महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 जनवरी, 2022 को अपने त्रिपुरा दौरे के दौरान अगरतला में ‘महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डे के नए एकीकृत टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया।

महत्वपूर्ण तथ्यः प्रधानमंत्री ने कहा कि त्रिपुरा हीरा मॉडल (HIRA model) के आधार पर अपनी कनेक्टिविटी को मजबूत और विस्तारित कर रहा है। HIRA यानी H से हाईवे, I से इंटरनेट वे, R से रेलवे और A से एयरवेज।

  • लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डे का नया एकीकृत टर्मिनल भवन आधुनिक सुविधाओं से युक्त और नवीनतम आईटी नेटवर्क-एकीकृत प्रणाली द्वारा समर्थित 30,000 वर्ग मीटर में फैला एक अत्याधुनिक भवन है।
  • महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डा मूल रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान तत्कालीन रियासत के राजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य देबबर्मन के सहयोग से अमेरिकी वायु सेना द्वारा बनाया गया था।

जीके फ़ैक्ट

  • महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डों को पहले ‘अगरतला हवाई अड्डे के नाम से जाना जाता था और 2018 में इसका नाम बदल दिया गया।

इन्हें भी जानें

नॉन-फंजिबल टोकन

नॉन-फंजिबल टोकन (Non-Fungible Token: NFT) एक अद्वितीय, अपरिवर्तनीय टोकन है, जिसका उपयोग संगीत, कलाकृति, यहां तक कि ट्वीट और मीम (memes) जैसी डिजिटल परिसंपत्तियों के स्वामित्व को साबित करने के लिए किया जा सकता है।

  • किसी व्यक्ति के पास NFT का होना यह दर्शाता है कि उसके पास कोई अद्वितीय (यूनिक) डिजिटल परिसंपत्ति है, जो दुनिया में और किसी के भी पास नहीं है। नॉन-फंजिबल शब्द का सीधा सा अर्थ है कि प्रत्येक टोकन अलग है। एक NFT को दूसरे NFT के साथ नहीं बदला जा सकता क्योंकि दोनों अलग हैं और इसलिए अद्वितीय हैं। प्रत्येक टोकन का एक अलग मूल्य होता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है। NFT 2021 में लोकप्रिय हुआ, जब कलाकारों द्वारा इसे अपने काम से कमाई करने के एक सुविधाजनक तरीके के रूप में देखा जाने लगा। NFT लेनदेन ब्लॉकचेन पर दर्ज किए जाते हैं, जो एक डिजिटल सार्वजनिक खाता बही है, जिसमें अधिकांश NFT इथेरियम ब्लॉकचेन का हिस्सा हैं। ब्लॉकचेन पर एक डिजिटल परिसंपति के स्वामित्व का पंजीकरण करना NFT कहलाता है। NFT एक नई तरह की वित्तीय प्रणाली का एक हिस्सा है, जिसे विकेंद्रीकृत वित्त (decentralised finance) कहा जाता है, जो बैंकों जैसे संस्थानों की भागीदारी को दूर करता है।

इस माह के चर्चित संस्थान एवं संगठन

भारतीय बीमा संस्थान

अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSCs) में बीमा क्षेत्र में पेशेवरों की क्षमता निर्माण के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) ने 19 जनवरी, 2022 को भारतीय बीमा संस्थान (Insurance Institute of India) के साथ एक समझौता (MoU) किया।

  • भारतीय बीमा संस्थान, को पहले फेडरेशन ऑफ इंश्योरेंस इंस्टीटड्ढूट्स (जे.सी. सीतलवाड़ मेमोरियल) के नाम से जाना जाता था। इसकी स्थापना देश में बीमा शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 1955 में की गई थी। इसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है। भारतीय बीमा संस्थान बदलते बीमा परिदृश्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत और विदेशों में बीमा उद्योग से जुड़े पेशेवरों के लिए पाठड्ढक्रम तैयार करता है, इनका लगातार अपग्रेड करता है तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है। संस्थान के प्रमाणन को बीमा उद्योग, नियामकों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित अन्य बीमा शिक्षा प्रदाताओं द्वारा मान्यता दी गयी है। भारतीय बीमा संस्थान ‘वैश्विक बीमा शिक्षा संस्थान’ (Institute of Global Insurance Education) का भी सदस्य है।

पूर्वोत्तर बेंत और बांस विकास परिषद

पूर्वोत्तर बेंत और बांस विकास परिषद (North East Cane and Bamboo Development Council: NECBDC) ने ‘बांस के अंकुर का प्रसंस्करण एवं संरक्षण’ पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रायोजित किया, जो NECBDC के पैनल में शामिल क्लस्टर मेसर्स डेलिसीज फूड प्रोसेसिंग सेंटर, मेघालय द्वारा 13 से 17 दिसंबर, 2021 तक आयोजित किया गया।

  • NECBDC पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के अंतर्गत पूर्वोत्तर परिषद के तहत कार्य करता है। NECBDC को पूर्व में बेंत और बांस विकास परिषद (Cane and Bamboo Development Council: CBDC) के रूप में जाना जाता था। NECBDC को पूर्वोत्तर भारत के अब तक अप्रयुक्त बांस क्षेत्र को व्यवस्थित करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। NECBDC बिरनिहाट, असम में स्थित है।

आर्थिक परिदृश्य