कुरील द्वीप विवाद
22 अप्रैल, 2022 को जापान की नई डिप्लोमैटिक ब्लूबुक ने कुरील द्वीप समूह को रूस के "अवैध कब्जे" के रूप में वर्णित किया है।
महत्वपूर्ण तथ्य: इस विवादास्पद द्वीप समूह को जापान 'उत्तरी क्षेत्र' (Northern Territories) और रूस 'दक्षिण कुरील' (South Kurils) कहता है।
कुरील द्वीप समूह/उत्तरी क्षेत्र क्या हैं? ये चार द्वीपों का एक समूह है, जो जापान के सबसे उत्तरी प्रान्त, होकैडो (Hokkaido) के उत्तर में ओखोटस्क सागर और प्रशांत महासागर के बीच स्थित है।
- रूस और जापान दोनों इन पर दावा करते हैं, हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद से द्वीप रूसी नियंत्रण में हैं।
- द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में सोवियत संघ ने द्वीपों पर कब्जा कर लिया था और 1949 तक अपने जापानी निवासियों को निष्कासित कर दिया था। जापान का दावा है कि 19वीं सदी की शुरुआत से विवादित द्वीप जापान का हिस्सा रहे हैं।
विवाद के पीछे की वजह: जापान के अनुसार, द्वीपों पर जापान की संप्रभुता की पुष्टि 1904-05 के रूस-जापानी युद्ध (इसे जापान ने जीता था) के बाद 1905 की पोर्ट्समाउथ संधि, 1855 की शिमोडा संधि, कुरील द्वीप समूह के लिए सखालिन के आदान-प्रदान के लिए 1875 की संधि (सेंट पीटर्सबर्ग की संधि) से होती है।
- दूसरी ओर, रूस याल्टा समझौते (1945) और पॉट्सडैम घोषणा (1945) को अपनी संप्रभुता के प्रमाण के रूप में दावा करता है और तर्क देता है कि 1951 की सैन फ्रांसिस्को संधि कानूनी सबूत है कि जापान ने द्वीपों पर रूसी संप्रभुता को स्वीकार किया था।
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