एस्ट्रोसैट ने ब्लैकहोल का 500वीं बार निर्माण होने का पता लगाया

भारत की पहली समर्पित मल्टी-वेवलेंथ अंतरिक्ष वेधशाला 'एस्ट्रोसैट' (Astrosat) ने 20 मई, 2022 को 500वीं बार ब्लैक होल के निर्माण का पता लगाया है।

महत्वपूर्ण तथ्य: ब्लैक होल दुनिया भर के खगोलविदों की गहन जांच का विषय रहा है। हालांकि, भारतीय वैज्ञानिक स्वदेशी रूप से निर्मित अंतरिक्ष दूरबीन एस्ट्रोसैट का उपयोग करके ब्लैक होल के जन्म का अध्ययन करने में काफी प्रगति कर रहे हैं।

  • खगोलविदों ने ब्लैक होल के निर्माण को बेहतर ढंग से समझने के लिए 'गामा रे बर्स्ट्स' (Gamma Ray Bursts) का अध्ययन किया, जिन्हें 'मिनी बिग बैंग्स' भी कहा जाता है।

एस्ट्रोसैट: एस्ट्रोसैट को 28 सितंबर 2015 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था।

  • एस्ट्रोसैट विश्व की सबसे संवेदनशील दूरबीनों में शामिल है। इसमें पांच उपकरण लगे हैं जो एक साथ ब्रह्मांड का पराबैंगनी, ऑप्टिकल और एक्स-रे विकिरण में अध्ययन कर सकते हैं।
  • इन उपकरणों में एक 'कैडमियम जिंक टेलुराइड इमेजर' (Cadmium Zinc Telluride Imager) है, जिसने ब्लैकहोल के निर्माण का 500वीं बार पता लगाया है।
एस्ट्रोसैट मिशन के मुख्य वैज्ञानिक उद्देश्य: न्यूट्रॉन तारे और ब्लैक होल युक्त द्विआधारी तारा प्रणाली में उच्च ऊर्जा प्रक्रियाओं को समझना; न्यूट्रॉन तारे के चुंबकीय क्षेत्र का का अनुमान लगाना; तथा हमारी आकाशगंगा से परे तारा प्रणाली में तारा निर्माण क्षेत्रों और तारा प्रणाली में उच्च ऊर्जा प्रक्रियाओं का अध्ययन करना।