मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) अध्यादेश, 2020
- राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 4 नवंबर, 2020 को मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम 1996 में संशोधन के उद्देश्य से मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) अध्यादेश, 2020 [Arbitration and Conciliation (Amendment) Ordinance, 2020] प्रख्यापित किया।
- मध्यस्थता समझौते के आधार पर पारित या धोखाधड़ी / भ्रष्टाचार से प्रभावित मध्यस्थता आदेशों का प्रवर्तन अब बिना शर्त रोका जा सकता है।
- यह अध्यादेश मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम 1996 की 8वीं अनुसूची को निरसित करता है। यह अनुसूची मध्यस्थों की योग्यता और अनुभव से संबंधित है।
- यह संशोधन धोखाधड़ी से संबंधित मध्यस्थता के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्णयों के अनुरूप है।
पृष्ठभूमि
- मध्यस्थता प्रक्रिया को ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 नियंत्रक सम्मेलन 2025
- 2 उत्तर क्षेत्र नागरिक उड्डयन मंत्रियों का सम्मेलन 2025
- 3 भारतीय ज्ञान प्रणालियों (IKS) पर पहला शैक्षणिक सम्मेलन
- 4 राष्ट्रपतीय संदर्भ पर केंद्र व राज्यों को नोटिस जारी
- 5 स्टैटैथॉन - विकसित भारत की ओर एक डेटा यात्रा
- 6 भारत विकास परिषद् (BVP) का स्थापना दिवस समारोह
- 7 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग में वृद्धि: सुप्रीम कोर्ट
- 8 'सुशासन प्रथाओं' पर राष्ट्रीय सम्मेलन
- 9 मैनेज्ड एक्विफर रिचार्ज (MAR)
- 10 आदि अन्वेषण: राष्ट्रीय सम्मेलन