भारत का विकासमान श्रम पारितंत्र सामाजिक सुरक्षा परिप्रेक्ष्य - नूपुर जोशी

भारत की श्रम शक्ति केवल एक आँकड़ा नहीं, बल्कि राष्ट्र की वृद्धि और गरिमा की प्रेरक शक्ति है। कारखानों से खेतों तक, गिग प्लेटफ़ॉर्म से डिजिटल कार्यस्थलों तक, यह गतिशील राष्ट्र की विविध और सशक्त तस्वीर पेश करती है। फिर भी, कार्य के बदलते स्वरूप और असंगठित श्रम सुरक्षा ढाँचे ने निरंतर चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं। आर्थिक परिवर्तन के इस नए दौर में 29 श्रम कानूनों का 4 श्रम संहिताओं में एकीकरण अंत नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है, जो न्यायपूर्ण, सुरक्षित एवं भविष्य उन्मुख श्रम पारितंत्र का मार्ग प्रशस्त करेगा।

भारत का श्रम परिदृश्य तीव्र गति ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री