सिंथेटिक बायोलॉजी : अनुप्रयोग एवं चुनौतियां- (शक्ति कुमार दुबे)
सिंथेटिक बायोलॉजी या संश्लेषित जीव विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक प्रयोग को देखते हुए वर्तमान में वैश्विक स्तर पर व्यापक शोध एवं विकास हो रहा है| इस कारण यह सबसे तेजी से विकसित हो रही विज्ञान की शाखा बन चुकी है| साथ ही इससे संबंधित विभिन्न प्रकार की चुनौतियां भी उत्पन्न हो रही हैं, जिनके समाधान के लिए एक व्यापक नीति के निर्माण की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
- हाल ही में जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संश्लेषित जीव विज्ञान (Synthetic Biology) पर एक मसौदा दूरदर्शिता पत्र जारी किया गया| इसमें एक राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता पर बल दिया है ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत की दुर्लभ भू-संपदा का समुचित दोहन: एक रणनीतिक अनिवार्यता - संपादकीय डेस्क
- 2 प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता: भारत की भावी संवृद्धि का एक प्रमुख स्तंभ - संपादकीय डेस्क
- 3 कृत्रिम बुद्धिमत्ता का पर्यावरणीय प्रभाव : नवाचार और धारणीयता का संतुलन
- 4 भारत की वैश्विक रणनीतिक साझेदारियां
- 5 भारत की साइबर प्रतिरोधक क्षमता का सुदृढ़ीकरण एक राष्ट्रीय सुरक्षा अनिवार्यता - संपादकीय डेस्क
- 6 पुनरुत्थान के मार्ग पर बिम्सटेक भारत के लिए रणनीतिक एवं आर्थिक अवसर - आलोक सिंह
- 7 डिजिटलीकरण: सामाजिक परिवर्तन का उत्प्रेरक - संपादकीय डेस्क
- 8 अमेरिका की नई टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार युद्ध की दस्तक - डॉ. उदय भान सिंह
- 9 पीटलैंड्स का संरक्षण वैश्विक तापमान वृद्धि से निपटने का सतत समाधान - संपादकीय डेस्क
- 10 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम संभावनाएं, चुनौतियां एवं समाधान - डॉ. अमरजीत भार्गव

- 1 परिवर्तनशील भू-राजनीतिक एवं भू-आर्थिक स्थिति : वैश्विक व्यवस्था एवं भारत
- 2 कॉरपोरेट गवर्नेंस : पारदर्शिता तथा नैतिकता आधारित व्यावसायिक शासन - (महेन्द्र चिलकोटी)
- 3 भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणाली : एक राष्ट्रीय निधि -(सतीश कुमार कर्ण)
- 4 जलवायु परिवर्तन : प्रभाव, अनुकूलन एवं भेद्यता
- 5 भारत के लिए एक व्यापक रक्षा एवं सामरिक नीति की आवश्यकता- (डॉ. अमरजीत भार्गव)