भारत में निजीकरण की नवीन प्रवृत्ति एवं उसके आर्थिक प्रभाव
ऋषभ गुप्ता
निजीकरण की नवीन प्रवृत्ति के बहुआयामी प्रभाव हो सकते हैं परंतु इसका मुख्य प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। यह भारत सरकार द्वारा निर्धारित 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य में सहायक हो सकता है, साथ ही इसके परिणामस्वरूप भारत सरकार अपने राजकोषीय लक्ष्य को प्राप्त कर सकती है। परंतु इससे संबंधित कुछ चिंताएं भी हैं। यदि इन चिंताओं को ध्यान में रखकर सरकार उचित विनिवेश की नीति अपनाए, तो निजीकरण की यह नवीन प्रवृत्ति भारत की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर सकती है।
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