिंग’ (GRIHA) के स्तर 3 के लिए उपयुक्त होगा।

प्रधानमंत्री द्वारा वाराणसी में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 जुलाई, 2021 को वाराणसी में 1500 करोड़ रुपये से अधिक लागत की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

  • उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में 100 बेड की मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य शाखा, गोदौलिया में मल्टीलेवल पार्किंग, गंगा नदी में पर्यटन विकास के लिए रो-रो जहाज और वाराणसी गाजीपुर राजमार्ग पर थ्री लेन फ्रलाईओवर ब्रिज सहित लगभग 744 करोड़ रुपये की विभिन्न सार्वजनिक परियोजनाओं और कार्यों का उद्घाटन किया।
  • लगभग 839 करोड़ रुपये की लागत की कई परियोजनाओं और सार्वजनिक कार्यों की आधारशिला भी रखी गई। इनमें सेंट्रल इंस्टीटड्ढूट ऑफ पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPET) का कौशल और तकनीकी सहायता के लिए एक केंद्र, जल जीवन मिशन के तहत 143 ग्रामीण परियोजनाएं और कारिखयांव में आम एवं सब्जी के लिए एकीकृत पैक हाउस शामिल हैं।

जीके फ़ैक्ट

  • पहला CIPET परिसर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की सहायता से भारत सरकार द्वारा 1968 में चेन्नई में स्थापित किया गया था।

रक्षा प्रौद्योगिकी में एम-टेक- कार्यक्रम

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और अखिल भारतीयत कनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) द्वारा 8 जुलाई, 2021 को रक्षा प्रौद्योगिकी में नियमित मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (एम. टेक.) कार्यक्रम शुरू किया गया है।

उद्देश्यः विभिन्न रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में आवश्यक सैद्धांतिक और प्रायोगिक ज्ञान, कौशल और अभिक्षमता प्रदान करना।

  • यह एम. टेक. रक्षा प्रौद्योगिकी कार्यक्रम किसी भी AICTE से संबद्ध संस्थानों / विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी या निजी इंजीनियरिंग संस्थानों में संचालित किया जा सकता है।
  • रक्षा वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद संस्थान (Institute of Defence Scientists – Technologists- IDST) इस कार्यक्रम के संचालन के लिए संस्थानों को सहायता प्रदान करेगा, जिसे ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन प्रारूप में भी संचालित किया जा सकता है।
  • इस कार्यक्रम में छः विशेष स्ट्रीम (streams) हैं - युद्धक प्रौद्योगिकी (Combat Technology), एयरो टेक्नोलॉजी, नौसेना प्रौद्योगिकी, संचार प्रणाली और सेंसर, निर्देशित ऊर्जा प्रौद्योगिकी (Directed Energy Technology) और उच्च ऊर्जा सामग्री प्रौद्योगिकी (High Energy Materials Technology)।

नारकोटिक्स और नशीले पदार्थों के अनुसंधान और विश्लेषण हेतु उत्कृष्टता केंद्र

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 12 जुलाई, 2021 को अहमदाबाद में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के ‘नारकोटिक्स और नशीले पदार्थों के अनुसंधान और विश्लेषण हेतु उत्कृष्टता केंद्र’ (Center of Excellence for Research & Analysis of Narcotics and Psychotropic Substances) का उद्घाटन किया।

  • नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल में दुनियाभर में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की उत्कृष्टता और प्रतिष्ठा को देखते हुए इस केंद्र को स्थापित करने का निर्णय लिया गया।
  • देश के 7 राज्यों ने अपने यहाँ राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गुजरात के कॉलेज और उत्कृष्टता केंद्र खोलने की इच्छा जताई है।
  • इस केंद्र में स्थापित ‘साइबर रक्षा केंद्र’ और ‘बैलिस्टिक अनुसंधान केंद्र’ पूरे एशिया में अनूठे हैं और देश इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की ओर अग्रसर है।

स्टार्टअप इंडिया शोकेस प्लेटफॉर्म

विभिन्न क्षेत्रों के 104 स्टार्टअप वर्तमान में ‘स्टार्टअप इंडिया शोकेस प्लेटफॉर्म’ (Startup India Showcase Platform) पर हैं।

  • स्टार्टअप इंडिया शोकेस देश के सबसे होनहार स्टार्टअप्स के लिए एक ऑनलाइन डिस्कवरी प्लेटफॉर्म है।
  • ये नवाचार विभिन्न अत्याधुनिक क्षेत्रों जैसे फिनटेक (वित्त प्रौद्योगिकी), एंटरप्राइजटेक (उद्यम प्रौद्योगिकी), सोशल इम्पैक्ट, हेल्थटेक, एडटेक आदि में फैले हुए हैं। इकोसिस्टम के हितधारकों ने इन स्टार्टअप्स का मूल्यांकन, समर्थन और संवारने का काम किया है।

मकरू पुल

  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 12 जुलाई, 2021 को मणिपुर में 16 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। परियोजनाओं में तामेंगलोंग जिले में मकरू नदी पर 45 करोड़ रुपये का आरसीसी पुल शामिल है।
  • मकरू पुल राज्य की राजधानी इम्फाल से 189 किमी दूर स्थित है। यह 222 किमी. के इम्फाल-जिरीबाम राजमार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग 37) के प्रमुख पुलों में से एक है।
  • यह असम और मणिपुर तथा मणिपुर के अंदर के अन्य महत्वपूर्ण स्थानों के बीच संपर्क में सुधार करेगा।

मदुरै मल्ली

8 जुलाई, 2021 को तमिलनाडु से जीआई (भौगोलिक संकेतक) प्रमाणित ‘मदुरै मल्ली’ (Madurai malli) और अन्य पारंपरिक फूलों जैसे बटन गुलाब (button rose), लिली, चमंथी और गेंदा की खेप संयुक्त राज्य अमेरिका और दुबई को निर्यात की गई।

  • इस पहल से दुबई और संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय समुदाय नियमित अंतराल पर भारत से फूलों का निर्यात जारी रहने के बाद धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहारों को मनाते हुए घर और मंदिरों दोनों में हिंदू देवताओं को ताजे फूल चढ़ा सकेंगे।
  • मदुरै मल्ली यानी चमेली (Jasminum officinale) दुनिया के सबसे लोकप्रिय फूलों में से एक है, जो अपनी मनमोहक खुशबू के लिए जाना जाता है। इसे मदुरै मल्ली का नाम इसके मूल स्थान, तमिलनाडु के मदुरै शहर से मिला है। मदुरै मल्ली (चमेली) की खुशबू मीनाक्षी मंदिर के वैभव का पर्याय है।

जीके फ़ैक्ट

  • मदुरै अपने पड़ोस में उगाई जाने वाली ‘मल्लिगाई’ के लिए एक प्रमुख बाजार के रूप में उभरा है और इस प्रकार भारत की ‘चमेली राजधानी’ के रूप में विकसित हुआ है।

सेला सुरंग

22 जुलाई, 2021 को सीमा सड़क के महानिदेशक (DGBR) लेफ्रिटनेंट जनरल राजीव चौधरी द्वारा नई दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से निर्माणाधीन ‘सेला सुरंग’ (Sela Tunnel) के एस्केप टड्ढूब का अंतिम विस्फोट किया गया।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 फरवरी, 2019 को ‘बालीपारा- चारदुआर- तवांग रोड’ (Balipara-Charduar-Tawang Road) के माध्यम से तवांग, अरुणाचल प्रदेश को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए सेला सुरंग की आधारशिला रखी थी।
  • नवीनतम ‘न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड’ (New Austrian Tunneling Method- NATM) से निर्मित सेला सुरंग 13,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी बाइ-लेन सड़क सुरंग (bi-lane road tunnel) होगी।

प्रौद्योगिकी नवाचार मंच

केंद्रीय भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय ने 2 जुलाई, 2021 को छः प्रौद्योगिकी नवाचार मंचों (Technology innovation platforms) का उद्घाटन किया।

  • छः प्रौद्योगिकी मंचों का विकास आईआईटी मद्रास, सेंट्रल मैन्युफैक्चरिंग टैक्नोलॉजी इंस्टीटयूट, इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी), ऑटोमोटिव रिसर्च असोसिएशन ऑफ इंडिया, भेल और आईआईएससी बैंगलुरू के साथ एचएमटी ने किया है। यह मंच भारत में विश्वस्तरीय प्रतियोगी विनिर्माण के लिए प्रौद्योगिकी के विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
  • यह मंच उद्योग, स्टार्टअप, डोमेन विशेषज्ञ/पेशेवरों, अनुसंधान और विकास संस्थानों और शिक्षाविदों (कॉलेज और विश्वविद्यालयों) को विनिर्माण तकनीकी के मुद्दों पर तकनीकी समाधान, सुझाव, विशेषज्ञों की राय आदि सुविधा प्रदान करेंगे।

मिश्री किस्म की चेरी

6 जुलाई, 2021 को कश्मीर घाटी से मिश्री किस्म की स्वादिष्ट चेरी का पहला वाणिज्यिक लदान (commercial shipment) श्रीनगर से दुबई के लिए निर्यात किया गया है।

महत्वपूर्ण तथ्यः मिश्री किस्म की यह चेरी न केवल स्वादिष्ट होती है बल्कि इसमें स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ विटामिन, खनिज और वनस्पति यौगिक भी भरपूर मात्रा में होते हैं।

  • केंद्र-शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में देश की वाणिज्यिक किस्मों की चेरी के कुल उत्पादन का 95% से अधिक उत्पादन होता है। यहां चेरी की चार किस्मों-डबल (Double), मखमली (Mkahmali), मिश्री (Mishri) और इटली (Italy) का मुख्य रूप से उत्पादन होता है।
  • एपीडा-राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र, पुणे स्थित एक राष्ट्रीय रेफरल प्रयोगशाला है, जिसने लदान में खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सहायता प्रदान की है।

एडेलगिव हुरून सदी के परोपकारियों की सूची

23 जून, 2021 को हुरून रिसर्च (Hurun Research) और ‘एडेलगिव फाउंडेशन’ (EdelGive Foundation) ने सदी के परोपकारियों की सूची (Philanthropists of the Century) जारी की। यह रैंकिंग पहली बार जारी हुई है।

  • यह पिछली सदी के विश्व के 50 सबसे उदार व्यक्तियों की रैंकिंग है।
  • 102.4 बिलियन डॉलर के दान के साथ, भारत के अग्रणी उद्योगपति और टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा पिछली सदी के दुनिया के सबसे बड़े परोपकारी व्यक्ति हैं।
  • बिल और मेलिंडा गेट्स, 74.6 बिलियन डॉलर के दान के साथ सदी की परोपकारी लोगों की सूची में दूसरे स्थान पर हैं।
  • हेनरी वेलकम (56.7 बिलियन डॉलर) तीसरे, होवार्ड हगीज (38.6 बिलियन डॉलर) चौथे तथा वारेन बफेट (37. 4 बिलियन डॉलर) पांचवें स्थान पर हैं।
  • विप्रो के संस्थापक-अध्यक्ष अजीम प्रेमजी, जिन्होंने नेक कार्यों के लिए लगभग 22 बिलियन डॉलर दान किए, 12वें स्थान पर रहे। वे 50 वैश्विक परोपकारी लोगों की सूची में एकमात्र अन्य भारतीय हैं।
  • इन परोपकारियों को उनके कुल परोपकारी मूल्य के आधार पर रैंक किया गया हैॉ जिसकी गणना आज की संपत्ति के मूल्य के साथ-साथ उपहार या वितरण के योग के रूप में की जाती है।
  • पिछली शताब्दी में दुनिया के सबसे परोपकारी व्यक्तियों का कुल दान 832 बिलियन डॉलर था, जिसमें से 503 बिलियन डॉलर फाउंडेशन के दान से और 329 बिलियन डॉलर दान से थे।
  • 38 अरबपति परोपकारियों के साथ अमेरिका सूची में शीर्ष पर है, इसके बाद ब्रिटेन से पांच, चीन से तीन, भारत से दो और पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड से एक-एक परोपकारी हैं।

जीके फ़ैक्ट

  • वॉरेन बफेट, जिन्हें ‘द ऑरेकल ऑफ ओमाहा’ (The Oracle of Omaha) के नाम से जाना जाता है, महत्वपूर्ण परोपकारी फाउंडेशन के बिना शीर्ष 10 में शामिल होने वाले एक एकमात्र व्यक्ति हैं।