चर्चित व्यक्ति

कल्पना कोचर

प्रसिद्ध भारतीय अर्थशास्त्री एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष- आईएमएफ (IMF) के मानव संसाधन विभाग की प्रमुख कल्पना कोचर, तीन दशकों से अधिक समय तक आईएमएफ में विभिन्न वरिष्ठ पदों पर कार्य करने के बाद, 30 जुलाई, 2021 को सेवानिवृत्त हो रही हैं।

  • कोचर बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन में बतौर ‘विकास नीति और वित्त निदेशक’ (Director of Development Policy and Finance) के रूप में जुड़ने के लिए IMF से सेवानिवृत्त हो रही हैं।
  • कोचर ने आईएमएफ में 1988 में एक अर्थशास्त्री के रूप में शुरुआत की। वर्षों से, उन्होंने श्रीलंका और फिलीपींस पर डेस्क अर्थशास्त्री (desk economist) पदों के साथ एशियाई क्षेत्रीय मामलों में अपनी विशेषज्ञता हासिल की और 1990 के दशक के उत्तरार्ध में एशियाई वित्तीय संकट के दौरान कोरिया और मलेशिया में अग्रणी रूप से काम किया।

इब्राहिम रायसी

जून 2021 में इब्राहिम रायसी ईरान के 8वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं।

  • वे अगस्त 2021 में पदभार ग्रहण करेंगे। वे राष्ट्रपति के रूप में हसन रूहानी की जगह लेंगे।
  • इब्राहिम रायसी को एक रूढ़िवादी नेता माना जाता है। वे वर्तमान में ईरान के मुख्य न्यायधीश भी हैं।
  • इब्राहिम रायसी का जन्म 14 दिसम्बर, 1960 को ईरान के मशाद में हुआ था। 1980 में मात्र 20 वर्ष की आयु में करज के महा-अभियोजक (Prosecutor General) बनने पर उन्होंने ख्याति हासिल की थी।
  • बाद में वे 2004 से 2014 तक ईरान के पहले उप-मुख्य न्यायधीश रहे। इसके बाद 2014 से 2016 तक वे ईरान के महा-अभियोजक भी रहे। 2019 से वे ईरान के मुख्य न्यायधीश के रूप में कार्य कर रहे हैं।

राम प्रसाद बिस्मिल

आजादी का अमृत महोत्सव के भाग के रूप में, संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी शहीद राम प्रसाद बिस्मिल की जयंती को मनाने के लिए 11 जून, 2021 को उनके जन्म स्थान, शाहजहांपुर में विशेष समारोह का आयोजन किया गया।

  • शाहजहांपुर में 11 जून, 1897 को जन्मे पंडित राम प्रसाद बिस्मिल उन जाने-माने भारतीय आंदोलनकारियों में से एक थे, जिन्होंने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध लड़ाई लड़ी।
  • उन्होंने 19 वर्ष की आयु से ‘बिस्मिल’ उपनाम से उर्दू और हिन्दी में देशभक्ति की सशक्त कविताएं लिखनी आरंभ कर दी थी।
  • उन्होंने भगत सिंह और चन्द्रशेखर आजाद जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के साथ ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ का गठन किया और 1918 के ‘मैनपुरी षडयंत्र’ और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रदर्शन करने के लिए अशफाक उल्लाह खान तथा रोशन सिंह के साथ 1925 के ‘काकोरी कांड’ में भाग लिया था।
  • काकोरी कांड में उनका हाथ होने के कारण उन्हें मात्र 30 वर्ष की आयु में 19 दिसम्बर, 1927 को गोरखपुर जेल में फांसी दे दी गई।
  • जब वे जेल में थे तब उन्होंने ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ और ‘सरफरोशी की तमन्ना’ लिखे, जो स्वतंत्रता सेनानियों का गान बन गए थे।