युद्ध इतिहास को सार्वजनिक करने संबंधित नीति

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 12 जून, 2021 को रक्षा मंत्रलय द्वारा युद्ध एवं ऑपेरशन संबंधी इतिहास के संग्रहण (archiving), सार्वजनिक करने या गोपनीयता सूची से हटाने (declassification), संकलन (compilation) और प्रकाशन संबंधी नीति को मंजूरी दे दी है।

  • उद्देश्यः युद्ध इतिहास संबंधी घटनाओं का सटीक विवरण देना; अकादमिक शोध के लिए प्रामाणिक सामग्री प्रदान करना और निराधार अफवाहों को रोकना।
  • नीति की मुख्य बातेंः रक्षा मंत्रलय के अंतर्गत आने वाला प्रत्येक संगठन जैसे- सेना के तीनों अंग, एकीकृत रक्षा कर्मचारी, असम राइफल्स और भारतीय तटरक्षक बल अभियानों से जुड़े रिकॉर्ड पुस्तकों/ अभिलेखों को उचित रखरखाव, अभिलेखीय और लेखन इतिहास हेतु रक्षा मंत्रलय के ‘इतिहास प्रभाग’ (संकलन, अनुमोदन और प्रकाशन के दौरान समन्वयकर्ता) को हस्तांतरित करेंगे।
  • नीति में युद्ध/ऑपरेशन इतिहास के संकलन के लिए ‘रक्षा मंत्रलय के संयुक्त सचिव’ की अध्यक्षता में और सेनाओं, विदेश मंत्रलय, गृह मंत्रलय और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक समिति का गठन अनिवार्य है।
  • रिकॉर्ड को आमतौर पर 25 वर्षों में सार्वजनिक (declassified) किया जाना चाहिए, जिसकी जिम्मेदारी ‘सार्वजनिक अभिलेख अधिनियम 1993’ और ‘सार्वजनिक अभिलेख नियम 1997’ में विनिर्दिष्ट संबंधित संगठनों की है।
  • 25 वर्ष से अधिक पुराने अभिलेखों को अभिलेखीय विशेषज्ञों द्वारा मूल्यांकन किए जाने और संकलित करने के बाद ‘भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार’ को हस्तांतरित किया जाना चाहिए।
  • संकलन और प्रकाशन की समयसीमाः युद्ध/ ऑपरेशन पूरा होने के 2 वर्ष के भीतर उपर्युक्त समिति का गठन; इसके बाद अभिलेखों का संग्रहण और संकलन 3 वर्षों में पूरा किया जाना।

के सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता वाली ‘कारगिल समीक्षा समिति’ के साथ-साथ ‘एन एन वोहरा समिति’ द्वारा ‘युद्ध अभिलेखों को सार्वजनिक करने संबंधित नीति’ के साथ ‘युद्ध इतिहास लिखे जाने की आवश्यकता’ की सिफारिश की गई थी।

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