2030 तक 300 अरब डॉलर जैव-अर्थव्यवस्था: भारत का लक्ष्य
- 08 Jul 2025
7 जुलाई 2025, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने विश्व जैव-उत्पाद दिवस के अवसर पर भारत के लिए 2030 तक $300 अरब जैव-अर्थव्यवस्था का लक्ष्य दोहराया और जैव प्रौद्योगिकी में समावेशी भागीदारी का आह्वान किया।
मुख्य तथ्य:
- जैव-अर्थव्यवस्था का लक्ष्य: भारत का लक्ष्य 2030 तक जैव-अर्थव्यवस्था को $300 अरब तक पहुँचाना है; सरकार ने हाल ही में BioE3 Policy लॉन्च की है, जो सतत जैव-निर्माण, पर्यावरणीय स्थिरता, आर्थिक विकास और समानता को जोड़ती है।
- स्टार्टअप्स में वृद्धि: भारत के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में स्टार्टअप्स की संख्या पिछले एक दशक में लगभग 50 से बढ़कर 11,000 हो गई है; यह वृद्धि नीति समर्थन और संस्थागत साझेदारियों के कारण संभव हुई।
- 'वॉयसेज अक्रॉस द सिटीज' पहल: DBT, BIRAC और iBRIC+ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर के संस्थानों ने आठ घंटे तक समुद्री बायोमास, औद्योगिक वैलोराइजेशन, वन संसाधन और कृषि-अवशेष नवाचार जैसे विषयों पर संवाद किया; यह भारत की जैव उत्पाद क्षमताओं की क्षेत्रीय विविधता को दर्शाता है।
- जैव प्रौद्योगिकी का सामाजिक प्रभाव: जैव-उत्पाद अब केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं, बल्कि ग्रामीण रोजगार, हरित नौकरियों, बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग और इको-फ्रेंडली उत्पादों के माध्यम से आजीविका से जुड़े हैं।
- नीति और शिक्षा में बदलाव: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को ‘गेम-चेंजर’ बताया गया, जिससे छात्र अपनी रुचि के अनुसार विषय चुन सकते हैं; जैव प्रौद्योगिकी में युवाओं, किसानों, मछुआरों और गैर-वैज्ञानिक हितधारकों की भागीदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
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