मृत्यु दंड एकमात्र विकल्प नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने 9 फरवरी, 2022 को एक फैसले में कहा कि अपराध की केवल घृणित प्रकृति ही मृत्यु दंड (Death Penalty) देने के लिए निर्णायक कारक नहीं हो सकती, बल्कि इस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सजा कम करने वाले कारकों से संबंधित प्रासंगिक पहलुओं पर भी विचार किया जाना चाहिए।
- जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने एक सात वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में निर्णय देते समय यह बात कही। अदालत ने इस मामले में दोषी की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।
- पप्पू बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (Pappu ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 नियंत्रक सम्मेलन 2025
- 2 उत्तर क्षेत्र नागरिक उड्डयन मंत्रियों का सम्मेलन 2025
- 3 भारतीय ज्ञान प्रणालियों (IKS) पर पहला शैक्षणिक सम्मेलन
- 4 राष्ट्रपतीय संदर्भ पर केंद्र व राज्यों को नोटिस जारी
- 5 स्टैटैथॉन - विकसित भारत की ओर एक डेटा यात्रा
- 6 भारत विकास परिषद् (BVP) का स्थापना दिवस समारोह
- 7 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग में वृद्धि: सुप्रीम कोर्ट
- 8 'सुशासन प्रथाओं' पर राष्ट्रीय सम्मेलन
- 9 मैनेज्ड एक्विफर रिचार्ज (MAR)
- 10 आदि अन्वेषण: राष्ट्रीय सम्मेलन

- 1 मौलिक कर्तव्यों को प्रवर्तनीय बनाने की मांग
- 2 हरियाणा आरक्षण कानून : उच्च न्यायालय का स्थगन रद्द
- 3 गोवा के 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका खारिज
- 4 ट्रिब्यूनल एक्ट हमारे आदेश के खिलाफ : सुप्रीम कोर्ट
- 5 अंतर-संचालन योग्य आपराधिक न्याय प्रणाली
- 6 केंद्रीय मीडिया प्रत्यायन दिशानिर्देश-2022
- 7 कृष्णा नदी विवाद : पृथक पीठ गठित करने की मांग
- 8 पुलिस बलों का आधुनिकीकरण तथा संबंधित मुद्दे
- 9 ऑपरेशन आहट : मानव तस्करी पर अंकुश हेतु आरपीएफ की पहल