बारिसिटिनिब और सोट्रोविमैब

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 14 जनवरी, 2022 को कोविड-19 के उपचार के लिए दो दवाओं, ‘बारिसिटिनिब’ (Baricitinib) और ‘सोट्रोविमैब’ (Sotrovimab) की सिफारिश की है।

बारिसिटिनिबः बारिसिटिनिब, जिसका उपयोग संधिशोथ यानी गठिया के इलाज के लिए भी किया जाता है, को कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के संयोजन में गंभीर या अत्यंत गंभीर कोविड-19 वाले रोगियों के लिए अनुशंसित किया गया है।

  • यह ‘जेनस काइनेस (Janus 'kinsae: JAK) अवरोधक’ नामक दवाओं के एक वर्ग का हिस्सा है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली की अतिउत्तेजना को कम करते हैं।
  • बारिसिटिनिब एक मुंह से ली जाने वाली दवा (oral drug) है, और जुलाई 2021 में डब्ल्यूएचओ द्वारा कोविड के लिए अनुशंसित अन्य गठिया दवा ‘इंटरल्यूकिन-6 रिसेप्टर ब्लॉकर्स’ (Interleukin-6 receptor blockers) का विकल्प प्रदान करती है।

सोट्रोविमैबः सोट्रोविमैब, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन द्वारा यूएस पार्टनर ‘वीर बायोटेक्नोलॉजी इंक’ के साथ विकसित की गई है, जो कोरोनवायरस के कारण होने वाली स्थितियों के उपचार में उपयोग के लिए एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है।

  • डब्ल्यूएचओ ने सशर्त रूप से अस्पताल में भर्ती होने के उच्च जोिखम वाले रोगियों में हल्के या मध्यम कोविड-19 के उपचार के लिए इसके उपयोग की सिफारिश की है।
  • इनमें वे रोगी शामिल हैं, जो अधिक उम्र के हैं, जिनमें प्रतिरक्षा में कमी है, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापा के शिकार हैं, और जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है।

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प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’

प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’, द्वीप राष्ट्र टोंगा से सिर्फ 60 किलोमीटर की दूरी पर है। 14 जनवरी, 2022 को टोंगा में ‘हुंगा टोंगा-हंगा हापाई’ (Hunga Tonga-Hunga Ha'apai) ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ।

  • प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’ या पैसिफिक रिम, या सर्कम-पैसिफिक बेल्ट, प्रशांत महासागर में स्थित एक क्षेत्र है, जहां अधिकांश सक्रिय ज्वालामुखी और लगातार भूकंपों की घटनायें होती रहती हैं। यहाँ दुनिया के लगभग 75% ज्वालामुखी (450 से अधिक ज्वालामुखी) हैं। साथ ही दुनिया के करीब 90% भूकंप इस क्षेत्र में आते हैं। प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर क्षेत्र प्रशांत प्लेट, फिलीपीन प्लेट, जुआन डे फूका प्लेट, कोकोस प्लेट, नाजका प्लेट और उत्तरी अमेरिकी प्लेट सहित कई टेक्टोनिक प्लेटों के साथ 40000 किमी तक फैला हुआ है। रिंग ऑफ फायर के अधिकांश भाग के साथ, टेक्टोनिक प्लेट एक दूसरे की ओर बढ़ते हुए सबडक्शन जोन (subduction zones) बनाते हैं। एक प्लेट दूसरी प्लेट द्वारा नीचे की ओर धकेल दी जाती है या क्षेपित हो जाती है। जैसे ही यह सबडक्शन प्रक्रिया होती है, चट्टानें पिघलकर, मैग्मा का निर्माण करती हैं और पृथ्वी की सतह पर चली जाती हैं और ज्वालामुखी गतिविधि का कारण बनती हैं। टोंगा के ज्वालामुखी के मामले में, प्रशांत प्लेट इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट और टोंगा प्लेट के नीचे क्षेपित हो गई, जिससे पिघली हुई चट्टान के ऊपर उठने पर ज्वालामुखियों कीशृंखला बन गई।