सिविल सेवकों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि सिविल सेवकों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही अनिवार्य रूप से ‘नियुक्ति प्राधिकारी’ (Appointing Authority) द्वारा ही शुरू की जाए, यह आवश्यक नहीं है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने झारखंड उच्च न्यायालय के एक निर्णय को पलटते हुए यह स्पष्ट किया कि बर्खास्तगी के लिए नियुक्ति प्राधिकारी की स्वीकृति आवश्यक है, परंतु अनुशासनात्मक कार्यवाही आरंभ करने के लिए इसकी आवश्यकता नहीं है।
- इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने पीवी श्रीनिवास शास्त्री बनाम नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, 1993 मामले का उल्लेख किया। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि-
- विभागीय कार्यवाही केवल नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा ही शुरू ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 CBI का ऑपरेशन चक्र-V
- 2 भारत की मिलिट्री स्पेस डॉक्ट्रिन
- 3 केंद्र-राज्य संबंधों की जांच के लिए समिति गठित
- 4 स्थायी लोक अदालत
- 5 कैदियों की दुर्दशा पर NHRC ने लिया स्वतः संज्ञान
- 6 दल-बदल पर स्पीकर की निष्क्रियता: सर्वोच्च न्यायालय शक्तिहीन नहीं
- 7 बाल तस्करी पर सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश
- 8 विधेयकों पर राज्यपालों की विवेकशीलता सीमित: सुप्रीम कोर्ट
- 9 सर्वोच्च न्यायालय ने अधिकरणों को मजबूत करने पर बल दिया
- 10 CAG की नियुक्ति के संबंध में केंद्र सरकार को नोटिस

- 1 विधेयकों पर राज्यपालों की विवेकशीलता सीमित: सुप्रीम कोर्ट
- 2 बाल तस्करी पर सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश
- 3 दल-बदल पर स्पीकर की निष्क्रियता: सर्वोच्च न्यायालय शक्तिहीन नहीं
- 4 कैदियों की दुर्दशा पर NHRC ने लिया स्वतः संज्ञान
- 5 स्थायी लोक अदालत
- 6 केंद्र-राज्य संबंधों की जांच के लिए समिति गठित
- 7 भारत की मिलिट्री स्पेस डॉक्ट्रिन
- 8 CBI का ऑपरेशन चक्र-V