सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया PCA फ्रेमवर्क से बाहर

20 सितंबर, 2022 को रिजर्व बैंक ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क (Prompt Corrective Action Framework–PCAF) के दायरे से बाहर कर दिया गया है।

  • सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया देश का एकमात्र सरकारी बैंक है, जो पिछले 5 वर्षों से PCA के दायरे में था। इसे खराब वित्तीय प्रदर्शन की वजह से जून 2017 में पीसीए फ्रेमवर्क के तहत लाया गया था।
  • उस समय बैंक के नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPAs) में अधिक वृद्धि हो गई थी, जबकि रिटर्न ऑन एसेट्स (ROA) बेहद कम थे। कुछ समय पहले से बैंक के कामकाज में लगातार सुधार देखने को मिला, जिसके बाद आरबीआई PCA से बाहर कर दिया गया है।
  • जून 2022 में खत्म तिमाही के दौरान सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के नेट प्रॉफिट में 14.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी। जून तिमाही में बैंक का नेट प्रॉफिट 234.78 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह 205.58 करोड़ रुपये रहा था।
  • बैंकों को पीसीए के दायरे में तब शामिल किया जाता है। जब वे खराब वित्तीय प्रदर्शन की वजह से रिटर्न ऑन एसेट, मिनिमम कैपिटल और एनपीए से जुड़े रेगुलेटरी पैरामीटर्स को पूरा नहीं कर पाते।
  • पीसीए के दायरे में रखे गए बैंकों को डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन, नई ब्रांच खोलने और मैनेजमेंट को मिलने वाले वेतन भत्तों के मामले में कई पाबंदियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे बैंकों के प्रमोटर्स को अपना पूंजी निवेश बढ़ाने के लिए भी कहा जा सकता है।

प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क

  • प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क RBI का एक Framework है। RBI PCA के जरिये बैंकों की वित्तीय सेहत के पैमानें तय करता है। अगर कोई बैंक किसी बड़े वित्तीय संकट में है। तब उन बैंकों पर RBI का PCA Framework लागू हो जाता हैं। जिसमें बैंक पर तरह के प्रतिबन्ध लगा दिए जातें हैं। Prompt Corrective Action (PCA, Framework) भारत में 2002 से लागू है।

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