तिलका मांझी

देश ने 11 फरवरी, 2022 को क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी नेता तिलका मांझी को उनकी 272वीं जयंती पर याद किया।

  • अपने लोगों और अपने जमीन की रक्षा के लिये प्रतिबद्ध तिलका मांझी ने जनजातियों को तीर-धनुष चलाने में प्रशिक्षित सेना के रूप में संगठित किया।
  • 1770 में संथाल क्षेत्र में भयंकर अकाल पड़ने से जब लोग भूख से मरने लगे थे तो तिलका मांझी ने ईस्ट इंडिया कंपनी के खजाने को लूट लिया और इसे गरीबों और जरूरतमंदों में बांट दिया था।
  • तिलका के इस नेक कार्य से प्रेरित होकर कई अन्य आदिवासी भी विद्रोह में शामिल हो गए। इसके साथ ही उनके संथाल हूल (संथाल विद्रोह) की शुरूआत हुई।
  • उन्होंने अंग्रेजों और उनके सहयोगियों पर हमला करना जारी रखा। 1771 से 1784 तक तिलका मांझी ने कभी आत्मसमर्पण नहीं किया।
  • तिलका मांझी ने ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रशासक ऑगस्टस क्लीवलैंड पर हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। अंग्रेजों ने हमले वाली जगह तिलापोर के जंगल को घेर लिया था, लेकिन तिलका और उनके साथियों ने कई सप्ताह तक अंग्रेजों को रोके रखा।
  • 1784 में जब तिलका अंततः पकड़े गये, उन्हें एक घोड़े की पूंछ से बांधकर घसीटते हुए भागलपुर कलेक्टर के निवास तक ले जाया गया, जहां उनके क्षत-विक्षत शरीर को बरगद के पेड़ से लटका दिया गया था।

लघु संचिका