भविष्य उनका है, जिनके पास डेटा है

क्रॉनिकल निबंध प्रतियोगिता-3 : अदिति श्रीवास्तव


सूचना एवं संचार क्रांति के वर्तमान युग में डेटा एक अत्यंत मूल्यवान संसाधन के रूप में उभरा है। जैसे तेल और गैस ने 20वीं और 21वीं शताब्दी की शुरुआत में वैश्विक अर्थव्यवस्था को संचालित किया, वैसे ही वर्तमान दौर में डेटा, वैश्विक अर्थव्यवस्था को चला रहा है। डिजिटल क्रांति में भी इससे तीव्रता आई है। साथ ही कोविड-19 महामारी का एक सकारात्मक परिणाम हमें यह देखने को मिला है कि इसने डिजिटल परिवर्तनों को बढ़ाने में उत्प्रेरक का कार्य किया है और लोगों के समक्ष डिजिटल साधनों तथा डेटा के महत्व को उजागर किया है।

आज वैश्विक चर्चा भी डेटा और उससे संबंधित मुद्दों पर केंद्रित है। यदि इसे ‘21वीं सदी की मुद्रा’कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। निश्चित रूप से डेटा पूरे विश्व का स्वरूप बदल रहा है। यह किसी बीमारी का इलाज करने, किसी कंपनी के राजस्व को बढ़ाने, किसी इमारत को अधिक दक्ष बनाने तथा व्यापार-वाणिज्य में अथवा किसी अन्य क्षेत्र में नवाचार या अनुसंधान करने में अध्ययन के रूप में सहायक हो सकता है।

यदि डेटा का सामान्य अर्थ देखा जाए तो मैसेज, पोस्ट, ऑनलाइन ट्रांसफर, सर्च हिस्ट्री आदि के लिए इसका उपयोग किया जाता है। तकनीकी रूप से डेटा किसी ऐसी जानकारी का समूह है, जिसे कंप्यूटर आसानी से पढ़ सकता है। यह जानकारी चित्र, वीडियो, ऑडियो, डॉक्यूमेंट, सॉफ्टवेयर प्रोग्राम या किसी अन्य प्रारूप में हो सकती है।

आज हम ऐसे बिंदु पर हैं, जहां लगभग सभी लोग अपनी दिन-प्रतिदिन की भूमिका में कार्य करने के लिए डेटा का इस्तेमाल करते हैं। डेटा का हमारी जिंदगी में दखल, शॉपिंग आदि से बढ़कर हमारी रोजमर्रा के जीवन, यहां तक कि हमारी पसन्द-नापसन्द तक पहुंच गया है। हमारी सामाजिक, पारिवारिक व आर्थिक गतिविधियां सभी डेटा की मोहताज हो गई हैं। हम सभी फेसबुक, इंस्टाग्राम, ई-कॉमर्स वेबसाइट्स (अमेजन, स्नैपडील आदि), बैंकिंग साइट्स आदि से भली-भांति परिचित हैं। इन सभी वेबसाइट्स में भारी मात्रा में डेटा संग्रहीत होता है। इसमें हमारा स्थान, पता, ईमेल व अन्य पहचान कारक शामिल होते हैं।

कई अलग-अलग कंपनियां (विशेषकर सोशल साइट्स) वेबसाइट्स तथा ऐप के माध्यम से हमारा व्यक्तिगत डेटा एकत्र करती हैं। जब भी हम इन वेबसाइट्स या ऐप में कोई ईमेल, पता या इसी प्रकार का कोई विवरण डालते हैं तो हम अपना व्यक्तिगत डेटा दे रहे होते हैं। उदाहरणार्थ फेसबुक हमारी व्यक्तिगत जानकारी का उपयोग उस सामग्री का सुझाव देने के लिए करता है, जिसे हम देखना चाहते हैं।

इसके अलावा विज्ञापन अथवा प्रतिस्पर्धी अनुसंधान उद्देश्यों के लिए विभिन्न वेबसाइट्स तथा ऐप द्वारा हमारा डेटा एकत्र किया जाता है और फिर अन्य कंपनियों को बेचा जाता है। हमारे द्वारा देखी जाने वाली प्रत्येक वेबसाइट डेटा एकत्र करती है। जब हम किसी विज्ञापन पर क्लिक करते हैं, खरीदारी करते हैं या किसी निश्चित वेब पेज पर जाते हैं, ये कंपनियां गूगल एनालिटिक्स, किसी थर्ड पार्टी सिस्टम या अपने स्वयं के आंतरिक डेटा कैप्चर सिस्टम के माध्यम से कुछ डेटा एकत्र करती रहती हैं और इसके उपयोग से अधिक प्रभावी विपणन व राजस्व प्राप्त करती हैं, जो उनके व्यावसायिक लाभ के लिए अनुकूल है।

कुछ कंपनियां डेटा का उपयोग प्रतिस्पर्धियों पर नजर रखने, संभावित ग्राहकों को ट्रैक करने, ऐप्स बनाने, टॉप ट्रेंड्स में बने रहने के लिए भी करती हैं। डेटा का उपयोग कई बार इंटरनेट ऑफ थिंग्स के रूप में भी होता है। जैसे- स्मार्टवॉच, हृदय गति मापने वाला यंत्र या फिर कोई फिटनेस ऐप हमारे डेटा के अनुसार ही उसका विश्लेषण करके हमें निर्देश देता है।

सरकार एवं राजनीतिक दलों द्वारा भी नीति निर्माण योजनाओं तथा चुनावों में लाभ प्राप्त करने के लिए डेटा का उपयोग किया जाता है। सरकार इसके माध्यम से बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि के अवसर सृजित करती है और बेहतर कल्याणकारी योजनाएं लागू करती है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि डेटा का उपयोग हर क्षेत्र में व्यापक स्तर पर हो रहा है। कोविड के बाद के विश्व में इसके उपयोग में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। वित्त, विनिर्माण और विपणन जैसे क्षेत्रों में डेटा का मात्रात्मक मूल्य तेजी से बढ़ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि वर्तमान में मौजूद डेटा का 90% से अधिक केवल पिछले 2 वर्षों में बनाया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि डेटा वर्तमान युग में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका में है।

हम दुनिया भर में एक डेटा क्रांति देख रहे हैं जहां डेटा सांस लेने जितना महत्वपूर्ण हो गया है। आज के डिजिटल परिवेश की वास्तविकता यह है कि लगभग हर व्यक्ति द्वारा की गई किसी भी प्रकार की गतिविधि में डेटा का लेन-देन किसी न किसी रूप में शामिल होता है।

आज की दुनिया की कुछ सबसे बड़ी कंपनियां डेटा संचालित हैं। इंटरनेट ने पूरी तरह से नए व्यापारों को जन्म दिया है, जिसमें डेटा संग्रहण एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में उभरा है। इसे कुछ निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से समझा जा सकता है-

  • दुनिया की सबसे बड़ी टैक्सी कंपनी ‘उबर’के पास अपना कोई वाहन नहीं है।
  • फेसबुक दुनिया का सबसे पॉपुलर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है लेकिन वह स्वयं कोई कन्टेन्ट नहीं बनाता।
  • सबसे मूल्यवान रिटेलर अलीबाबा के पास अपनी कोई इन्वेंट्री या उत्पाद नहीं है।
  • एआईआरबीएनबी (Airbnb), जो दुनिया का सबसे बड़ा आवास प्रदाता है, के पास अपना कोई रियल एस्टेट नहीं है।
  • अमेजॉन (Amazon) कंपनी खुद कोई वस्तु नहीं बनाती, जबकि जेफ बेजोस दुनिया के 5 सबसे अमीर व्यक्तियों में शामिल हैं।

डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रत्येक स्तर पर डेटा का उपयोग व महत्व बढ़ता जा रहा है। इसी को देखते हुए भारत भी 21वीं सदी में देश को डिजिटल भारत के रूप में आकार दे रहा है। वर्तमान में भारत की डेटा अर्थव्यवस्था का क्षेत्र उतना व्यापक नहीं है, लेकिन भारत तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है, जिससे भविष्य में इसकी डेटा अर्थव्यवस्था में व्यापक रूप से वृद्धि होने की संभावना है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ‘डिजिटल इन इंडिया रिपोर्ट, 2019’ के अनुसार भारत में लगभग 504 मिलियन सक्रिय वेब यूजर्स हैं और भारत का ऑनलाइन बाजार चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। भारत डेटा के उपयोग के मामले में तीसरे स्थान पर है और साथ ही भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था विश्व के सबसे बड़े बाजारों में से एक है तथा इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था में अत्यधिक महत्व भी है। कोविड महामारी ने भी डिजिटल इकोनॉमी में आम जनमानस की भागीदारी बढ़ाने में बहुत योगदान दिया है। अतः इस डिजिटल क्रांति के महत्व को स्वीकारते हुए भारत सरकार ने भी डिजिटल इंडिया पहल की परिकल्पना और क्रियान्वयन किया है। विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था डिजिटल विश्व का नेतृत्व कर सकती है।

हमारी अर्थव्यवस्था इस तरह के डेटा को समझने और विश्लेषण करने के दौर से गुजर रही है। इसी के मद्देनजर भारत सरकार ने अपना स्वयं का ‘ओपेन डेटा पोर्टल’ लॉन्च किया है जहां विश्लेषण के लिए डेटा उपलब्ध है। डेटा की निरंतर बढ़ती जा रही मात्रा और रणनीतिक महत्व को देखते हुए डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए सरकार डेटा एनालिटिक्स के क्षेत्र में रिसर्च एवं अनुसंधान प्रदान करने में सहायता कर रही है।

आधुनिक डिजिटल युग में निश्चित ही डेटा एक मूल्यवान संसाधन है। कई विकसित राष्ट्र इस दिशा में प्रगतिशील प्रयास कर रहे हैं। अतः भारत को भी इसकी संभावनाओं को देखते हुए चुनौतियों को दूर करते हुए इस पर दृढ़ता से कार्य करने की आवश्यकता है। डिजिटल इंडिया के माध्यम से प्रौद्योगिकी व तकनीक में काफी सुधार हुआ है और भारत हर क्षेत्र में डिजिटल नवाचार का सशक्त केंद्र बन कर उभरा है। साथ ही उपरोक्त समाधानों के माध्यम से भारत डेटा अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल हो सकता है।