आईएनएस विशाखापत्तनम

‘प्रोजेक्ट 15बी’ के तहत स्वदेशी रूप से निर्मित किए जा रहे स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक (stealth guided-missile destroyers) में से पहले भारतीय नौसेना पोत ‘आईएनएस विशाखापत्तनम’ को 21 नवंबर, 2021 को मुंबई में नेवल डॉकयार्ड में कमीशन किया गया।

महत्वपूर्ण तथ्यः यह युद्धपोत परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध की स्थितियों के तहत लड़ने के लिए सुसज्जित है।

  • आईएनएस विशाखापत्तनम, इसके प्रभावशाली आकार-163 मीटर लंबाई, 17 मीटर चौड़ाई और 7,400 टन की विस्थापन क्षमता के साथ भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक है।
  • ‘नौसेना डिजाइन निदेशालय’ में डिजाइन और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुंबई द्वारा निर्मित, आईएनएस विशाखापत्तनम चार शक्तिशाली गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित किया जाता है और 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है।
  • जहाज, जो एक नेविगेशन और दिशा विशेषज्ञ, कैप्टन बीरेंद्र सिंह बैंस की कमान में होगा, में कुल लगभग 315 कर्मी हैं।

जीके फ़ैक्ट

  • 35,000 करोड़ रुपये की ‘प्रोजेक्ट 15वी’ परियोजना में चार स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक के निर्माण की परिकल्पना की गई है, शेष तीन को 2023 और 2025 के बीच कमीशन किया जाएगा।

इस माह के चर्चित संस्थान एवं संगठन

राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान

  • 14 नवंबर, 2021 को राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (National Institute of Immunology: NII) की सोसायटी की वार्षिक आम सभा की बैठक आयोजित की गई।
  • यह प्रतिरक्षा में अनुसंधान के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है। यह नई दिल्ली में स्थित है। NII की स्थापना 24 जून, 1981 को हुई थी। इसकी उत्पत्ति अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में ‘प्रतिरक्षा में आईसीएमआर-डब्ल्यूएचओ अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र’के रूप में हुई, जिसका 1982 में NII में विलय कर दिया गया था। NII रोग प्रक्रियाओं से प्रतिरक्षा प्रणाली में पैदा होने वाली गड़बड़ी से विकसित होने वाले तौर तरीकों से शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को समझने की दृष्टि से उन्नत अनुसंधान के लिए प्रतिबद्ध है। संस्थान में प्रतिरक्षा के अंतर्गत संक्रमण और प्रतिरक्षा, आणविक डिजायन, जीन विनियमन और प्रजनन एवं विकास जैसे चार अनुसंधान के प्रमुख विषय क्षेत्र हैं।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी