नरसिंहपेट्टई नागस्वरम को जीआई टैग

नरसिंहपेट्टई नागस्वरम (Narasinghapettai Nagaswaram) को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग दिया गया है।

  • यह तमिलनाडु का एक पारंपरिक सुषिर (पवन) वाद्य यंत्र है, जिसे कुंभकोणम तालुक के ग्रामीण कारीगरों द्वारा बनाया जाता है।
  • तंजावुर जिले के नरसिंगनपेट्टी गांव के कारीगर इस यंत्र को बनाते हैं। नरसिंगनपेट्टई गाँव के कारीगरों को अपने पूर्वजों से इन लकड़ी के उपकरणों को बनाने का कौशल विरासत में मिला है।
  • अब कलाकारों द्वारा उपयोग किए जा रहे नागस्वरम को 'परी नागस्वरम' कहा जाता है। यह थिमिरी से लंबा होता है।
  • नरसिंहपेट्टई नागस्वरम का एक बड़ा हिस्सा ‘आचा’ (हार्डविकिया बिनाटा) (Hardwickia binata) के पेड़ से बनाया गया है और कई बार कारीगर पुराने घरों के कुछ हिस्सों की लकड़ी का उपयोग करते हैं।
  • यंत्र बेलनाकार होता है और नीचे घंटी के आकार का होता है। इस वाद्य यंत्र में दो भाग होते हैं; शंक्वाकार नली और एक धातु की घंटी। छोर पर नीचे की ओर बढ़ने वाली नली, एक धातु की घंटी से सुसज्जित होती है।
  • इस वाद्य यंत्र की पहचान मंदिरों और अन्य धार्मिक आयोजनों के साथ होती है। इसे शास्त्रीय संगीत कार्यक्रमों के साथ-साथ शुभ और धार्मिक अवसरों पर भी उपयोग किया जाता है।

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