इंडोनेशिया का पाम ऑयल संकट

पाम ऑयल के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक इंडोनेशिया को इसकी घरेलू कमी के चलते मूल्य नियंत्रण और शिपमेंट पर प्रतिबंधों को लागू करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

महत्वपूर्ण तथ्य: अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए इंडोनेशिया का पाम ऑयल उत्पादन अनुमानित रूप से 45.5 मिलियन टन है। यह कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग 60% है और अगले बड़े उत्पादक मलेशिया (18.7 मिलियन टन) से काफी आगे है।

  • इंडोनेशिया 29 मिलियन टन के साथ पाम ऑयल का दुनिया का नंबर 1 निर्यातक भी है। इसके बाद मलेशिया (16.22 मिलियन टन) का स्थान है।
  • फिर भी, मार्च 2021 और मार्च 2022 के बीच ब्रांडेड कुकिंग ऑयल की घरेलू कीमतें लगभग 14,000 इंडोनेशियाई रुपिया से 22,000 इंडोनेशियाई रुपिया प्रति लीटर तक रही हैं।

दो संभावित कारण: अन्य खाना पकाने के तेलों, विशेष रूप से सूरजमुखी तेल और सोयाबीन तेल की आपूर्ति में व्यवधान।

  • दूसरा कारण पेट्रोलियम से जुड़ा है, विशेष रूप से जैव-ईंधन के रूप में पाम ऑयल का उपयोग। इंडोनेशियाई सरकार ने 2020 से, जीवाश्म ईंधन के आयात को कम करने की योजना के तहत पाम ऑयल के साथ डीजल का 30% सम्मिश्रण अनिवार्य किया है।

भारत पर प्रभाव: भारत दुनिया का सबसे बड़ा वनस्पति तेल आयातक है। 14-15 मिलियन टन के वार्षिक आयात में से, पाम ऑयल का हिस्सा (8-9 मिलियन टन) का है।

  • इंडोनेशिया पाम ऑयल का भारत का शीर्ष आपूर्तिकर्ता रहा है, हालांकि इसे 2021-22 में मलेशिया ने पछाड़ दिया था।

इस माह के चर्चित संस्थान एवं संगठन

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 7 अप्रैल, 2022 को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से रूस के निलंबन के पक्ष में मतदान किया है। यह कीव के बाहर एक शहर बूचा में कथित युद्ध अपराधों के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया का हिस्सा था, जहां रूसी सेना के हटने के बाद 300 से अधिक नागरिकों के शव पाए गए हैं।
  • मानवाधिकार परिषद संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर एक अंतर- सरकारी निकाय है, जो दुनिया भर में मानवाधिकारों के संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है। मानवाधिकार परिषद का गठन 15 मार्च, 2006 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संकल्प 60/251के माध्यम से किया गया था। मानवाधिकार परिषद ने पूर्व 'संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग’ का स्थान लिया है। मानवाधिकार परिषद, की बैठक स्विट्जरलैंड के जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में होती है। मानवाधिकार परिषद में संयुक्त राष्ट्र के 47 सदस्य देश शामिल होते हैं, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रत्यक्ष और गुप्त मतदान के माध्यम से बहुमत से चुने जाते हैं। परिषद की सदस्यता समान भौगोलिक वितरण पर आधारित है। अफ्रीकी क्षेत्र से 13 सीटें; एशिया-प्रशांत क्षेत्र से भी 13 सीटें; लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई क्षेत्र से 8 सीटें; पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देशों से 7 सीटें; और पूर्वी यूरोपीय देशों से 6 सीटें हैं। सदस्य तीन साल तक सेवा देते हैं और लगातार दो कार्यकालों की सेवा के बाद तत्काल पुन: चुनाव के लिए पात्र नहीं हैं। परिषद के सदस्यों की उच्च मानवाधिकार मानकों को बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है।

अंतरराष्ट्रीय संबंध