खनिज संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग : सतत आर्थिक संवृद्धि एवं संतुलित क्षेत्रीय विकास हेतु आवश्यक - नवीन चंदन

भारत महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों का एक प्रमुख उत्पादक राष्ट्र है। भारत की जनसंख्या एवं प्रति व्यक्ति खनिज की खपत दोनों तेजी से बढ़ रही है जिसके कारण खनिज संसाधनों पर मांग पूरा करने का दबाव बढ़ रहा है। खनिज संसाधन सामाजिक समावेशन, पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक विकास को प्रभावित करने .... Read More
भारत- फ्रांस संबंध : दीर्घकालिक द्विपक्षीय सहयोग की रणनीति पर बढ़ते कदम - डॉ. अमरजीत भार्गव

भारत एवं फ्रांस अपने संप्रभु एवं रणनीतिक हितों के अनुरूप आपसी सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। दोनों देश लोकतंत्र के प्रति साझा प्रतिबद्धता के साथ बहुपक्षवाद तथा अंतरराष्ट्रीय कानूनों का समर्थन करते हैं। पिछले 25 वर्षों में फ्रांस और भारत के मध्य विकसित विश्वास एवं एकजुटता वर्तमान दौर की .... Read More
भारत में कृषक उत्पादक संगठन : कृषि क्षेत्र में समृद्धि का आधार - संपादकीय डेस्क

भारतीय कृषि क्षेत्र को गति देने में कृषक उत्पादक संगठन (FPOs) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। कृषक उत्पादक संगठनों के महत्व को देखते हुए सरकार, अनुकूल नीति निर्माण के माध्यम से इनके सशत्तफ़ीकरण को बढ़ावा दे रही है। इन संगठनों की भूमिका किसानों की आय को दोगुना करने में भी .... Read More
भारत में हरित वित्तपोषण पारितंत्र : नीतिगत ढांचा, चुनौतियां तथा अनिवार्यताएं - संपादकीय डेस्क

हरित वित्तपोषण, पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ परियोजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करके भारत में धारणीय भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। सरकार द्वारा किये गए प्रयास, निजी क्षेत्र की भागीदारी एवं बढ़ते प्रौद्योगिकी-अनुकूलन ने साथ मिलकर देश में हरित वित्त के विकास को तीव्र किया है। हरित .... Read More
भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र : आर्थिक विकास को बढ़ावा देने हेतु प्रभावी प्रबंधन की आवश्यकता - डॉ. अमरजीत भार्गव

भारत का लक्ष्य निकट भविष्य में 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था और 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनना है। इस दिशा में, कनेक्टिविटी तथा मजबूत लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे का विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है। लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में परिवहन तथा भंडारण सुविधाओं के विकास के साथ वाणिज्यिक रियल एस्टेट और औद्योगिक .... Read More
भारत में सौर अपशिष्ट प्रबंधन : सतत ऊर्जा का सतत समाधान - महेंद्र चिलकोटी

स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है तथा भारत ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से 50% उत्पादन क्षमता प्राप्त करने का एक बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है। नवीकरणीय ऊर्जा का बड़ा हिस्सा सौर ऊर्जा का है। भारत में .... Read More
भारत में भू-जल संरक्षण की चुनौतियां : भविष्य में जल सुरक्षा हेतु संरक्षण एवं प्रबंधान की अनिवार्यताएं - संपादकीय डेस्क

भारत का भू-जल संसाधन देश की जल आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आर्थिक विकास के साथ ही देश की बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए भू-जल का निष्कर्षण बढ़ा है। जलवायु परिवर्तन, वैश्विक ऊष्मन आदि कारकों ने जल की उपलब्धता पर विपरीत प्रभाव .... Read More
भूमि पुनर्स्थापन : मानवीय कल्याण एवं सतत भविष्य की कुंजी - संपादकीय डेस्क

हमारे समाज एवं अर्थव्यवस्था की नींव स्वस्थ एवं उत्पादक भूमि संसाधनों पर निर्भर है। वैश्विक स्तर पर लगभग 44 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक उत्पादन किसी न किसी रूप में प्राकृतिक संसाधनों पर टिका हुआ है। ऐसे में मनुष्य की भलाई और सतत भविष्य के लिए भूमि का संरक्षण, प्रबंधन और .... Read More
महिलाओं के नेतृत्व में विकास : समता एवं समावेशन की दिशा में एक बदलाव - संपादकीय डेस्क

भारत में महिलाओं की स्थिति में सुधार किये बिना, देश की आधी आबादी का कल्याण सुनिश्चित नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, नए भारत के भव्य विजन के केंद्र में महिलाएं हैं। भारत को महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की जरूरत है, जो समग्र रूप से देश .... Read More
समग्र स्वास्थ्य गंतव्य के रूप में भारत : अवसरों के निर्माण हेतु केंद्रीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता - डॉ. अमरजीत भार्गव

भारत में वैदिक काल से ही चिकित्सा का समृद्ध इतिहास रहा है। भारत में वर्षों से योग एवं ध्यान के साथ-साथ प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी चिकित्सा सेवाओं को महत्व दिया जाता रहा है, अब इन्हें बेहतर स्वास्थ्य लाभों के लिए विश्व भर में स्वीकार किया जाता .... Read More
सतत वन प्रबंधन : वनों के भविष्य को संरक्षित करने की कुंजी - महेंद्र चिलकोटी

भारत के पारिस्थितिक कल्याण, जैव विविधता संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन शमन प्रयासों के लिए सतत वन प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है। सतत वन प्रबंधन का विचार इस विश्वास पर आधारित है कि वन मूल्यवान एवं जटिल पारिस्थितिक तंत्र हैं, जिन्हें इस तरह से प्रबंधित किया जाना चाहिए कि उनके दीर्घकालिक स्वास्थ्य .... Read More
भारत की नई अंतरिक्ष नीति : अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का संवर्धन - महेंद्र चिलकोटी

भारत सरकार ने वर्ष 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र में सभी गतिविधियों के लिए गैर-सरकारी इकाइयों की भागीदारी बढ़ाने तथा उन्हें एक समान अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों की शुरुआत की थी। इन सुधारों के बाद, सरकार देश में एक फलता-फूलता सक्षम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी वातावरण बनाने .... Read More
भारत में निवारक स्वास्थ्य देखभाल : गुणवत्तापूर्ण जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु आवश्यक - संपादकीय डेस्क

वर्तमान समय में निवारक स्वास्थ्य देखभाल, स्वास्थ्य सेवा के महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है। निवारक स्वास्थ्य सेवाओं के कारण प्रारंभिक अवस्था में ही किसी बीमारी का निदान प्राप्त हो सकता है तथा एक व्यक्ति एवं उसके परिवार को गंभीर शारीरिक, भावनात्मक और वित्तीय कठिनाइयों से सुरक्षा मिल सकती .... Read More
भारत में सेमीकंडक्टर पारिस्थितिक तंत्र : को प्रोत्साहन आर्थिक लाभ का दोहन तथा आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम - संपादकीय डेस्क

भारत में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तथा मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या काफी अधिक है, परन्तु इनमें प्रयोग की जाने वाली सेमीकंडक्टर चिप के लिए भारत, पूर्ण रूप से विदेशी आयात पर निर्भर है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा सेमीकंडक्टर नीति का निर्माण किया गया है तथा अगले .... Read More
वैश्विक दक्षिण एवं भारत : समतामूलक विश्व व्यवस्था हेतु प्रबल राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं प्रतिबद्धता आवश्यक - डॉ. अमरजीत भार्गव

कोविड-19 महामारी की चुनौतियों, ईंधन, उर्वरक एवं खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों तथा बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों ने वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के लिए विकासात्मक प्रयासों को प्रभावित किया है। भारत ने हमेशा ग्लोबल साउथ के देशों के साथ अपने विकास अनुभव साझा किए हैं, इससे भारत की ग्लोबल साउथ की चिंताओं .... Read More
सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में भारत का प्रदर्शन: चुनौतियां एवं भावी कार्यनीति का रोडमैप - नवीन चंदन

सतत विकास लक्ष्य, पर्यावरण संरक्षण और विकास के बीच संतुलन स्थापित करने पर जोर देते हैं, ताकि वर्तमान पीढ़ियों की आवश्यकता पूर्ति के साथ ही भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को भी पूरा किया जा सके। ये आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की स्थापना करने में भी सहायक हैं। भारत .... Read More
भारतीय रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण: भारत के वैश्विक दर्जे की प्रगति की दिशा में एक कदम - महेंद्र चिलकोटी

मुद्रा का अंतरराष्ट्रीयकरण एक नीतिगत मुद्दा है तथा यह इसे जारी करने वाले देश के व्यापक आर्थिक उद्देश्यों पर निर्भर करता है। इसमें पूंजी खाता उदारीकरण की सीमा जैसे विभिन्न नीतिगत मुद्दे शामिल हैं। व्यवहार में उदारीकरण के दृष्टिकोण में सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। वृहत् आर्थिक असंतुलन की .... Read More
पश्चिम एशिया की परिवर्तनशील भू-राजनीति: भारत एवं विश्व के लिए निहितार्थ - डॉ. अमरजीत भार्गव

वर्ष 1942 में 'निकोलस स्पाइकमैन' ने वैश्विक राजनीतिक केंद्र बिंदुओं के संदर्भ में प्रतिपादित 'मैकाइंडर' के 'हार्टलैंड सिद्धांत' (Heartland theory) के प्रत्युत्तर में अपना 'रिमलैंड सिद्धांत' (Rimland Theory) प्रस्तुत किया था। 'हार्टलैंड सिद्धांत' जहां उत्तर-पूर्वी साइबेरियाई क्षेत्र को विश्व राजनीति की धुरी मानता था तो वहीं दूसरी तरफ 'रिमलैंड सिद्धांत' .... Read More
डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर : भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में भूमिका एवं महत्व - डॉ. अमरजीत भार्गव

विश्व के सभी देश अपनी विकास यात्रा में डिजिटलीकरण पर निर्भर हैं तथा डिजिटल अवसंरचना को महत्वपूर्ण आधारभूत संरचना के रूप में स्वीकार किया जाने लगा है। एक मजबूत डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर उत्पादकता को बढ़ाकर और जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करने वाली सुविधाएं प्रदान करके आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान .... Read More
रोगाणुरोधी प्रतिरोध : उभरता वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम - संपादकीय डेस्क

वर्तमान में रोगाणुरोधी प्रतिरोध विश्व की प्रमुख स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों में से एक के रूप में उभर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध को शीर्ष 10 वैश्विक स्वास्थ्य खतरों में से एक के रूप में पहचाना है। विश्व के सभी विकसित एवं विकासशील देशों में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial .... Read More
समुद्री जैव-विविधता की सुरक्षा : महासागरीय स्थिरता की दिशा में एक आवश्यक कदम - संपादकीय डेस्क

पृथ्वी के लगभग 71% क्षेत्र पर महासागरों का विस्तार है तथा विश्व के लगभग 123 देशों तक तटीय एवं समुद्री पारिस्थितिक तंत्र का विस्तार देखने को मिलता है। समुद्री जैव-विविधता की विस्तृत शृंखला में अब तक जीव-जंतुओं की लगभग 40,000 प्रजातियों की खोज की गई है। समुद्री पौधों तथा घासों .... Read More
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नैतिकता : जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग हेतु प्रभावी विनियामक ढांचे की आवश्यकता - संपादकीय डेस्क

वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग दैनिक जीवन में सतत आधार पर किया जा रहा है। ऐसे में एआई से संबंधित प्रौद्योगिकी एवं नवाचार, मानवीय क्रियाकलापों को परिवर्तित कर रहे हैं। एआई प्रौद्योगिकी मानव बुद्धिमत्ता का पूरक बनने तथा सामाजिक-आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए ढेरों अवसर प्रदान करती है, .... Read More