सामयिक

सामयिक खबरें :

भारत-चीन व्यापार असंतुलन

13 जनवरी, 2023 को चीन के सीमा शुल्क विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में भारत और चीन के बीच व्यापार 8.4 प्रतिशत बढ़कर 135.98 अरब डॉलर के अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया। पिछले साल यह आंकड़ा 125 अरब डॉलर था।

व्यापार घाटा पहली बार 100 अरब डॉलर के पार

  • आयात-निर्यात: वर्ष 2022 में भारत में चीन से आयात वार्षिक आधार पर 21.7 प्रतिशत बढ़कर 118.9 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
    • दूसरी तरफ, भारत से 2022 में चीन को निर्यात वार्षिक आधार पर 37.9 प्रतिशत घटकर 17.48 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया।
  • व्यापार घाटा: इससे भारत के लिए व्यापार घाटा 101.02 अरब डॉलर रहा और यह 2021 के 69.38 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है।

भारत में आयात में वृद्धि के कारण

  • भारत में मांग में सुधार (Recovery in demand in India),
  • मध्यवर्ती वस्तुओं का बढ़ता आयात (Increasing imports of intermediate goods), और
  • चिकित्सा आपूर्ति जैसे सामानों की नई श्रेणियों का आयात (Imports of new categories of goods such as medical supplies)।
  • पिछले कुछ वर्षों में, चीन से भारत के सबसे बड़े आयात में सक्रिय दवा सामग्री (Active pharmaceutical ingredients-APIs), रसायन (Chemicals), विद्युत और यांत्रिक मशीनरी (Electrical and mechanical machinery), ऑटो घटक (Auto components) और चिकित्सा आपूर्ति (Medical supplies) शामिल हैं।

व्यापार घाटा क्या है?

  • जब कोई देश निर्यात की तुलना में आयात अधिक करता है तो इस अंतर को व्यापार घाटे (Trade deficit) के रूप में जाना जाता है।
  • इसके विपरीत जब कोई देश आयात की तुलना में निर्यात अधिक करता है तो उसे व्यापार अधिशेष (Trade Surplus) कहते हैं।

प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2023 को केंद्रीय बजट 2023-24 के तहत 'प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन' (Pradhan Mantri PVTG Development Mission) की घोषणा की।

मुख्य विशेषताएं

  • लक्ष्य: विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार करना।
  • उद्देश्य: पीवीटीजी के परिवारों और बस्तियों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल व स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य व पोषण, सड़क व दूरसंचार कनेक्टिविटी तथा स्थायी आजीविका के अवसरों जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना।
  • वित्तीय आवंटन: सरकार ने अगले तीन वर्षों में इस मिशन को लागू करने के लिए 'अनुसूचित जनजातियों हेतु विकास कार्य योजना' के तहत 15,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs)

  • गृह मंत्रालय द्वारा 75 जनजातीय समूहों को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • पीवीटीजी 18 राज्यों तथा अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह संघ राज्य-क्षेत्र में रहते हैं।
  • आदिवासी समूहों में पीवीटीजी सबसे अधिक कमजोर हैं। वर्ष 1975 में भारत सरकार ने सबसे कमजोर जनजातीय समूहों को PVTGs नामक एक अलग श्रेणी के रूप में पहचानने की पहल की थी।
  • प्रारंभ में 52 जनजातीय समूहों को पीवीटीजी के रूप में वर्गीकृत किया गया तथा वर्ष 1993 में इस श्रेणी में 23 अतिरिक्त जनजातीय समूहों को शामिल किया गया, जिससे पीवीटीजी के तहत वर्तमान में 75 जनजातीय समूह हो चुके हैं।
  • 75 सूचीबद्ध पीवीटीजी में से सबसे अधिक संख्या ओडिशा (13) में पाई जाती है, इसके बाद आंध्र प्रदेश (12) है।

PVTGs के निर्धारण के मानदंड

इसके निर्धारण के लिए निम्नलिखित मानदंड हैं-

  1. प्रारंभिक-कृषि स्तरीय प्रौद्योगिकी (Pre-Agriculture Level of Technology)।
  2. स्थिर या घटती आबादी (Stagnant or Declining Population)
  3. अत्यधिक निम्न साक्षरता (Extremely Low Literacy)
  4. निर्वाह स्तरीय अर्थव्यवस्था (Subsistence Level of Economy)

विधानसभा अध्यक्षों का अखिल भारतीय सम्मेलन

11-12 जनवरी, 2023 के मध्य राजस्थान के जयपुर में 83वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन (83rd All India Presiding Officers Conference) आयोजित किया गया।

  • विधानसभा अध्यक्षों के इस सम्मेलन का उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा किया गया।

मुख्य बिंदु

  • 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन (AIPOC) में 9-सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव के तहत राष्ट्र के विधायी निकायों के माध्यम से 'कानून बनाने में भारत के लोगों की अहम भूमिका' के सन्दर्भ में अपने पूर्ण विश्वास की पुष्टि की गई।
  • साथ ही राज्य विधानसभाओं के मामलों के प्रबंधन में वित्तीय स्वायत्तता (financial autonomy) की प्राप्ति पर जोर दिया गया।
  • AIPOC ने यह भी संकल्प लिया कि सभी विधायी निकाय, अधिक दक्षता, पारदर्शिता और परस्पर जुड़ाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 'विधायी निकायों के राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड' (National Digital Grid for Legislative Bodies) में शामिल होने के लिए उचित कदम उठाएंगे।

83वें सम्मेलन में निम्नलिखित विषयों पर विचार विमर्श किया गया

  • जी-20 को नेतृत्व प्रदान करने में, लोकतंत्र के जनक के रूप में भारत की भूमिका।
  • संसद और विधान सभाओं को अधिक प्रभावी, जवाबदेह और सार्थक बनाने की आवश्यकता।
  • प्रदेश की विधान सभाओं को डिजिटल संसद (Digital Parliament) से जोड़ना।
  • संविधान में निहित भावना के अनुरूप विधायिका तथा न्यायपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाना।

सम्मेलन के बारे में

  • अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन (AIPOC) भारत में विधानमंडलों का सर्वोच्च निकाय है, जिसने 2021 में अपने सौ वर्ष पूरे किए हैं।
  • प्रथम सम्मेलन 1921 में शिमला में आयोजित किया गया था। जयपुर में यह सम्मेलन चौथी बार आयोजित किया गया।

अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण 2020-2021

29 जनवरी, 2023 को शिक्षा मंत्रालय द्वारा उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2020-2021 [All India Survey on Higher Education (AISHE) 2020-2021] के निष्कर्ष जारी किये गए।

  • सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2020-21 में देश भर में छात्र नामांकन में 2019-20 की तुलना में 7.5% की वृद्धि दर्ज की गई तथा कुल छात्र नामांकन (Total Student Enrolment) 4.13 करोड़ तक पहुंच गया।
  • सर्वेक्षण के बारे में: यह सर्वेक्षण विभिन्न मानकों पर विस्तृत सूचना जमा करता है, जैसे शिक्षार्थी नामांकन, शिक्षकों के आंकड़े, आधारभूत संरचना की सूचना, वित्तीय सूचना आदि।

सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्ष

  • विद्यार्थी नामांकन: उच्च शिक्षा में नामांकन 2019-20 के 3.85 करोड़ से बढ़कर 2020-21 में 4.14 करोड़ हुआ। वर्ष 2014-15 से नामांकन में लगभग 72 लाख (21%) की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। छात्राओं का नामांकन 2019-20 के 1.88 करोड़ से बढ़कर 2.01 करोड़ हो गया।
  • सकल नामांकन अनुपात: 18-23 आयु वर्ग के लिए सकल नामांकन अनुपात (GER) 2019-20 के 25.6 से बढ़कर 27.3 हो गया [2011 में हुए जनसंख्या आकलन के आधार पर]।
  • एससी वर्ग का नामांकन: 2019-20 में 56.57 लाख तथा 2014-15 में 46.06 लाख की तुलना में अनुसूचित जाति के छात्रों का नामांकन इस बार 58.95 लाख दर्ज किया गया है।
  • एसटी वर्ग का नामांकन: 2019-20 में 21.6 लाख और 2014-15 में 16.41 लाख की तुलना में अनुसूचित जनजाति (ST) छात्रों का नामांकन बढ़कर 24.1 लाख हो गया है।
  • नामांकन में शीर्ष राज्य: छात्र नामांकन संख्या के संदर्भ में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान क्रमशः 6 सर्वोच्च राज्य हैं।
  • संस्थानों की संख्या: पंजीकृत विश्वविद्यालयों एवं समकक्ष संस्थानों की कुल संख्या 1,113 तथा कॉलेजों की संख्या 43,796 दर्ज की गई है। सर्वाधिक विश्वविद्यालय राजस्थान (92), उत्तर प्रदेश (84) और गुजरात (83) में हैं।
  • अधिकतम कॉलेज सघनता वाले राज्य: कर्नाटक (62), तेलंगाना (53), केरल (50), हिमाचल प्रदेश (50), आंध्र प्रदेश (49), उत्तराखंड (40), राजस्थान (40), तमिलनाडु (40)।
  • कॉलेजों की अधिकतम संख्या वाले शीर्ष राज्य: इस मामले में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात शीर्ष 8 राज्य हैं

वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2023

11 जनवरी, 2023 को विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2023 (Global Risks Report 2023) जारी की गई।

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अगले दो वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं और चरम मौसमी घटनाओं के अपेक्षाकृत अधिक घटित होने की संभावना है|

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • सबसे गंभीर वैश्विक जोखिम: जलवायु परिवर्तन को कम करने में विफलता (Failure to Mitigate Climate Change) तथा जलवायु परिवर्तन अनुकूलन की विफलता (Failure of Climate Change Adaptation) वैश्विक स्तर पर देखी जा रही है, जो अगले एक दशक में सबसे गंभीर वैश्विक जोखिम के रूप में उभर सकती है|
    • अगले दो वर्षों में जीवन निर्वाह की लागत (Cost of living) शीर्ष वैश्विक जोखिम के रूप में उभर सकती है, जबकि जलवायु कार्रवाई की विफलता (Climate Action Failure) अगले एक दशक में शीर्ष वैश्विक चुनौती बन सकता है|
  • जैव विविधता: वैश्विक स्तर पर जैव विविधता हानि और पारिस्थितिक तंत्र का पतन तेजी से दर्ज किया जा रहा है। इसका कारण जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने (address climate change) से संबंधित जलवायु कार्रवाई की विफलता है|
  • उत्सर्जन लक्ष्य तथा वैश्विक तापन: विश्व के विभिन्न देशों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन किया जा रहा है, जिससे वायुमंडल में इनका सांद्रण रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है।
    • हरित गृह गैसों के उत्सर्जन कटौती से संबंधित वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने की संभावना कम है, जिसके कारण वैश्विक तापन के 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित होने की संभावना भी कम है।
  • शमन प्रयास: भू-राजनीतिक तनावों तथा संसाधनों की बढ़ती मांग ने शमन (Mitigation) प्रयासों की गति और पैमाने को कम कर दिया है।
    • उदाहरण के लिए, रूस-यूक्रेन संघर्ष के चलते यूरोप के विभिन्न देशों ने रूस से पेट्रोलियम पदार्थों के आयात में कमी कर दी है| ऑस्ट्रिया, इटली, नीदरलैंड और फ्रांस जैसे कुछ देशों द्वारा कोयला आधारित विद्युत स्टेशनों को फिर से शुरू किया गया है।
  • अधिक प्रभावित देश: प्राकृतिक आपदाओं या चरम मौसमी घटनाओं का प्रभाव निम्न और मध्यम आय वाले देशों पर अधिक होता है।
    • भारत सहित लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के विकासशील तटीय देशों के लिए प्राकृतिक आपदाएँ और चरम मौसमी घटनाएँ शीर्ष जोखिम के रूप में उभरी हैं।

भारत विशिष्ट अवलोकन

  • चरम मौसमी घटनाएं: 1 जनवरी, 2022 से 30 नवंबर, 2022 के बीच 334 दिनों में से 291 दिन चरम मौसमी घटनाएं दर्ज की गईं।
    • इसका अर्थ यह है कि इन 11 महीनों में 87 प्रतिशत से अधिक समय देश के किसी न किसी हिस्से में किसी न किसी प्रकार की चरम मौसमी घटना दर्ज की गई।
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तथा मौसमी घटनाओं का अंतर्संबंध: मानव-जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ने चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि की है। यह चरम घटनाओं तथा मानव जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के मध्य संबंध को दर्शाता है|

पीटी फैक्ट : विश्व आर्थिक मंच

  • स्थापना: 1971 में एक गैर-लाभकारी फाउंडेशन के रूप में।
  • मुख्यालय: स्विट्जरलैंड के जिनेवा में स्थित कोलॉनी (Cologny) नगर में।
  • स्वरूप एवं कार्य: यह सार्वजनिक-निजी सहयोग वाला एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो प्रमुख राजनीतिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक और समाज के अन्य नेताओं को वार्ता के लिए मंच प्रदान करता है।
    • यह मंच वैश्विक, क्षेत्रीय एजेंडे को आकार देने में सहायक है|
    • यह एक स्वतंत्र, निष्पक्ष संस्था है जो किसी विशेष हित से बंधा हुआ नहीं है।
  • प्रकाशित रिपोर्ट्स: विश्व आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित कुछ प्रमुख रिपोर्ट निम्नलिखित हैं-
    • वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता रिपोर्ट (Global Competitiveness Report)
    • ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट (Global Gender Gap Report)
    • वैश्विक जोखिम रिपोर्ट (Global Risk Report)
    • वैश्विक यात्रा एवं पर्यटन रिपोर्ट (Global Travel and Tourism Report)
    • वैश्विक सामाजिक गतिशीलता रिपोर्ट (Global Social Mobility Report)
    • मुख्य अर्थशास्त्री आउटलुक (Chief Economists Outlook)

शिकायत अपीलीय समितियों (GACs) का गठन

27 जनवरी, 2023 को केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया एवं अन्य इंटरनेट-आधारित प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ उपयोगकर्ताओं के शिकायतों के समाधान के लिए 3 शिकायत अपीलीय समितियों [Grievance Appellate Committees (GACs)] के गठन की अधिसूचना जारी की।

  • संशोधित आईटी नियम 2021 के तहत: इन शिकायत अपीलीय समितियों का गठन अक्टूबर 2022 में संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमावली, 2021 [Amendments to IT Rules, 2021] के तहत किया गया है।
  • कार्य संचालन की शुरुआत: ये समितियां 1 मार्च, 2023 से काम करना शुरू कर देंगी।

गठन एवं संरचना

  • सदस्य संख्या: तीन शिकायत अपीलीय समितियों में से प्रत्येक में एक पदेन अध्यक्ष एवं 2 पूर्णकालिक सदस्य होंगे।
  • कार्यकाल: पदभार ग्रहण करने की तिथि से 3 वर्ष की अवधि के लिए, या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो

पहली समिति

  • अध्यक्ष: राजेश कुमार (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारी)।
  • सदस्य:1. आशुतोष शुक्ला (सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी), 2. सुनील सोनी (पंजाब नेशनल बैंक के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक एवं मुख्य सूचना अधिकारी)।

दूसरी समिति

  • अध्यक्ष: विक्रम सहाय (सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में नीति एवं प्रशासन प्रभाग के प्रभारी संयुक्त सचिव)।
  • सदस्य:1. सुनील कुमार गुप्ता (भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त कमोडोर), 2. कवींद्र शर्मा [एल एंड टी इन्फोटेक लिमिटेड के पूर्व उपाध्यक्ष (परामर्श)]।

तीसरी समिति

  • अध्यक्ष: कविता भाटिया (इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में कार्यरत वरिष्ठ वैज्ञानिक)।
  • सदस्य:1. संजय गोयल (भारतीय रेलवे के पूर्व यातायात सेवा अधिकारी), 2. कृष्णगिरि रागोथमाराव (आईडीबीआई इंटेक के पूर्व प्रबंध निदेशक)।

प्रमुख कार्य

  • शिकायत अपील समितियां फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसी बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ यूजर्स की शिकायतों पर गौर करेंगी।
  • इन समितियों के पास इंटरनेट-आधारित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स द्वारा लिए गए कंटेंट मॉडरेशन-संबंधी निर्णयों की निगरानी करने और उन्हें रद्द करने का भी अधिकार होगा।

भारत-मिस्र द्विपक्षीय संबंध

74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सिसी (Abdel fateh al-sisi) को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया।


  • यह पहली बार है जब मिस्र के किसी राष्ट्रपति को यह सम्मान दिया गया है; उन्होंने 24 जनवरी से 26 जनवरी, 2023 के मध्य भारत की यात्रा की।
  • गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित परेड में मिस्र की एक सैन्य टुकड़ी ने भी भाग लिया।

दोनों देशों के संबंधों पर महत्वपूर्ण बिंदु

  • राजनीतिक संबंधों की स्थापना: 18 अगस्त, 1947 को दोनों देशों द्वारा राजनयिक संबंधों की स्थापना की संयुक्त रूप से घोषणा की गई। इसी क्रम में, वर्ष 1955 में भारत और मिस्र ने एक मित्रता संधि पर हस्ताक्षर किये।
  • गुटनिरपेक्ष आंदोलन: वर्ष 1961 में भारत और मिस्र ने यूगोस्लाविया, इंडोनेशिया एवं घाना के साथ गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement-NAM) की स्थापना की।
  • वर्तमान परिदृश्य: वर्ष 2016 में भारत और मिस्र ने राजनीतिक-सुरक्षा सहयोग, आर्थिक जुड़ाव, वैज्ञानिक सहयोग तथा लोगों के मध्य संबंधों का विकास करने वाले सिद्धांतों पर नई साझेदारी के निर्माण के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया।
  • रणनीतिक साझेदारी: भारत और मिस्र ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को 'रणनीतिक साझेदारी' (Strategic partnership) के रूप में विकसित करने पर सहमति व्यक्त की। इस रणनीतिक साझेदारी के रूप में राजनीतिक, रक्षा एवं सुरक्षा; आर्थिक जुड़ाव; वैज्ञानिक एवं शैक्षणिक सहयोग तथा सांस्कृतिक संबंधों के रूप में 4 क्षेत्रों की पहचान की गई है।
  • सांस्कृतिक संबंध: भारत एवं मिस्र ने 'प्रसार भारती' और मिस्र के 'राष्ट्रीय मीडिया प्राधिकरण' के मध्य विषय-सामग्री विनिमय तथा क्षमता निर्माण हेतु तीन वर्ष के लिये समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding-MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
    • वर्ष 1992 में काहिरा (मिस्र) में भारत के सहयोग से मौलाना आज़ाद सेंटर फॉर इंडियन कल्चर (Maulana Azad Center for Indian Culture-MACIC) की स्थापना की गई। इस केंद्र के माध्यम से दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • निवेश परिदृश्य: मिस्र द्वारा भारत से मेट्रो परियोजनाओं, स्वेज़ नहर आर्थिक क्षेत्र (Suez Canal Economic Zone), स्वेज़ नहर में द्वितीय चैनल (Second Channel in the Suez Canal) तथा मिस्र में एक नई प्रशासनिक राजधानी (New Administrative Capital) सहित अन्य बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं में निवेश हेतु सहयोग की मांग की जा रही है।
    • अब तक, 50 से अधिक भारतीय कंपनियों ने मिस्र में 3.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है।

अखिल भारतीय पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक सम्मेलन

22 जनवरी, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 57वें अखिल भारतीय पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक सम्मेलन (All India Conference of DG's and IG's of Police) में हिस्सा लिया।

  • आयोजन: 57वें अखिल भारतीय पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक सम्मेलन का आयोजन इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) द्वारा 20-21 जनवरी, 2023 के मध्य नई दिल्ली में किया गया।

मुख्य बिंदु

  • सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने पुलिस बलों को अधिक संवेदनशील बनाने और उन्हें उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित करने का सुझाव दिया।
  • प्रधानमंत्री ने पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के साथ-साथ जेल सुधार (prison reforms) का भी सुझाव दिया तथा अप्रचलित आपराधिक कानूनों (obsolete criminal laws) को निरस्त करने की सिफारिश की।
  • उन्होंने एजेंसियों के बीच डेटा विनिमय को सुचारु बनाने के लिए राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क के महत्व पर बल दिया।
  • भारत में पुलिस सुधार से संबंधित मुद्दे
  • औपनिवेशिक कानून
  • मामलों का बोझ
  • मानव संसाधन की कमी
  • पुलिस इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी
  • खराब कार्य परिस्थितियां
  • राजनीतिक हस्तक्षेप
  • हिरासत में होने वाली मौतें (Custodial Deaths)
  • यातना के खिलाफ स्पष्ट कानून का अभाव

आईएनएस वागीर पनडुब्बी

23 जनवरी, 2023 को स्कॉर्पीन श्रेणी की 5वीं स्टील्थ सबमरीन आईएनएस वागीर (INS Vagir) को नौसेना में शामिल किया गया।

  • सैंड शार्क (Sand Shark) के नाम से भी जानी जाने वाली इस पनडुब्बी को दिसंबर 2022 में भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था।
  • निर्माण: आईएनएस वागीर का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (Mazagon Dock Shipbuilders Limited-MDL) द्वारा फ्रांसीसी नेवल ग्रुप (French Naval Group) के सहयोग से किया गया है।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • विशेषता: वागीर एक कलवरी-श्रेणी (स्कॉर्पीन श्रेणी) की पनडुब्बी है। इस श्रेणी में प्रोजेक्ट-75 (Project-75) के तहत विकसित की जाने वाली 6 पनडुब्बियां शामिल हैं।
  • प्रोजेक्ट-75 के तहत पनडुब्बियां: इनमें से चार पनडुब्बियों-आईएनएस कलवरी (INS Kalvari), आईएनएस खांडेरी (INS Khanderi), आईएनएस करंज (INS Karanj) तथा आईएनएस वेला (INS Vela) को पहले ही नौसेना में शामिल किया जा चुका है। छठी पनडुब्बी आईएनएस वागशीर (INS Vagsheer) को अगले साल कमीशन किया जाएगा।
  • नामकरण: इसका नामकरण वर्ष 1973 एवं 2001 के मध्य नौसेना की सेवा करने वाली वागीर नामक एक पनडुब्बी के नाम पर किया गया है।
  • क्षमता एवं तकनीकी विवरण: पनडुब्बियों का यह वर्ग 'डीजल इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन सिस्टम' (Diesel Electric Transmission Systems) से युक्त है।
    • ये मुख्य रूप से हमलावर पनडुब्बियां (Attack submarines) अथवा 'हंटर-किलर' (Hunter-Killer) पनडुब्बियों के रूप में जानी जाती हैं। दूसरे शब्दों में इन्हें विरोधी नौसैनिक जहाजों को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

समतापमंडलीय ओजोन परत में सुधार

9 जनवरी, 2023 को अमेरिकी मौसम विज्ञान सोसायटी की 103वीं वार्षिक बैठक के दौरान समतापमंडलीय ओजोन परत (Stratospheric Ozone Layer) पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।

  • रिपोर्ट के अनुसार समताप मंडल की सुरक्षात्मक ओज़ोन परत में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जिससे सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों की मानवों तक सीधी पहुँच घटी है।
  • रिपोर्ट का शीर्षक: ओजोन क्षरण का वैज्ञानिक आकलन 2022 (Scientific Assessment of Ozone Depletion 2022)।
  • जारीकर्ता संस्थान/संगठन: ओजोन क्षयकारी पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (Montreal Protocol on Ozone Depleting Substances) के वैज्ञानिक मूल्यांकन पैनल की यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित विशेषज्ञों के एक दल द्वारा तैयार की गई है। इसे निम्नलिखित संगठनों के सहयोग से विकसित किया गया है-
    • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO),
    • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP),
    • नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA),
    • अमेरिकी वाणिज्य विभाग तथा
    • यूरोपीय आयोग।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • सुधार: विशेषज्ञों द्वारा किए गए आकलन के अनुसार, अगले 4 दशकों में समतापमंडलीय ओजोन का स्तर, 1980 के स्तर तक पहुँचने की संभावना है।
  • अंटार्कटिका: रिपोर्ट के अनुसार, यदि वर्तमान नीतियों को लागू करना जारी रखा जाता है, तो अंटार्कटिका के ऊपर स्थित विशाल ओजोन छिद्र 2066 तक ठीक हो सकता है|
  • आर्कटिक तथा शेष विश्व: समतापमंडलीय ओजोन का स्तर आर्कटिक के ऊपर 2045 तक तथा शेष वैश्विक स्तर पर 2040 तक 1980 के स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है|
  • सुधार का कारण: ओजोन परत में सुधार तथा ओजोन छिद्र के कम होने का प्रमुख कारण 1989 के मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का कार्यान्वयन तथा कुछ हानिकारक ओजोन क्षयकारी पदार्थ (Ozone Depleting Substances – ODS) का सफलतापूर्वक उन्मूलन है।
  • ODS उपयोग का वर्तमान स्तर: मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल द्वारा प्रतिबंधित लगभग 99 प्रतिशत पदार्थों का उपयोग नहीं हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ओजोन परत के स्तर में धीमी लेकिन निश्चित गति से सुधार हुआ है।

समतापमंडलीय ओजोन संस्तर

  • परिचय: ओजोन (तीन ऑक्सीजन परमाणुओं वाला एक अणु या O3) मुख्य रूप से ऊपरी वायुमंडल में समताप मंडलीय संस्तर में पाई जाती है, जो पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किमी. के बीच स्थित है।
    • महत्व: यह पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है। पराबैंगनी किरणों को त्वचा कैंसर तथा पौधों और जानवरों में कई अन्य बीमारियों और विकृतियों का कारण माना जाता है।
  • सामान्य अवस्था: सामान्यतः ओजोन समताप मंडल में अत्यंत कम सांद्रता में मौजूद है।

ओजोन छिद्र क्या है?

  • 1980 के दशक की शुरुआत में पहली बार ओजोन परत में क्षरण दर्ज किया गया था तथा यह गिरावट दक्षिणी ध्रुव पर कहीं अधिक स्पष्ट थी।
    • इसी समस्या को आमतौर पर ओजोन परत में ‘छिद्र’ के रूप में जाना जाता है, परन्तु वास्तव में यह ओजोन अणुओं की सांद्रता में कमी है।
  • क्षरण: कई प्रकार के रसायनों के निर्माण से ओजोन परत का क्षरण होता है। अंटार्कटिका पर वसंत के मौसम में रासायनिक प्रक्रियाओं से समताप मंडलीय ओजोन को सबसे अधिक नुकसान पहुंचता है।
    • उस क्षेत्र में मौजूद विशेष मौसम तथा रासायनिक स्थितियों के कारण भी ओजोन छिद्र का निर्माण होता है।

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल

  • ओजोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले विभिन्न पदार्थों जैसे क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) के उत्पादन तथा उपभोग पर नियंत्रण के उद्देश्य के साथ 1987 में एक अंतरराष्ट्रीय समझौता किया गया था। जिसे मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (Montreal Protocol) कहा गया।
  • मॉण्ट्रियाल प्रोटोकॉल लगभग 100 मानव निर्मित रसायनों, या 'ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थों' (ODS) की खपत और उत्पादन को नियंत्रित करने हेतु, एक ऐतिहासिक बहुपक्षीय पर्यावरण समझौता है।
  • यह विश्व की सबसे सफल अंतरराष्ट्रीय संधि है, जिसने ग्लोबल वार्मिंग की दर को सफलतापूर्वक धीमा किया है।
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