“सशक्त संस्थान (संवैधानिक एवं सांविधिक) मजबूत लोकतंत्र की नींव हैं|” इस कथन की आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए|

उत्तर: लोकतंत्र के मजबूत होने एवं सुचारू रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक है कि इसके विभिन्न संवैधानिक एवं सांविधिक संस्थान सशक्त हो| लोकतंत्र में व्यक्ति के अधिकारों का सम्मान होता है तथा राज्य व्यक्तिगत मामलों में कम से कम हस्तक्षेप करता है|

  • लोकतंत्र में इससे संबद्ध संवैधानिक एवं सांविधिक संस्थान अपने संवैधानिक तथा वैधानिक दायित्वों का निर्वहन उचित रीति से निर्वहन करते हैं| इन संस्थानों के सही से कार्य करने से जनता का इन संस्थानों पर विश्वास बढ़ता है जो अंततः लोकतंत्र को मजबूत बनाता है|
  • एक लोकतांत्रिक देश में संस्थानों का सशक्त होना इस तथ्य पर निर्भर ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

प्रश्न पत्र