सामयिक
भारतीय अर्थव्यवस्था:
आत्मनिर्भर भारत 3.0
- 12 नवंबर 2020 को सरकार ने कोविड से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आत्मनिर्भर भारत 3.0 शुरू किया है
उद्देश्य
- रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने, तनावग्रस्त क्षेत्रों को सहायता प्रदान करने और आवास और बुनियादी ढांचागत क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत 3.0 की शुरुआत की गयी है। इसके तहत 12 घोषणाएँ की गई हैं।
आत्मनिर्भर भारत 3.0 के तहत 12 प्रमुख घोषणाएँ
1.आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना
- इसका लक्ष्य कोविड-19 रिकवरी चरण के दौरान रोज़गार के नए अवसरों के सृजन को प्रोत्साहित करना है।
- यह योजना 1 अक्टूबर, 2020 से प्रभावी होगी और 30 जून 2021 तक लागू रहेगी।
योजना के तहत नए कर्मचारी लाभार्थी होंगे
- EPFO-पंजीकृत संगठनों में रोज़गार से जुड़ने वाला कोई भी नया कर्मचारी 15,000 / रूपये से कम मासिक वेतन पर पंजीकृत है।
- जिनकी नौकरियां कोविड महामारी के दौरान 01.03.2020 से 30.09.2020 के बीच चली गयी थी और अब 01.10.2020 या उसके बाद कार्यरत हैं ऐसे EPF सदस्य 15000 / - रूपये से कम मासिक वेतन का आहरण करते हैं।
पात्रता मापदंड
- EPFO-पंजीकृत संगठन यदि सितंबर, 2020 तक कर्मचारियों के संदर्भ आधार पर नए कर्मचारी जोड़ते हैं वो इस योजना के हक़दार हैं। 30 जून 2021 तक चलने वाली इस योजना में-
- 50 कर्मचारियों वाले पंजीकृत संगठनों में न्यूनतम दो नए कर्मचारियों को जोड़ना होगा।
- 50 से अधिक कर्मचारियों वाले पंजीकृत संगठनों को कम से कम पांच नए कर्मचारियों को जोड़ना होगा।
केंद्रीय सरकार से सब्सिडी सहायता
- 1000 कर्मचारियों को रोज़गार देने वाले सगठन:कर्मचारी का योगदान (मजदूरी का 12%) और नियोक्ता का योगदान (मजदूरी का 12%) कुल मजदूरी का 24% है।
- 1000 से अधिक कर्मचारियों को नियुक्त करने वाले संगठन:केवल कर्मचारियों के EPF योगदान (EPF मजदूरी का 12%)।
- नए कर्मचारियों जो इसके पात्र होंगे उनके आधार नंबर से जुड़े ईपीएफओ खाते (UAN) में सब्सिडी क्रेडिट किया जाएगा।
2.आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (Emergency Credit Line Guarantee Scheme)
- यह MSMEs, व्यवसायों, MUDRA उधारकर्ताओं, और व्यक्तिगत (व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए ऋण) के लिए है।
- इस ऋण योजना के तहत, बैंक के.वी. कामथ समितिद्वारा सूचित किये गए 26 क्षेत्रों में से तनावग्रस्त क्षेत्रों को उधार दे सकेंगे।
- नई स्कीम में 1 साल की मोहलत और 5 साल की अदायगी होगी।
3.10 चैंपियन क्षेत्रों के लिए आत्मनिर्भर विनिर्माण उत्पादन लिंक्डप्रोत्साहन(Production Linked Incentive- PLI)
- घरेलू विनिर्माण की प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना के तहत 10 और चैंपियन सेक्टर को कवर किया जाएगा।
- दस सेक्टर-एडवांस सेल केमिस्ट्री बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक / टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स, ऑटोमोबाइल्स और ऑटो कंपोनेंट्स, फार्मास्यूटिकल्स ड्रग्स, टेलीकॉम और नेटवर्किंग प्रोडक्ट्स, टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स, फूड प्रोडक्ट्स, हाई एफिशिएंसी सोलर पीवी मॉड्यूल्स, वाइट गुड्स (White Goods- ACs & LED) और स्पेशलिटी स्टील।
- इससे अर्थव्यवस्था, निवेश, निर्यात और रोज़गार सृजन को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
4.पीएम आवास योजना – शहरी
- वित्त मंत्री ने पीएम आवास योजना (शहरी) के लिये 18,000 करोड़ रुपए के अतिरिक्त परिव्यय की घोषणा की है।जिसमें से 8000 करोड़ रूपये इस वर्ष पहले ही आवंटित किए गए हैं।
- यह 18 लाख घरों को पूरी तरह निर्मित करने में मदद करेगा। इसके अतिरिक्त 78 लाख नौकरियां पैदा करेगा तथा इस्पात और सीमेंट के उत्पादन और बिक्री में सुधार करेगा, जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था पर गुणक प्रभाव (a multiplier effect) पड़ेगा।
- पीएम आवास योजना-वर्ष 2022 तक शहरी क्षेत्रों में सभी के लिए आवास प्रदान करने के इरादे से वर्ष 2015 में शहरी मिशन शुरू किया गया था।
5.निर्माण और अवसंरचना के लिए सहायता - सरकारी निविदाओं (Government Tenders) पर बयाना राशि (Earnest Money Deposit-EMD) और प्रदर्शन सुरक्षा (Performance Security) में छूट
- ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस प्रदान करने और उन ठेकेदारों को राहत देने के लिए जिनका पैसा रोक दिया जाता है, सरकार द्वारा अनुबंधों (Contracts) पर परफॉर्मेंस सिक्योरिटी को 5-10% से घटाकर 3% कर दिया गया है।
- यह चल रहे अनुबंधों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का भी विस्तार करेगा।
- निविदाओं के लिएबयाना राशि(EMD)को हटाकर बिड सिक्योरिटी डिक्लेरेशन (Bid Security Declaration)शामिल जाएगा। सामान्य वित्तीय नियमों में यह छूट 31 दिसंबर, 2021 तक लागू रहेगी।
6.डेवलपर्स और घर खरीदारों के लिए आयकर राहत
- आईटी अधिनियम की धारा 43 CA के तहत रियल एस्टेट इनकम टैक्स में सर्कल रेट और एग्रीमेंट वैल्यू के बीच अंतर 10% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया है।
- यह 2 करोड़ रूपये (आवासीय योजना की घोषणा की तारीख से लेकर30 जून 2021 तक) तक आवासीय इकाइयों की प्राथमिक बिक्री के लिए है।
- 20% तक के परिणामी राहत को उक्त अवधि के लिए आईटी अधिनियम की धारा 56 (2) (x) के तहत इन इकाइयों के ख़रीददारों को भी अनुमति दी जाएगी।
- आयकर राहत से मध्यम वर्ग को घर खरीदने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।
7.इंफ्राऋणफाइनेंसिंग के लिए मंच (The Platform for Infra Debt Financing)
- भारत सरकार राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (National Investment and Infrastructure-NIIF) के ऋण मंच में 6,000 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश करेगी।
- यह राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष2025 तक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 1.1 लाख करोड़रुपये का ऋण प्रदान करने में मदद करेगा।
8.कृषि के लिए सहायता
- उर्वरक की खपत में काफी वृद्धि हो रही है, किसानों को आगामी फसल सीजन में उर्वरकों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने और उर्वरकों की आपूर्ति में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए 65,000 करोड़ रुपये प्रदान किए जा रहे हैं।
9.ग्रामीण रोज़गार के लिए बढ़ावा
- ग्रामीण रोज़गार उपलब्ध कराने के लिए प्रधान मंत्री गरीब कल्याण रोज़गार योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त परिव्यय दिया जा रहा है।
- इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद मिलेगी।
10.प्रोजेक्ट एक्सपोर्ट के लिए बढ़ावा
- भारतीय विकास और आर्थिक सहायता योजना (IDEAS योजना) के तहत परियोजना निर्यात को बढ़ावा देने के लिए EXIM बैंक को 3,000 करोड़ रूपये का प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
- यह EXIM बैंक को क्रेडिट विकास सहायता गतिविधियों की कड़ी को सुगम बनाने और भारत से निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
11.पूंजी और औद्योगिक उत्तेजना
- घरेलू रक्षा उपकरण, औद्योगिक बुनियादी ढांचे और हरित ऊर्जा पर पूंजी और औद्योगिक ख़र्च के लिए 10 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
12.कोविडवैक्सीन के लिए अनुसंधान एवं विकास अनुदान
- भारतीय कोविडवैक्सीन के अनुसंधान और विकास के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग को
- 900 करोड़ रुपये प्रदान किए जा रहे हैं।
महत्त्व
- सरकार द्वारा प्रदान किए गए ये उपाय बड़े नकदी हस्तांतरण (large cash transfers) के बजाय, सरकार की 'राजकोषीय रूढ़िवादिता (Fiscal Conservatism)' की विचारधारा को सुदृढ़ करते हैं।बड़े नकदी हस्तांतरण से विकास दर्शन केंद्र केएक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होता है जो घरेलू मांग को सहायता करता है, कंपनियों को रोज़गार उत्पन्न करने और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करता है, और साथ ही साथ फ़र्मों या व्यक्तियों गंभीर संकट में लाभ प्रदान करता है।
विश्लेषण
- सरकार के अनुसार, कोविड-19 महामारी से आयीराष्ट्रीयआपदामें लोगों का मदद करने के लिए सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज तक (आत्मनिर्भर 1.0 और आत्मनिर्भर 2.0 सहित) घोषित कुल प्रोत्साहन राशि29.87 लाख करोड़ रूपये है, जो राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद का 15% है।
- इसमें से 9% सकल घरेलू उत्पाद का प्रोत्साहन सरकार द्वारा प्रदान किया गया है।
- जबकि राजकोषीय प्रोत्साहन छोटा रहा है, मौद्रिक नीति बेहद आक्रामक रही है।
- फोकस में सुधारों की घोषणा से लेकर उनके प्रभावी कार्यान्वयन तक का विस्तार होना चाहिए।
- इसके अलावाकरों, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नियमों और छोटे व्यवसायों के बकाये के भुगतान के संबंध में नीति निश्चितता के वातावरण को विकसित करना निजी पूंजीगत व्यय चक्र (Private Capital Spending Cycle) को शुरू करने पर सार्थक प्रभाव डाल सकता है।
- कोविड-19 महामारी के बुरे प्रभाव से आर्थिक पलटाव, अधिकांश विश्लेषकों ने भविष्यवाणी की तुलना में अधिक मज़बूत लगता है।
- चौथी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) का अनुमान पहले ही कई संस्थानों द्वारा अनुमानित किया जा चुका है। सरकार को उम्मीद होगी कि उच्च आवृत्ति डेटा (High-Frequency Data)को आगे जीडीपी उत्थान में बदलाजाए।
- आत्मानिर्भर भारत 3.0 के तहत घोषित किए गए उपाय व्यावहारिक और विशिष्ट हैं अतः उस विषय की मदद करनी चाहिए जिसके लिए इसे लाया गया है।
ADB ने भारत आईएनएक्स पर मसाला बॉण्ड की सूची दी
- 25 फरवरी-2020 कोएशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने गुजरात के GIFT सिटी में इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज (INX) के ग्लोबल सिक्योरिटीज मार्केट (GSM)पर अपने 10 साल के 850 करोड़ रूपये के मसाला बॉण्ड को सूचीबद्ध किया।
- इसके मुनाफ़े का उपयोग भारत में स्थानीय मुद्रा उधार और निवेश में मददकरने के लिए किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- भारत आईएनएक्स का प्राथमिक बाजार प्लेटफॉर्म,‘जीएसएम’ ने 2018 में अपनी स्थापना के बाद से महत्वपूर्ण रुचि को विकसित किया है इसमें अब तक स्थापित 48 बिलियन डॉलर से अधिक के मध्यम अवधि के नोट (medium-termnotes) और 21 बिलियन डॉलर से अधिक के बॉण्ड दर्ज हैं।
- ADB का मसाला बॉण्ड लक्ज़मबर्ग एक्सचेंज और भारत INX दोनों पर सूचीबद्ध हैं।
- भारत INX में सूचीगत नियमों और प्रक्रियाओं को वैश्विक मानकों के आधार पर बनाया गया है ताकि बाजार को तेज और कुशल बनाया जा सके।
- बॉण्ड को अमेरिका (21 प्रतिशत) और यूरोप (79 प्रतिशत) मेंनिवेशकों को बांटे गए, जिसमें 28 प्रतिशत बैंकों के पास और 72 प्रतिशत फंड मैनेजरों के पास थे।
इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज लिमिटेड (India INX)
- INX, भारत का अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) में पहला अंतर्राष्ट्रीय एक्सचेंज है। यह गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस-टेक सिटी (GIFT) में स्थित है।
- भारत आईएनएक्स, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है।
- एक्सचेंज दुनिया में सबसे तीव्र उन्नत तकनीकी EUREX T7 से परिचालितहै, जिसकी समयाविधि 4 माइक्रो सेकंड है।
- एक्सचेंज अपने सभी परिसंपत्ति वर्गों के लिए एकल खंड दृष्टिकोण (single segment approach) प्रदान करता है - प्रतिभागियों को महत्वपूर्ण लागत लाभ प्रदान करते हुए शेयर (equities), मुद्राएं(currencies), माल(commodities), निश्चित आय प्रतिभूतियां (fixed income securities)।
प्रभाव
- यह पहली बार है जब एक ऐसी शक्ति जो दूसरे देशों की राजनीती व सीमाओं को प्रभावित करती हैं औरएक विदेशी जारीकर्ता,भारत INX को प्राथमिक सूची में दर्ज कर रहा है। यह भारतीय और विदेशी जारीकर्ताओं द्वारा फंड जुटाने के लिए GIFT IFSC को एक वैश्विक केंद्र बनाने में और मदद करेगा।
मसाला बॉण्ड क्या हैं?
- मसाला बॉण्ड वे बॉन्ड होते हैं, जो भारतीय कंपनियों द्वारा (रुपये में)विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं, जिसका उद्देश्य परियोजनाओं के लिए धन को आकर्षित करना होता है।
- चूंकि ये बांड भारत के बाहर जारी किए गए हैं, इसलिए वे बाजारों में अमेरिकी डॉलर (USD) में होते हैं।
- इस शब्द का प्रयोगअंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) द्वारा विदेशी प्लेटफार्मों पर भारत की संस्कृति और पाक-प्रणाली को लोकप्रिय बनाने के लिए किया गया था।
- पहला मसाला बॉण्ड IFC द्वारा नवंबर 2014 में जारी किया गया था, जब ये भारत में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (infrastructure projects in India) को निधि देने के लिए 1,000 करोड़ के बॉण्ड जुटाए थे।
- इन बॉण्डों को जारी करने की रूपरेखा बाहरी वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowings-ECB) नीति के अंतर्गत आती है।
इन बॉण्डों को कौन जारी करता है?
- कोई भी कॉर्पोरेट या कॉर्पोरेट निकाय, भारतीय बैंक, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REITs) और इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट (InvITs) इन बॉन्डों को जारी करने के लिए पात्र हैं।
- हालांकि सीमित देयता भागीदारी (Limited Liability Partnerships) और साझेदार कंपनियां (Partnership firms) जैसी निवासी संस्थाएं (Resident entities) इन बांडों को जारी करने के लिए पात्र नहीं हैं।
ये बॉण्ड कहाँ जारी किए जा सकते हैं और कौन सदस्यता ले सकता है?
- मसाला बॉण्ड केवल उन देशों में जारी किए जा सकते हैं, जिनके पास वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force - FATF) की व्यवस्था है। अथवा एक FATF-शैली क्षेत्रीय निकाय के सदस्य के साथ-साथप्रतिभूतियों का बाजार नियामक (securities market regulator) है जो कि अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग (IOSCO) का एक हस्ताक्षरकर्ता होता है। अथवा सूचना साझा करने की व्यवस्था के लिए सेबी के साथ द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षरकर्ता है।
- ऐसे देशों के निवासी बॉण्ड की सदस्यता ले सकते हैं, यह बहुपक्षीय और क्षेत्रीय वित्तीय संस्थानों द्वारा भी सदस्यता ली जा सकती है जहां भारत एक सदस्य देश है।
इन बॉण्डों में निवेश करने के लिए कौन पात्र है?
- भारत के बाहर के निवेशक जो भारतीय परिसंपत्तियों में निवेश करना चाहते हैं, वे मसाला बांड में निवेश कर सकते हैं।
- एचडीएफसी, एनटीपीसी और इंडियाबुल्स हाउसिंग जैसी भारतीय संस्थाओं ने मसाला बॉन्ड के माध्यम से धन जुटाया है।
ऐसे बॉण्डों की न्यूनतम परिपक्वता अवधि क्या है?
- आरबीआई के अनुसार ,मसाला बॉण्ड के लिए न्यूनतम परिपक्वता अवधि (minimum maturity period)में 50 मिलियन अमरीकी डालर के बराबर होनी चाहिए, जबकि एक वित्तीय वर्ष 3 साल का होना चाहिए। यही 50 मिलियन अमरीकी डॉलर के बराबर भारतीय रूपये के लिए प्रति वित्त वर्ष में 5 साल होना चाहिए।
- ऐसे बॉन्ड के लिए रूपांतरण बाजार दर पर होता है जो बॉन्ड के निर्गम और सर्विसिंग (issue and servicing) के लिए किए गए लेनदेन के निपटारे की तारीख को तय होता है, इसमें इसका मोचन (redemption) भी शामिल है।
मसाला बॉण्ड के क्या फायदे हैं?
अर्थव्यवस्था को लाभ
- मसाला बॉण्ड भारतीय रुपये का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने व भारतीय वित्तीय प्रणालीऔर अर्थव्यवस्था को क़ीमत देने में मदद करते हैं।
- रूपयों की उपलब्धता में सरलता उत्पन्न करने वाले ऋण बाजार, वित्तीय स्थिरता को प्रोत्साहित करते हैं।
- यह फुटकर बचतकर्ताओं द्वारा अपनी रुपया संरचना बढ़ाकर बॉण्ड में निवेश के लिए नए रास्ते खोलने में मदद करते हैं।
- ये बॉण्ड भारतीय अर्थव्यवस्था और मुद्रा में विदेशी निवेशकों के विश्वास को बनाने में मदद करते हैं जो देश में विदेशी निवेश को मजबूत करेगा।
जारीकर्ता को लाभ
- इन बॉण्ड को जारी करने वाले को मुद्रा के उतार-चढ़ाव के जेखिम के ख़िलाफ़ परिरक्षित किया जाता है, जो आमतौर पर विदेशी मुद्रा में उधार लेने से जुड़ा होता है। सरल शब्दों में, जैसा कि मसाला बॉन्ड रुपए-मूल्य वाले बॉण्ड हैं, जोखिम सीधे निवेशक के पास जाता है।
निवेशकों को लाभ
- निवेशक अधिक पैसा कमा सकता है क्योंकि विकसित देशों की तुलना में मसाला बॉण्ड की ब्याज दर अधिक है।
ब्लू इकोनॉमी (नीली अर्थव्यवस्था) पर भारत-नॉर्वे टास्क फोर्स
- 19 फरवरी-2020 को भारत ने नॉर्वे के साथ मिलकर नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) पर भारत-नॉर्वे टास्क फोर्स स्थापित किया गया, जो दोनों देशों के सतत विकास को बढ़ावा देगा.
पृष्ठभूमि
- ब्लू अर्थव्यवस्था पर टास्क फोर्स के विचार को जनवरी-2019 में नार्वे के प्रधान मंत्री की यात्रा के दौरान प्रस्तुत किया गया था.
- दोनों देशों ने भारत-नॉर्वे महासागरीय वार्ता और 'ब्लू इकोनॉमी' पर संयुक्त टास्क फ़ोर्स की स्थापना करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जो ब्लू-इकॉनोमी के विभिन्न पहलुओं में बहु-क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देगा.
प्रमुख बिंदु
- टास्क फोर्स का उद्देश्य दोनों देशों के मध्य संयुक्त पहलों को विकसित करना और उनका पालन करना है.महासागरों में स्थायी तरीके से संसाधनों का प्रबंधन करना द्विपक्षीय सहयोग का इरादा है.
- इसका अंतिम लक्ष्य महासागर आधारित उद्योगों में स्थायी मूल्य निर्माण और रोजगार को बढ़ावा देना है.
- उच्चतम स्तर पर भारत व नॉर्वे दोनों देशों के प्रासंगिक हितधारकों (relevant stakeholders) को जुटाने की क्षमता, ब्लू इकोनॉमी पर भारत-नॉर्वे संयुक्त कार्य बल की ताकत व मूल्य है तथा यह मंत्रालयों और एजेंसियों में निरंतर प्रतिबद्धता और प्रगति सुनिश्चित करता है.
- दोनों देशों ने एकीकृत महासागर प्रबंधन और अनुसंधान पर एक नए सहयोग की भी शुरुआत की.
नीली अर्थव्यवस्था (BlueEconomy)
- यह विचार गुंटर पाउली ने अपनी 2010 की पुस्तक- "द ब्लू इकोनॉमी: 10 ईयर्स, 100 इनोवेशन, 100 मिलियन जॉब्स" में पेश किया था.
- ‘ब्लू इकोनॉमी’ शब्द को पहली बार 2012 के रियो शिखर सम्मेलन के दौरान छोटे विकासशील द्वीपीय राज्यों (SIDS) और अन्य तटीय देशों के प्रतिनिधियों द्वारा गढ़ा गया था.
- ब्लू इकोनॉमी का लक्ष्य व्यवसाय से आगे बढ़कर आर्थिक विकास और महासागरों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावों का विचार करना है.
- यह आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश, और आजीविका के संरक्षण या सुधार को बढ़ावा देना चाहता है, साथ ही साथ महासागरों और तटीय क्षेत्रों की पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करता है.
- इस संदर्भ में ये क्षेत्र जलवायु परिवर्तन, आजीविका, वाणिज्य तथा सुरक्षा से संबंधित विभिन्न संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं.
- सतत विकास लक्ष्य (SDG) 14, सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण और निरंतर उपयोग का इरादा रखता है.
ब्लू इकोनॉमी के घटक
- ब्लू इकोनॉमी में विविध घटक हैं.जिनमें मत्स्य, पर्यटन, और समुद्री परिवहन जैसे स्थापित पारंपरिक महासागरीय उद्योग शामिल हैं.लेकिन साथ ही नई और उभरती हुई गतिविधियाँ, जैसे अपतटीय नवीकरणीय ऊर्जा, मत्स्य पालन (aquaculture), समुद्री सतह पर प्राप्त गतिविधियाँ (seabed extractive activities),और समुद्री जैव-प्रौद्योगिकी और जैव-पूर्वेक्षण इत्यादि भी ब्लू इकोनॉमी के महत्वपूर्ण घटक हैं.
- ब्लू इकोनॉमी के घटकों के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए, निम्न गतिविधियों की आवश्यकता है:
- वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए सामाजिक और आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं.
- समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की विविधता, उत्पादकता, लचीलापन, मुख्य कार्य और आंतरिक मूल्य को बहाल, संरक्षित और बनाए रखना.
- स्वच्छ प्रौद्योगिकियों, नवीकरणीय ऊर्जा, और वृत्ताकार सामग्री के प्रवाह पर आधारित होना जो अपशिष्ट को कम करेगा और सामग्रियों के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देगा.
Components of Blue Economy
नीली अर्थव्यवस्था का महत्व
खाद्य सुरक्षा की कुंजी
- मत्स्यउद्द्योग एक महत्वपूर्ण महासागरीय संसाधन है जो ब्लू इकोनॉमी का मूल है. यह सैकड़ों लाखों लोगों को भोजन प्रदान करता है और तटीय समुदायों की आजीविका के लिएएक बड़ी संभावना है. यह खाद्य सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन को सुनिश्चित करने और व्यापार के अवसरों में बहुत योगदान देता है.
अक्षय महासागरीय ऊर्जा का अपार स्रोत
- दुनिया की आबादी 2050 में अनुमानित 9 बिलियन लोगों तक बढ़ने की उम्मीद है, जो वर्तमान आबादी से 1.5 गुना अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप जीवाश्म ईंधन पर देशों की मांग में वृद्धि हुई है.
- इस परिदृश्य में, ब्लू इकोनॉमी स्वच्छ ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत हो सकता है जिसमें ज्य़ादा मात्रा में नवीकरणीय ऊर्जा का दोहन नहीं होता है.
तटीय पर्यटन के अवसर
- तटीय पर्यटन, ब्लू इकोनॉमी का एक प्रमुख क्षेत्र हैजो रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में बड़ी संभावनाएं प्रस्तुत करता है.
- सतत तटीय पर्यटन,छोटे स्तर पर मछली पकड़ने वाले समुदायों की आजीविका तथा उनके संरक्षण में मदद कर सकता है.पर्यावरण की रक्षा कर सकता है और स्थायी आर्थिक विकास में सकारात्मक योगदान दे सकता है.
पोत परिवहन,बंदरगाहों का बुनियादी ढांचा और संभार तंत्र
- बंदरगाह और समुद्री परिवहन क्षेत्र ब्लू इकोनॉमी के तहत महत्वपूर्ण प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक है.
- वैश्विक व्यापार के लिए समुद्र, परिवहन का एक लागत प्रभावी और कार्बन-अनुकूल साधन है. लगभग 90 प्रतिशत विश्व व्यापार समुद्री मार्गों से होता है.
समुद्री सतह का खनन
- घटती अंतर्देशीय खनिज संपदा और बढ़ती औद्योगिक माँगों के साथ, खनिज पदार्थों की खोज और समुद्री सतहों के खनन पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है.
- गहरे समुद्र की खुदाई को ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए एक संभावित क्षेत्र के रूप में देखा जाता है.समुद्री सतह में खनिज होते हैं जो तटीय राष्ट्रों केविशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र की सीमाओं से परे दोनों में आर्थिक विकास के लिए तेजी से विकसित होने वाले अवसर का प्रतिनिधित्व करते हैं.
समुद्री उद्योग
- समुद्री विनिर्माण, अपतटीय स्रोतों से बिजली उत्पादन, गैस और पानी ब्लू इकोनॉमी के औद्योगिक क्षेत्रों का गठन करते हैं. समुद्री विनिर्माण क्षेत्र में नाव निर्माण, पाल बनाना, जाल बनाना, नाव और जहाज की मरम्मत, समुद्री उपकरण, जलीय कृषि प्रौद्योगिकी, समुद्री औद्योगिक इंजीनियरिंग, आदि गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है.
समुद्री जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास
- समुद्री जैव-प्रौद्योगिकी (या ब्लू टेक्नोलॉजी) को पर्यावरण-टिकाऊ और अत्यधिक कुशल समाज के निर्माण में योगदान के कारण यहबहुत रुचि और क्षमता का क्षेत्र माना जाता है.
- एक मूल पहलू मत्स्य पालन से संबंधित है, जिससे नई कार्यप्रणाली में मदद मिलेगी. जैसे- प्रजातियों के चुनिंदा प्रजनन,उत्पादन की स्थिरता में वृद्धि,और पशु कल्याणमें बढ़ावा, खाद्य आपूर्ति में समायोजन, निवारक उपचारात्मक उपायों (preventive therapeutic measures) और शून्य-अपशिष्ट पुनर्चक्रण प्रणालियों के उपयोग (use of zero-waste recirculation systems) इत्यादि.
ब्लू इकोनॉमी को चुनौती
समुद्री संसाधनों का अवहनीय दोहन
- समुद्री संसाधनों का निरंतर अवहनीय निष्कर्षण, जैसे कि तकनीकी में हुए सुधार और मांग में बढ़त के परिणामस्वरूप अनवरत मछली पकड़ना, जबकि भंडारण का प्रबंधन बेहद खराब है.
- खाद्य और कृषि संगठन (FAO) का अनुमान है कि लगभग 57 फीसदी मछली स्टॉक एकदम घटिया है और अन्य 30 फीसदीकम घटिया हैं या ठीक हो रहे हैं.
- अवैध, बिना लाइसेंस के, और अनियमित रूप से मछली पकड़ने से मछली के स्टॉक का और अधिक दोहन होता है. ये सालाना 11 से 26 मिलियन टन मछली पकड़ते हैं जिसका राजस्व गैरकानूनी रूप से या बिन दस्तावेज़ के लगभग 10-22 बिलियन अमेरिकी डॉलर है.
समुद्री पारिस्थितिकी के लिए खतरा
- बड़े पैमानें पर तटीय विकास, वनों की कटाई और खनन के कारण समुद्री और तटीय आवासों और परिदृश्यों का भौतिक परिवर्तन और विनाश हो रहा है. समुद्र तटीय कटाई, बुनियादी ढांचे और आजीविका को भी नष्ट कर देता है.
- समुद्र के संकीर्ण तटीय क्षेत्रों व निकटवर्ती क्षेत्रों में अनियोजित और अनियंत्रित विकास की वज़ह से क्षेत्रों का अतिव्यापी उपयोग होता है, जिससे महत्वपूर्ण स्थानों का नुकसान होता है और गरीब समुदायों को हाशिए पर धकेल दिया जाता है.
समुद्री प्रदूषण
- अनुपचारित गंदे नालों कृषि संबंधित प्रदूषित तत्वों के अपवाह और प्लास्टिक जैसे समुद्री मलबोंके कारण समुद्री जल लगातारप्रदूषित हो रहा है.
जलवायु परिवर्तन
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, उदाहरण के लिए समुद्री सतह का बढना वअधिक तीव्र होना और मौसमी घटनाएं ब्लू इकोनॉमी के लिए प्रमुख चुनौतियां हैं. समुद्र के तापमान में परिवर्तन और अम्लता पहले से ही समुद्री जीवन, निवास स्थान और उन पर निर्भर समुदायों के लिए खतरा है.
अनुचित और अनियंत्रित व्यापार व्यवहार
- कई बार मछली पकड़ने के समझौते देश के एक विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) को विदेशी संचालकों तक पहुंच प्रदान करते हैं. ये ऑपरेटर, राष्ट्रीय हितधारकों को मछली पकड़ने के विशिष्ट ज्ञान के हस्तांतरण को प्रतिबंधित करते हैं, जिससे राष्ट्रीय ऑपरेटरों द्वारा मत्स्य निर्यात राजस्व का कम विनियोग होता है. इसलिए लंबे समय में उन संसाधनों के राष्ट्रीय दोहन की संभावना कम हो जाती है.
भारत में नीली अर्थव्यवस्था
- तीन तरफ से पानी से घिरा होने के बावजूद भारत तकनीकी प्रगति और कुशल जनशक्ति की कमी के कारण अपने समुद्री संसाधनों का उपयोग करने में असमर्थ है.
- भारत,ब्लू अर्थव्यवस्था को उच्च प्राथमिकता मानती है. भारत सरकार का यह एक एकीकृत समुद्री विकास कार्यक्रम है जिसे सागरमाला कार्यक्रम कहा जाता है जो सरकार की समुद्री दृष्टि पर केंद्रित है.
- दूसरी ओर, डीप ओशन मिशन का उद्देश्य भारत के दायरे में आने वाले 75,000 वर्ग किमी के समुद्री विस्तार का पता लगाना है.
सागरमाला कार्यक्रम
- यह 2015 में घोषित किया गया था और इसका उद्देश्य व्यापार के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक समुद्री संपर्क स्थापित करके तटीय क्षेत्रों को आर्थिक केन्द्रों में परिवर्तित करना. भारत में बंदरगाह के नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देना इसका व्यापक उद्देश्य है.
सागरमाला कार्यक्रम के घटक
- बंदरगाहों का आधुनिकीकरण और नए बंदरगाहों का विकास: अड़चनों को ख़त्म कर और मौजूदा बंदरगाहों की क्षमता का विस्तार और नए ग्रीनफील्ड बंदरगाहों का विकास.
- बंदरगाहों से संपर्क बढ़ाना: बंदरगाहों से आतंरिक इलाकों का संपर्क बढ़ाना तथा सामानों के लेकर होने वाली गतिविधियों की लागत और समय को अनुकूलित करने के लिए घरेलू जलमार्गों (अंतर्देशीय जल परिवहन और तटीय पोत परिवहन) सहित विभिन्न साभार तंत्रों से संपर्क स्थापित करना.
- बंदरगाहों से जुड़े उद्द्योगों का विकास: बंदरगाहों के समीप औद्योगिक क्लस्टर और तटीय आर्थिक क्षेत्र विकसित करना जिससे निर्यात-आयात के रसद (logistics) में लागत व समय की बचत होगी.
- तटीय सामुदायिक विकास: मत्स्य विकास, तटीय पर्यटन, कौशल विकास व आजीविका उत्पादन गतिविधियोंआदि के माध्यम से तटीय समुदायों के सतत विकास को बढ़ावा देना.
- तटीय नौवहन और अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन: टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल तटीय और अंतर्देशीय जलमार्ग तरीके से माल (सामान) को स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित करना.
स्वतंत्र निदेशकोंका डेटाबैंक शुरू
- 2 दिसंबर, 2019 को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार स्वतंत्र निदेशकों डेटाबैंक लॉन्च किया।
लक्ष्य
- संस्थान के स्वतंत्र निदेशकों को मजबूत करना
पृष्ठभूमि
- 22 अक्टूबर 2019 को MCA ने स्वतंत्र निदेशकों के लिए डेटाबैंक के निर्माण और रखरखाव से संबंधित अधिसूचनाएं जारी कीं। ये निम्नलिखित से संबंधित हैं:
- कंपनियों की अधिसूचना (स्वतंत्र निदेशकों के डेटाबैंक का निर्माण और रखरखाव) नियम, 2019
- बोर्ड की रिपोर्ट में अतिरिक्त खुलासा
- स्वतंत्र निदेशकों के डेटाबैंक के लिए संस्थान का गठन
- स्वतंत्र निदेशकों द्वारा अपेक्षित शिकायतें
डाटाबैंक की जरूरत
- हाल के दिनों में, कई कंपनियों के स्वतंत्र निदेशक, कंपनियों के असफल और डिफ़ॉल्ट होने के संबंध में कई लोग नियामक लेंस के तहत आए हैं | जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के डिफॉल्ट मामले में |
- इन विफलताओं ने इस समस्या को उजागर किया कि निर्देशकों को अपनी विवेकाधीन जिम्मेदारियों के बारे में अधिक जागरूकता की कमी है एवं उन्हें जागरूक बनाने की आवश्यकता है।
डाटाबैंक के बारे में
- डाटाबैंक एक पोर्टल हैजिसे कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के लिए भारतीय संस्थान, आईआईसीए, द्वारा विकसित किया गया है और इसका रखरखाव भी इसी के द्वारा किया जाएगा।
- कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 150 में यह प्रावधान है कि केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित कोई भी व्यक्ति, संस्थान या एसोसिएशन द्वारा बनाए गए डेटाबैंक से एक स्वतंत्र निदेशक का चयन किया जा सकता है।
- यह मौजूदा के साथ-साथ स्वतंत्र निदेशकों के योग्य पात्र व्यक्तियों के डाटाबेस के रूप में काम करेगा।
- डेटाबैंक में उन व्यक्तियों के नाम, पते और योग्यताएं शामिल होंगी जो स्वतंत्र निदेशकों के रूप में कार्य करने के लिए पात्र और इच्छुक हैं।
- वर्तमान स्वतंत्र निदेशकों को एक मूल ऑनलाइन प्रवीणता स्व-मूल्यांकन परीक्षा पास करना आवश्यक है जो मार्च 2020 से उपलब्ध होगा।
- MCA ने स्वतंत्र निदेशकों के संस्थान को मजबूत करने और एजेंट ऑफ चेंज के रूप में कार्य करने के लिए कुशल पेशेवरों का एक पूल बनाने के माध्यम से इसकी प्रभावशीलता को बढ़ाने के महत्व को महसूस किया है।
महत्ता
- ज्ञान प्राप्त करने, नए कौशल विकसित करने, उनकी समझ का आकलन करने और सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करने में मदद करने के लिए व्यक्तियों को एक मंच प्रदान करेगा।
- कॉरपोरेट गवर्नेंस, विनियामक ढांचे, वित्तीय विवेक और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं से संबंधित विषयों पर ई-लर्निंग पाठ्यक्रम प्रदान करके व्यक्तियों की क्षमता निर्माण में मदद करेगा।
- स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति के लिए अवसरों और कॉर्पोरेट की तलाश करने वाले व्यक्तियों का इको-सिस्टम बनाने में मदद करेगा। सहकारी समितियां सही कौशल और दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्तियों के साथ खोजऔरचयन के लिए खुद को डेटाबैंक में पंजीकृत कर सकती हैं।
स्वतंत्र निदेशक (Independent Director - ID)
भूमिका
महत्ता
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कंपनी अधिनियम, 2013
- कंपनी अधिनियम 2013 भारत में निगमन, विघटन और कंपनियों को चलाने वाला कानून है जो 12 सितंबर, 2013 को पूरे भारत में लागू हुआ ।
- कंपनी अधिनियम 2013, शासन, ई-प्रबंधन, अनुपालन और प्रवर्तन, प्रकटीकरण मानदंडों, लेखा परीक्षकों और विलय और अधिग्रहण से संबंधित प्रावधानों में महत्वपूर्ण बदलाव पेश करता है।
उद्देश्य
- कंपनियों से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करना।
प्रमुख विशेषताऐं
- प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए अनुमत अधिकतम सदस्यों (शेयर धारकों) को 50 से बढ़ाकर 200 कर दिया गया है।
- अधिनियम की धारा 135 कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रावधान करता है।
- यह कंपनी कानून न्यायाधिकरण और कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना करता है ।
संशोधन
- 31 जुलाई, 2019 को, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2019 पेश किया।
- इसका उद्देश्य कंपनी अधिनियम, 2013 में निहित कॉर्पोरेट प्रशासन नियमों और अनुपालन प्रबंधन को मजबूत करने के लिए अधिक जवाबदेही और बेहतर प्रवर्तन सुनिश्चित करना है।
उच्च स्तरीय सलाहकार समूह (एचएलएजी) रिपोर्ट
- हाल ही में, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने उच्च स्तरीय सलाहकार समूह (एचएलएजी) की रिपोर्ट जारी की।
- मौजूदा वैश्विक व्यापार परिदृश्य में चुनौतियों और अवसरों का पता लगाने के लिए सुरजीत एस भल्ला के नेतृत्व में एचएलएजी का गठन सितंबर, 2018 में किया गया था।
सदस्य
- सुब्रमण्यम जयशंकर, राजीव खेर, संजीव सान्याल, आदिल जैनुल भाई, हर्षवर्धन सिंह, शेखर शाह, विजय चौथावले, पुलोक घोष, जयंत दासगुप्ता, राजीव के लूथरा, चंद्रजीत बनर्जी।
उद्देश्य
- वैश्विक परिदृश्य का आकलन करने और वैश्विक व्यापार एवं सेवाओं के व्यापार में भारत की हिस्सेदारी और महत्व को बढ़ाने के लिए सिफारिशें प्रदान करना।
- द्विपक्षीय व्यापार संबंधों पर दबाव का प्रबंधन करना और नई पीढ़ी के नीति निर्माण को मुख्य धारा में लाना।
प्रमुख सिफारिशें
निर्यात के लिए एक्जिम बैंक और क्रेडिट बीमा
- एक्जिम बैंक के पूंजी आधार को 2022 तक अन्य 20,000 करोड़ रुपये से बढ़ाना और शेष पूंजी को निरंतर तरीके से बढ़ाना।
- नेट स्वामित्व फंड में बैंक की उधार सीमा (वर्तमान सीमा 10 गुना है) को 20 गुना बढ़ाना।
- निर्यात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) का पूंजीगत आधार 350 करोड़ रुपये तक बढ़ाना।
- बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) नियमों से ईसीजीसी को छूट।
प्रभावी कॉर्पोरेट कर दरों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना
- भारत को कॉर्पोरेट कर की दर को 22% (छूट के साथ) में कटौती करनी चाहिए। इससे 18% प्रभावी कॉर्पोरेट कर की दर प्राप्त होगी।
प्रतियोगियों के साथ पॉलिसी दर संरेखण
- भारत को 10 सबसे अच्छे प्रदर्शन करने वाले ओईसीडी देशों की औसत पूंजी को कम करने का लक्ष्य रखना चाहिए।
- नीति संचालन को अब प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की तकनीक को पूरी तरह से शामिल करना चाहिए।
- रेपो दरों में सरकारी बचत योजनाओं की लिंक को फिर से स्थापित करना।
व्यापक निर्यात रणनीति बनाना
- डेटाबेस जो विभिन्न एफटीए, आरटीए, सीईपीए आदि के उपयोग का विवरण देता है, तैयार करना।
- 4-अंकीय हार्मोनाइज्ड सिस्टम (एचएस) स्तर पर वस्तुओं की पहचान के लिए बड़े डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करना जहां भारत को निर्यात लाभ होता है और इन उत्पादों में घरेलू प्रतिस्पर्धा का निर्माण होता है।
निवेश संवर्धन एजेंसी (निवेश भारत++) का सुदृढ़ीकरण
- निवेश भारत को लाइसेंस जारी करने के लिए केंद्रीकृत प्राधिकरण बनाना और पूर्व-निर्धारित मानदंडों को पूरा करने वाले मामलों में प्रोत्साहन देने के लिए इसे सशक्त बनाना।
- डीजीएफटी, आईटीपीओ, टीसीपीआई के स्थान पर एक अलग इकाई के रूप में एक शीर्ष व्यापार संवर्धन संगठन बनाना।
- एकल-खिड़की निस्तारण (सिंगल-विंडो क्लीयरेंस) को साधने के लिए एक विश्वस्तरीय ‘वॉर रूम’ बनाना।
मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वार्ताओं में सुधार
- गैर-टैरिफ अवरोधों की पहचान करने और हल करने की प्रक्रिया शुरू करना, जो प्रमुख आयातक देशों तक भारतीय निर्यात को पहुंचने से रोकते हैं - उन प्रमुख देशों के साथ शुरू करना जिनके साथ भारत का एफटीए है।
- बेहतर एफटीए में मदद करने के लिए पंसदीदा बाजारों में भारतीय उत्पादों की मूल्य प्रतिस्पर्धा का आकलन करने के लिए क्षेत्रीय विश्लेषण का मूल्यांकन करना।
- पूरकता और दीर्घकालिक स्थिरता के आधार पर पहचाने गए एफटीए वार्ता के लिए पंचवर्षीय कार्यक्रम लांच करना।
एलीफैंट बांड जारी करना
- एलीफैंट बांड जारी कर भारत के विदेशों में जमा काले धन का 500 बिलियन डॉलर तक प्राप्त किया जा सकता है।
- अघोषित आय की घोषणा करने वाले लोग 20-30 वर्षों की अवधि के लिए 5% की कूपन दर के साथ 40% निवेश करने के लिए बाध्य होंगे। फंड का इस्तेमाल केवल अवसंरचना परियोजनाओं के लिए किया जाएगा।
वित्तीय सेवा क्षेत्र में सुधार
- भारत के निधि प्रबंधन गतिविधि को संभालने के लिए विदेशी निवेश कोषों और व्यक्तिगत निवेशकों हेतु विनियामक एवं कर ढांचे को सरल बनाना।
भारत का आरसीईपी में शामिल होना जरूरी
- पैनल भारत को क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) में शामिल होने के पक्ष में है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन द्विपक्षीय व्यापार युद्ध में लिप्त होने पर आरसीईपी जैसे मुक्त व्यापार क्षेत्र में शामिल होकर भारत और भी अधिक लाभान्वित हो सकता है।
- यह रिपोर्ट प्रस्तावित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) के लिए वार्ता के साथ आगे बढ़ने के नरेंद्र मोदी सरकार के संकल्प को मजबूत करेगी।
सेक्टर विशिष्ट सिफारिशें
कृषि
- मॉडल कृषि उपज और पशुधन विपणन अधिनियम, 2017 का कार्यान्वयन तेजी से किया जाना चाहिए।
- चावल और अनाज के बजाय फलों और सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देना।
- कृषि-प्रसंस्करण क्षेत्र में एफडीआई को सुगम बनाना।
- उर्वरक और कीटनाशक के उपयोग में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप आकलन का निर्माण करना।
औषधीय, जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सकीय उपकरण
- विभिन्न संस्थाओं के बीच समन्वय को सक्षम बनाने के लिए औषधीय और जैव प्रौद्योगिकी पर एक सशक्त स्वतंत्र आयोग नियुक्त करना।
- दवाओं / सौंदर्य प्रसाधनों से चिकित्सा उपकरणों का अलग से विनियमन।
- संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में चिकित्सकीय उपकरणों के नियमन के लिए एकल मंत्रालय बनाना।
- भारत में निर्मित चिकित्सकीय उपकरणों पर प्रतिलोमित शुल्क संरचना में सुधार करना।
वस्त्र और परिधान
- सेक्टर के लिए निर्यात से पूंजीगत वस्तु निर्यात संवर्धन (ईपीसीजी) योजना को अलग करना।
- प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (टीयूएफएस) सब्सिडी का तेजी से वितरण करना।
इलेक्ट्रानिक्स
- इलेक्ट्रॉनिक्स के विनिर्माण के लिए टैरिफ-आधारित नीति से प्रोत्साहन-आधारित नीति में बदलाव।
- औद्योगिक पार्क स्थापित करना जो इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
पर्यटन और आतिथ्य
- सरकार और उद्योग के विभिन्न हिस्सों के बीच समन्वय के लिए अखिल भारत पर्यटन बोर्ड बनाना।
- पर्यटन अवसंरचना को सामंजस्य अवसंरचना का दर्जा।
- चिकित्सा वीजा व्यवस्था को सरल बनाना।
- जागरूकता फ़ैलाने और चिकित्सीय मूल्य गंतव्य के रूप में भारत के ब्रांड निर्माण के लिए एक चिकित्सा पर्यटन (मेडिकल टूरिज्म) अभियान बनाना।
महत्व
- आर्थिक विकास का मार्ग: यह भारत के लिए उपलब्ध सभी अवसरों को अंगीकार करके एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनने का मार्ग प्रशस्त करता है ताकि भारत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1 ट्रिलियन डॉलर के योगदान के निर्यात के लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम हो।
- भारतीय निर्यात को बढ़ावा देना: एचएलएजी की सिफारिशों से सरकार को 2018 में 500 बिलियन डॉलर से 2025 में 1,000 बिलियन डॉलर से अधिक वस्तुओं और सेवाओं के भारत के निर्यात को दोगुना करने में मदद मिलेगी।
- महत्वपूर्ण नीतियों पर जोर: रिपोर्ट उन नीतियों से संबंधित है जो भारत को निर्यात वृद्धि (और परोक्ष रूप से जीडीपी वृद्धि) की अपनी क्षमता की ओर आक्रामक रूप से बढ़ने के लिए मैक्रो और माइक्रो, विनियामक और कराधान, बुनियादी ढांचा विकास, नौकरशाही का हस्तक्षेप और ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस की आवश्यकता है।