विधेयक एवं अधिनियम
दिल्ली नगर निगम (संशोधन) अधिनियम 2022 - (July 2022)
एकीकृत दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) औपचारिक रूप से 22 मई, 2022 को अस्तित्व में आ गया है। दिल्ली नगर निगम (संशोधन) अधिनियम, 2022 के माध्यम से तीन नगर निकायों का 'दिल्ली नगर निगम' में एकीकरण कर दिया गया है।महत्वपूर्ण तथ्य: अधिनियम के तहत राष्ट्रीय राजधानी में वार्डों की संख्या को मौजूदा 272 से घटाकर 250 कर दिया गया है।
जैव विविधता (संशोधन) विधेयक 2021 - (July 2022)
राज्य सभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 के प्रावधानों की आलोचना की है, जिसकी वर्तमान में एक संयुक्त संसदीय समिति द्वारा समीक्षा की जा रही है।जैव विविधता अधिनियम, 2002: इसे जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (Convention on Biological Diversity: CBD), 1992 को प्रभावी बनाने के लिए तैयार किया गया था,
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम - (July 2022)
केंद्र ने 27 मई, 2022 को कहा कि वह ऑनलाइन उपभोक्ताओं को उत्पादों और सेवाओं के फेक रिव्यू (fake reviews) से बचाने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लेकर आएगा।महत्वपूर्ण तथ्य: भारत में, फेक रिव्यू उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत उपभोक्ता अधिकारों के लिए खतरा हैं।अधिनियम के प्रमुख प्रावधान: अधिनियम में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की स्थापना
स्पेन का 'ओनली यस मीन्स यस' बिल - (July 2022)
स्पेन की संसद के निचले सदन कांग्रेस ने 26 मई, 2022 को यौन स्वतंत्रता की गारंटी बिल पारित किया, जिसे 'ओनली यस मीन्स यस' (only yes means yes) के नाम से जाना जाता है।महत्वपूर्ण तथ्य: इस बिल के तहत बिना सहमति वाले सभी प्रकार के शारीरिक संबंध को बलात्कार माना जाएगा। बिल, जिसे अभी सीनेट द्वारा पारित किया जाना
उपासना स्थल अधिनियम - (July 2022)
मई 2022 में वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर एक शिवलिंग पाये जाने के दावों के बीच 30 साल से अधिक पुराना उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 [Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991] एक बार फिर चर्चा में है।महत्वपूर्ण तथ्य: यह अधिनियम किसी भी पूजा/उपासना स्थल की यथास्थिति को बनाए रखता है, जैसा कि वह 15 अगस्त,
प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम - (July 2022)
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने मई 2022 में दिल्ली की एक अदालत में प्रस्तुत हलफनामे में कहा है कि कुतुब मीनार परिसर उपासना स्थल नहीं है और अब इसके चरित्र/प्रकृति को नहीं बदला जा सकता है।महत्वपूर्ण तथ्य: ASI का कहना है, जब इसे पहली बार 1914 में संरक्षित स्मारक के रूप में अधिसूचित किया गया था, उस समय भी यह