सामयिक
कार्यक्रम और योजनाएँ:
‘पारदर्शी कराधान: ईमानदार का सम्मान’ मंच की शुरुआत
- भारत के करदाताओं को पुरस्कृत करने तथा कर व्यवस्था को और बेहतर बनाने हेतु 13 अगस्त, 2020 को भारत सरकार ने एक नये मंच “पारदर्शी कराधान - ईमानदार का सम्मान” का लोकार्पण किया।
- यह देश के ईमानदार करदाताओं को सम्मानित करने के लिए एक मंच है।
उद्देश्य
- इस मंच का उद्देश्य, कोरोनोवायरस (COVID-19) महामारी के बीच कर प्रणाली को "जन केंद्रित और सार्वजनहितैषी (People-Centric & Public Friendly)” बनाकर अनुपालन की प्रक्रिया को आसान करना है। इसके साथ ईमानदार करदाताओं को लाभ पहुंचाने के लिए उनके खाते में तीव्र गति से धन-वापसी(Refund) करना है।
आवश्यकता
- 130 करोड़ लोगों के देश में कर का भुगतान करने वाले करदाताओं की संख्या सिर्फ़ 1.5 करोड़ है, जो कि काफ़ी कम है।
पृष्ठभूमि
- यह नई योजना, “पारदर्शी कराधान - ईमानदार का सम्मान”भारत सरकार द्वारा सितंबर 2019 में शुरू किया गये ई-मूल्यांकन योजना-2019 का विस्तार है।
प्रमुख विशेषताऐं
अव्यक्तिगत कर निर्धारण (Faceless Assessment)
- यह करदाता और आयकर विभाग के बीच के अंतराफलक (इंटरफेस) को ख़त्म करता है।
- करदाता को आयकर कार्यालय या अधिकारी के पास जाने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
- एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने वाले सिस्टम के माध्यम से करदाता का चुनाव संभव है।
- यह प्रणाली प्रादेशिक क्षेत्राधिकार को समाप्त कर देती है।
- एक करदाता एक विशेष शहर से संबंधित हो सकता है लेकिन मूल्यांकन आदेश, समीक्षा और निश्चयात्मकता (Finalisation) विभिन्न शहरों में होगा।
अव्यक्तिगतदर्ख़्वास्त (Faceless Appeal)
- इस प्रणाली के तहत, किसी के दर्ख़्वास्त का ज़िम्मादेश में किसी भी अधिकारी को यादृच्छिक रूप से दी जाएगी। दर्ख़्वास्तका फैसला करने वाले अधिकारी की पहचान अज्ञात रहेगी।
- करदाता को आयकर कार्यालय या अधिकारी के पास जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
- दर्ख़्वास्त का निर्णय टीम आधारित होगी और उन दर्ख़्वास्तों की समीक्षा की जाएगी।
- अपवाद: फेसलेस करमूल्यांकन और अपीलों का लाभ निम्न संबंधित मामलों पर लागू नहीं होता है:
- गंभीर धोखाधड़ी
- प्रमुख कर चोरी
- संवेदनशील और खोजी मामलों
- अंतर्राष्ट्रीय कर
- काला धन अधिनियम और बेनामी संपत्ति
करदाता चार्टर (अधिकार पात्र)
- यह कर अधिकारियों और करदाताओं दोनों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को रेखांकित करता है।
कार्यान्वयन
- अव्यक्तिगत कर निर्धारण (Faceless Assessment)और करदाता के अधिकार पात्र (Taxpayer’s Charter) को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया तथा अव्यक्तिगत दर्ख़्वास्त (Faceless Appeal)25 सितंबर 2020 से प्रभावी होगी।
प्रभाव
- कर प्रणाली को मजबूत करना: यह मंच सरकार कीकर प्रणालियोंमें सुधार और सरलीकरण के प्रयासों को मजबूती देगा। यह कई ईमानदार कर दाताओं को लाभान्वित करेगा, जिनकी कड़ी मेहनत से राष्ट्रीय प्रगति होती है। यह एक समेकित (Seamless), अव्यक्तिगत (Faceless) और कागज विहीन (Paperless) प्रशासन कोमजबूती प्रदान करेगा।
- अत्यधिक पारदर्शिता: यह कदम आयकर व्यवस्था में पारदर्शिता लाने, कर अनुपालन को आसान बनाने और कोरोनवायरस संकट के बीच ईमानदार करदाताओं को पुरस्कृत करने के उद्देश्य से बड़े कर सुधारों की शुरूआत करेगा।
- राष्ट्र निर्माण: देश के ईमानदार करदाताराष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं।जब देश के ईमानदार करदाताओं का जीवन आसान हो जाता है तो देश भी आगे बढ़ता है तब देश भी विकसित होता है। इसके अलावा, यह एक स्व-विश्वसनीय भारत, आत्म निर्भर भारतके लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।
हाल ही में हुए कर सुधार
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शामिल किए गए मुद्दे
- नई घोषित प्रणाली में गंभीर धोखाधड़ी, प्रमुख कर चोरी>, संवेदनशील और खोज मामलों को फेसलेस अपीलों के दायरे से बाहर रखा गया है।
- यह अंतर्राष्ट्रीय कराधान और ब्लैक मनी अधिनियम के साथ-साथ बेनामी संपत्ति अधिनियम को भी शामिल नहीं करता है।
- कर अधिकारी नए फेसलेस कर आकलन योजना के ख़िलाफ़ जोर दे रहे हैं। वे परिवर्तन को लागू करने के लिए परामर्श और अपर्याप्त संसाधन की कमीमें समस्याओं को देखते हैं।
- उनके अनुसार, फेसलेस कर आकलन,कर वसूली को कम कर सकता है,जो चालू वित्त वर्ष के लिए उच्च कर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अधिकारियों पर दबाव बढ़ा सकता है।
आगे का रास्ता
- भारत के कर प्रशासन को कर उत्पीड़न के लिए जाना जाता है, जहां कर राजस्व बढ़ाने के दौरान अति-इरादतन अधिकारियों ने विकास को प्रभावित किया है और कई बार फ़ायदे से अधिक नुकसान हुआ है।
- अधिकारियों द्वारा कथित कर उत्पीड़न के मुद्दे ने भारत में बहुत ध्यान आकर्षित किया जब भारत की सबसे बड़ी कॉफी शॉप श्रृंखला के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ ने जुलाई, 2019 में आत्महत्या कर ली और उसके पीछे एक नोट छोड़ गए जिसमें उन्होंने कर अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
- मंच का शुभारंभ एक ऐतिहासिक निर्णय है और यह करदाताओं की सहायता के लिए सीबीडीटी द्वारा उठाए गए कई उपायों का पालन करते हुएप्रत्यक्ष कर सुधारों की यात्रा को आगे बढ़ाता है।
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन
- 15 अगस्त, 2020 कोप्रधान मंत्री ने भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (National Digital Health Mission- NDHM) का शुभारंभ किया।
पृष्ठभूमि
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 ने एक डिजिटल स्वास्थ्य तकनीकी के निर्माण की परिकल्पना की है, जिसका उद्देश्य एक एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्रणाली विकसित करना है जो सभी हितधारकों की ज़रूरतों को पूरा करे तथा सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य सेवा के साथ जुड़ाव के साथ दक्षता, पारदर्शिता और नागरिकों के अनुभव को बेहतर बनाए।
- इसके संदर्भ में, केंद्र सरकार के विचार मंच (थिंक-टैंक) नीति आयोग ने जून 2018 में भारत की स्वास्थ्य प्रणालीको एक डिजिटल आधार (नेशनल हेल्थ स्टैक) प्रदान करने के लिए परामर्श ज़ारी किया था।
- अपने परामर्श के एक हिस्से में, नीति आयोग ने "रोकथाम योग्य चिकित्सा त्रुटियों के ज़ेखिम को कम करने और देखभाल की गुणवत्ता में वृद्धि"के लिए एक डिजिटल हेल्थ आईडी का प्रस्ताव रखा।
- यह प्रस्तावकेंद्र सरकार ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA), तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के साथ मिलकर आगे बढ़ाया ताकि“सभी के लिए डिजिटल हेल्थकेयर सक्षम करने के साथ भारत को डिजिटल स्वास्थ्य राष्ट्र बनाने”के लिए एक रणनीति अवलोकन दस्तावेज़ तैयार किया जाये।
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM) की मुख्य विशेषताएं
क्रियान्वयन
- भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की रूपरेखा तैयार करने और इसके क्रियान्वयन का जिम्मा राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संबद्ध कार्यालय और आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना कोअमलमें लाने के लिए जिम्मेदार शीर्ष केंद्र सरकार एजेंसीको सौंपा गया है।
अग्रगामी परियोजना
- अपने पहले चरण में, मिशन केंद्र शासित प्रदेशों जैसे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़,दादरा और नगर हवेली,दमन और दीव, लक्षद्वीप, लद्दाख और पुदुचेरी में शुरू होगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य आईडी प्रणाली का निर्माण
- मिशन के तहत, प्रत्येक भारतीय को एक नई आधार जैसी स्वास्थ्य आईडी मिलेगी जो व्यक्ति के मेडिकल रिकॉर्ड को संग्रहित करेगी, जिसमें डॉक्टर के साथ संपर्क, बीमारियां, उपचार की रूपरेखा और ली गई दवाएं शामिल हैं।
- यह एकीकृत रूप से टेलीमेडिसिन,ई-फार्मेसी और राष्ट्रीय स्वास्थ्य रजिस्ट्री निर्माण करने की सुविधा से युक्त होगा।
- किसी रोगी की बीमारी के रिकॉर्ड की एक प्रति उनके डॉक्टर की फाइलों में संग्रहित की जाएगी और एक उनके स्वयं के व्यक्तिगत लॉकर में संग्रहित की जाएगी (जो किसी कंपनी या सरकार के स्वामित्व में हो सकती है)।
- डॉक्टरों, पेशेवरों और संस्थानों की रजिस्ट्री के अलावा, यह विकेंद्रीकृत भंडारण की अनुमति देता है।
- किसी भी उपचार के लिए डॉक्टर की अपॉइंटमेंट से लेकर अस्पताल में भर्ती होने तक, यह आईडी आवश्यक होगा।
प्रमुख पहलें
- राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशनमें छह प्रमुख पहल या डिजिटल परिस्थितिकी तंत्र शामिल हैं- “हेल्थ आईडी, डिजी डॉक्टर, हेल्थ फैसिलिटी रजिस्ट्री, पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड्स, ई-फार्मेसी और टेलीमेडिसिन।”यह ‘नागरिक-केंद्रित’ दृष्टिकोण के माध्यम से समय पर, सुरक्षित और सस्ती स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच को सक्षम करेगा।
- इसका दृष्टिकोण एक राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जो सभी नागरिकों को समावेशी, सस्ती और सुरक्षित स्वास्थ्य सेवा के लिए समय पर और कुशल पहुँच प्रदान करता है।
प्रौद्योगिकी का बेहतरीन इस्तेमाल
- इस मिशन की प्रमुख विशेषताइसके प्रौद्योगिकी का हिस्सा है - यह सभी के लिए उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए खुले डिजिटल सिस्टम का इस्तेमाल करेगा।
- यह एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए विभिन्न डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं को एकीकृत करेगा जो मौजूदा स्वास्थ्य सूचना प्रणालियों को आत्मसात कर सकता है।
महत्व
- सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करना: राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन स्वास्थ्य सेवा वितरण की दक्षता, प्रभावशीलताऔर पारदर्शिता में काफ़ी सुधार करेगा और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (वित्तीय ज़ेखिम सुरक्षा सहित) के संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य दर 3.8 की उपलब्धि के लिए एक प्रमुख प्रगति होगी।
- मौजूदा अंतर को कम करना: राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन एक समग्र, स्वैच्छिक स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है जो विभिन्न हितधारकों जैसे डॉक्टर, अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, फार्मेसियों, बीमा कंपनियों और नागरिकों के बीच मौजूदा अंतर को कम करके उन्हें एक साथ लाएगाऔर उन्हें एक एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में जोड़ेगा।
- नागरिकों को सशक्त बनाना: नागरिकों को सही डॉक्टरों को खोजने, उनके साथ नियुक्ति करने, परामर्श शुल्क का भुगतान करने, लोगों के भीड़के बीच में पर्चे शीट के लिए अस्पतालों के कई चक्कर लगाने वाली व्यवस्था ख़त्म करके सभी भारत वासियों को सही जानकारी के माध्यम से सशक्त बनाने में मदद मिलेगी। विभिन्न स्रोत उन्हें सर्वोत्तम संभव स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने के लिए एक सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाते हैं।
चुनौतियां
- हालाँकि, भारत में अभी भी डेटा संरक्षण पर एक कानून का अभाव है, डिजिटल स्वास्थ्य मिशन और आधार के लिए नीति की संभावना आने वाले दिनों में गोपनीयता की चिंताओं को बढ़ावा देने की उम्मीद है।
केंद्रीकृत स्वास्थ्य रिकॉर्ड प्रणाली के वैश्विक उदाहरण
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राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन
- 26 फरवरी 2020 को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन की स्थापना की मंज़ूरी दी।
- इस मिशन को पूरा करने के लिए 4 सालों का समय निश्चित किया गया है, वित्त वर्ष 2020-21 से लेकर 2023-24 तक।
लक्ष्य
- अनुसंधान, निर्यात और तकनीकी विकास का बढ़ावा देने के लिए
- विनिर्माण सुविधाओं और तकनीकी वस्त्र को मजबूती देना
- वस्त्र तकनीकी के आयात को कमतर करना
मिशन की ज़रूरत
- निवेश में कमी: भारत में तकनीकी वस्त्रों की पहुँच काफी कम (मात्र 5 से 10 प्रतिशत) है, जबकि विकसित देशों में यह आँकड़ा 30 से 70 प्रतिशत के आस-पास है।
- विश्व बाजार में मामूली शेयर: भारतीय तकनीकी वस्त्र बाज़ार का अनुमानित आकार 16 अरब डॉलर है जो 250 अरब डॉलर के वैश्विक तकनीकी वस्त्र बाज़ार का लगभग 6 प्रतिशत है।
मुख्य विशेषताएं
इस मिशन के मुख्यतः 4 घटक हैं:
प्रथम घटक
अनुसंधान, नवाचार और विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा
- इस घटक के तहत (1) कार्बन, फाइबर, अरामिड फाइबर, नाइलॉन फाइबर और कम्पोज़िट में अग्रणी तकनीकी उत्पादों के उद्देश्य से फाइबर स्तर पर मौलिक अनुसंधान (2) भू-टेक्सटाइल, कृषि-टेक्सटाइल, चिकित्सा-टेक्सटाइल, मोबाइल-टेक्सटाइल और खेल-टेक्सटाइल के विकास पर आधारित अनुसंधान अनुप्रयोगों दोनों को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
द्वितीय घटक
- संवर्द्धन और विपणन विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा
- इस घटक का उद्देश्य बाज़ार विकास, बाज़ार संवर्द्धन, अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी सहयोग, निवेश प्रोत्साहन और 'मेक इन इंडिया' पहल के माध्यम से प्रतिवर्ष 15 से 20 प्रतिशत की औसत वृद्धि के साथ घरेलू बाज़ार के आकार को वर्ष 2024 तक 40 से 50 अरब डॉलर करना है।
तृतीय घटक
- निर्यात संवर्द्धन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा
- इस घटक के तहत तकनीकी वस्त्रों के निर्यात को बढ़ाकर वर्ष 2021-22 तक 20,000 करोड़ रुपए किये जाने का लक्ष्य है जो कि वर्तमान में लगभग 14,000 करोड़ रुपए है। साथ ही वर्ष 2023-24 तक प्रतिवर्ष निर्यात में 10 प्रतिशत औसत वृद्धि भी सुनिश्चित की जाएगी। इस घटक में प्रभावी तालमेल और संवर्द्धन गतिविधियों के लिये एक तकनीकी वस्त्र निर्यात संवर्द्धन परिषद की स्थापना की जाएगी।
चतुर्थ घटक
- शिक्षा, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा
- मिशन के इस चरण के तहत उच्चतर इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी स्तर पर तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा और इसके अनुप्रयोग का दायरा इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कृषि, जलीय कृषि और डेयरी जैसे क्षेत्रों तक विस्तृत किया जाएगा। साथ ही कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाएगा और मानव संसाधन को अत्यधिक कुशल बनाया जाएगा ताकि परिष्कृत तकनीकी वस्त्र विनिर्माण इकाइयों की आवश्यकता पूरी की जा सके।
उप-घटक
- अनुसंधान का उपघटक जैव अपघटनीय तकनीकी कपड़ा सामग्री के विकास पर केंद्रित है विशेष रूप से कृषि वस्त्रों (agro-textile), भू-कपड़ा (geo-textile) और चिकित्सा कपड़ा (medical textile) के लिए।यह चिकित्सा और स्वच्छता कचरे के सुरक्षित निपटान पर जोर देने के साथ ऐसे उपयुक्त उपकरण का भी विकास करेगा जो प्रयोग हुए वस्त्र तकनीकी का पर्यावरणीय रूप से स्थायी निपटानकर सके।
- तकनीकी वस्त्रों के लिए स्वदेशी मशीनों व प्रक्रियाओं के उपकरणों का विकास करने का उद्देश्य, इस अनुसंधान प्रक्रिया में एक और महत्वपूर्ण उप-घटक है
महत्त्व
- स्व-विश्वसनीय बनाना: यह कदम देश को तकनीकी वस्त्रों में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थान देगा।जिससे तकनीकी वस्त्र क्षेत्र में भारत आत्म-निर्भर बनेगा और अगले एक वर्ष के भीतर भारत के व्यापार घाटे पर तकनीकी वस्त्र के बोझ को कम करेगा।
- समग्र विकास और विकास: कृषि, जलीय कृषि, डेयरी, मुर्गी पालन, जलजीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, आयुष्मान भारत में तकनीकी वस्त्रों का उपयोग लागत अर्थव्यवस्था, जल और मिट्टी संरक्षण, बेहतर कृषि उत्पादकता और उच्च आय में समग्र सुधार लाएगातथाभारत में विनिर्माण और निर्यात गतिविधियों को बढ़ावा देगा।
तकनीकी वस्त्र
- तकनीकी वस्त्र,वस्त्र सामग्री और उत्पाद हैं जो मुख्य रूप से सौंदर्य विशेषताओं के बजाय तकनीकी प्रदर्शन और कार्यात्मक गुणों के लिए निर्मित होते हैं।
- तकनीकी कपड़ा उत्पादों को 12 व्यापक श्रेणियों में बांटा गया है - एग्रोटेक, बिल्डटेक, क्लोथेक, जियोटेक, हेमेटेक, इंडुटेक, मोबिलटेक, मेडिटेक, प्रोटेक, स्पोर्टटेक, ओकेटेक और पैकटेक।
तकनीकी वस्त्र के लिए कच्चा माल
- प्राकृतिक फाइबर: कपास, रेशम, सीसल (एक प्रकार का पौधा), रेक्स, ऊन
- मैन मेड फाइबर्स एंड पॉलिमर: विस्कस, पॉलीरिटाइड, पॉलीओलफिन, फ्लैक्स, पॉलिएस्टर, एरामिड, UMHW पॉलीथाइलीन, कार्बन, ग्लास
अनुप्रयोग
- तकनीकी वस्त्रों में विविध क्षेत्रों में विशेष अनुप्रयोग होते हैं जैसे कि आग प्रतिरोधी वाष्प, बुलेटप्रूफ जैकेट, अत्यधिक ऊंचाई वाले लड़ाकू गियर, साथ ही साथ अंतरिक्ष में इस्तेमाल किये जाने वाले वस्तुओं का उत्पादन। इनका उपयोग ऑटोमोबाइल और चिकित्सा उद्योगों में भी किया जाता है।
भारतीय तकनीकी वस्त्र उद्योग
- भारत में तकनीकी कपड़ा उद्योग आयात पर निर्भर है। कई उत्पाद जैसे विशेष फाइबर / यार्न, चिकित्सा प्रत्यारोपण, सैनिटरी उत्पाद, सुरक्षात्मक वस्त्र, सीट बेल्ट के लिए वेबिंग, आदि वस्तुएं ज्यादातर आयात किए जाते हैं।
- कपड़ा मंत्रालय द्वारा तकनीकी कपड़ा उद्योग के बेसलाइन सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीय तकनीकी वस्त्र उद्योग को 2017-21 में 1,16,217 करोड़ रूपये से 2020-21 तक 2,00,823 करोड़ रूपये के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से 20 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है।
भारतीय तकनीकी वस्त्र उद्योग का विश्लेषण
ताकत
- युवा और सस्ते जनशक्ति की उपलब्धता: भारत में दुनिया में सबसे बड़ी कामकाजी उम्र की आबादी (15 से 64 वर्ष की आयु के लोग) है। देश की वर्तमान जनसांख्यिकी के आधार पर, 2055 तक पर्याप्त कार्यबल के काम करने की उम्मीद है। अपेक्षाकृत कम औसत श्रमशक्ति लागत के साथ पर्याप्त कार्यबल भारत को प्रमुख वैश्विक विनिर्माण गंतव्य के रूप में एक अलग बढ़त प्रदान करता है।
- मजबूत वस्त्र मूल्य श्रृंखला: भारत,चीन के अलावा इस क्षेत्र में एकमात्र देश है जो प्राकृतिक और सिंथेटिक दोनों प्रकार के फाइबर में संपूर्ण कपड़ा मूल्य श्रृंखला (entire textile value chain)रखने वाला है। तकनीकी वस्त्र के लिए कच्चे माल की उपलब्धता के कारणभारत, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों द्वारा प्रस्तुत अवसरों को भुनाने के लिए अच्छी तरह से तैयार है।
- सरकार से सक्रिय प्रोत्साहन: सरकार भारत में तकनीकी वस्त्रों के विकास के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। इस उद्देश्य के लिएभारत सरकार ने कई कार्यक्रम शुरू किए हैं जैसे- तकनीकी वस्त्रों के वृद्धि और विकास के लिए योजना (SGDTT), तकनीकी वस्त्रों पर प्रौद्योगिकी मिशन (TMTT), उत्तर पूर्व क्षेत्र में कृषि-वस्त्रों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए योजना, उत्तर पूर्व क्षेत्र में भू-तकनीकी वस्त्रों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए योजना, प्रौद्योगिकी उन्नयन धन योजना (TUFS) और एकीकृत कपड़ा पार्कों (SITP) के लिए योजना इत्यादि।
- विनिर्माण ढांचे की उपलब्धता: भारत तेजी से बढ़ती हुई औद्योगिक अर्थव्यवस्था है, जिसमें भूमि, बिजली, पानी, श्रमशक्ति और उद्योगों के लिए अनुकूल नियामक ढांचा जैसे महत्वपूर्ण संसाधन उपलब्ध हैं। मांग को बढ़ाने के लिए एक आकर्षक और बढ़ते बाजार के साथ-साथ तकनीकी वस्त्र निर्माण की स्थापना आसानी से की जा सकती है
कमजोरियां
- वर्तमान मेंमशीनों के लिए आयात पर निर्भरता:भारत में तकनीकी वस्त्र उत्पादों के निर्माण में प्रयुक्त अधिकांश मशीनें उपलब्ध नहीं है। तकनीकी वस्त्रों में निवेश को आकर्षित करने के लिएसरकार को तकनीकी वस्त्र क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उच्च तकनीक मशीनरी के विनिर्माण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- अंतिम उपयोगकर्ताओं में तकनीकी वस्त्र की वस्तुओं की जानकारी की कमीं:भारत में तकनीकीवस्त्र की वस्तुओंके अधिकांश उपयोगकर्ता अभी भी ऐसे वस्तुओं के इस्तेमाल से होने वाले फायदों से अनजान हैं, इसके चलते ऐसे वस्तुओं के इस्तेमाल में कमी है।
- मानकीकरण और संबंधित विनियमों का अभाव: वर्तमान मेंकई तकनीकी कपड़ा उत्पादों में मानक बेंचमार्क नहीं हैं,जिसके परिणामस्वरूप उप-मानक सस्ते उत्पाद उपलब्ध हैं। इसके अलावातकनीकी कपड़ा उत्पादों की मांग को बढ़ाने के लिए उद्योगों में सुरक्षा और अन्य संबंधित नियमों को लागू करने की आवश्यकता है।
- स्पेशल फाइबर्स का छोटा या कोई घरेलू विनिर्माण नहीं: वर्तमान मेंभारत में बहुसंख्यक विशेष प्रकार के फाइबर आयात किए जाते हैं, इस प्रकार यह भारत को उच्च मूल्य वाले तकनीकी वस्त्र उत्पादों में विश्व स्तर पर अप्रतिस्पर्धी बना देता है।
सुझाव के उपाय
- अंत-उपयोग अनुप्रयोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना
- मानकीकृत तकनीकी वस्त्र उत्पादों के उपयोग का समर्थन करने वाले नियामक सुधार
- मानकों का विकास और कार्यान्वयन
- तकनीकी कपड़ा उत्पादों के लिए
- तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ाना
- उद्यमिता प्रशिक्षण के लिए तकनीकी वस्त्रों पर समर्पित पाठ्यक्रम
- कुशल जनशक्ति की उपलब्धता में सुधार
- उच्च प्रदर्शन विशेषता फाइबर के स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देना
- संस्थागत खरीद को बढ़ावा देना
- तकनीकी वस्त्र मशीनरी का प्रोत्साहन उत्पादन
- प्रौद्योगिकी गहन तकनीकी वस्त्रों के निर्यात को बढ़ावा देना
आगे का रास्ता
- भारत में तकनीकी कपड़ा उद्योग के भविष्य का एक सकारात्मक दृष्टिकोण है और घरेलू बाजार मेंइसकी मजबूत खपत दर के साथ-साथ निर्यात की बढ़ती मांग को प्रतिबिंबित करता है।
उचित उपायों के साथ, उद्योग में तकनीकी वस्त्र निर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरने की क्षमता है और साथ ही अगले कुछ वर्षों में सरकार की 5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर अर्थव्यवस्था बनने की दृष्टि में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
सांसद आदर्श ग्राम योजना
- ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) के चरण-4 के तहत केवल 252 सांसदों ने ग्राम पंचायतों को चुना है, जिसमें लोकसभा के 208 सदस्य और राज्यसभा के 44 सदस्य हैं।
सांसद आदर्श ग्राम योजना
- ‘आदर्श ग्राम कार्यक्रम’ के नाम से चर्चित इस योजना को 11 अक्टूबर, 2014 को लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर नई दिल्ली में लॉन्च किया गया था।
- मार्च 2019 तक तीन आदर्श ग्राम विकसित करने का लक्ष्य था, जिनमें से एक को 2016 तक हासिल करना था। इसके बाद 2024 तक पांच और ऐसे आदर्श ग्राम (प्रति वर्ष) चुने जाएंगे और विकसित किए जाएंगे।
योजना का लक्ष्य
- एक आदर्श भारतीय ग्राम के गांधी की परिकल्पना को वास्तविकता में बदलना
मुख्य उद्देश्य
- उन प्रक्रियाओं को सक्रिय करना जो चिन्हित ग्राम पंचायतों के समग्र विकास की ओर ले जाती हैं
- जनसंख्या के सभी वर्गों के जीवन स्तर और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना
- बुनियादी सुविधाओं में सुधार
- मानव विकास को बढ़ावा
- बेहतर आजीविका के अवसर
- असमानताओं में कमी
- अधिकारों और हकदारी तक पहुंच
- व्यापक सामाजिक लामबंदी
- अन्य ग्राम पंचायतों को प्रशिक्षित करने के लिए स्थानीय विकास के स्कूलों के रूप में पहचान किए गए आदर्श ग्रामों का परिपोषण करना
दृष्टिकोण
इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए SAGY को निम्नलिखित दृष्टिकोण द्वारा निर्देशित किया जाएगा:
- आदर्श ग्राम पंचायतों (GP) को विकसित करने के लिए सांसदों (MP) के नेतृत्व, क्षमता, प्रतिबद्धता और ऊर्जा का लाभ उठाना।
- सहभागी स्थानीय स्तर के विकास के लिए समुदाय के साथ जुड़ना।
- लोगों की आकांक्षाओं और स्थानीय क्षमता के अनुरूप समग्र विकास को हासिल करने के लिए विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों और निजी एवं स्वैच्छिक पहलों को एकीकृत करना।
- स्वैच्छिक संगठनों, सहकारी समितियों और शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी करना।
- परिणामों और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करना।
SAGY के माध्यम से समग्र विकास
व्यक्तिगत
मानवीय
आर्थिक
सामाजिक
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अब तक योजना की प्रगति
- SAGY के चरण-1 में 703 सांसदों ने ग्राम पंचायतों को गोद लिया था, लेकिन बाद के चरणों में धीरे-धीरे गिरावट के साथ चरण-2 में यह संख्या 497 और चरण-3 में 301 हो गई।
- नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के छ: माह से अधिक समय के बाद भी निचले सदन के लगभग दो-तिहाई सदस्यों द्वारा चरण-4 के तहत एक ग्राम पंचायत का चयन करना बाकी है।
स्रोत: इंडिया एक्सप्रेस
31.12.2019 तक SAGY विभिन्न चरणों के तहत सांसदों द्वारा चुने गए ग्राम पंचायत
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चरण-1 |
चरण-2 |
चरण-3 |
चरण-4 |
सांसदों द्वारा गोद लिए गए ग्राम पंचायत |
703 |
497 |
301 |
252 |
लोकसभा सांसदों द्वारा चुने गए ग्राम पंचायत |
500 |
364 |
239 |
208 |
राज्यसभा सांसदों द्वारा चुने गए ग्राम पंचायत |
203 |
133 |
62 |
44 |
SAGY के मुद्दे
कोई समर्पित निधि नहीं
- सबसे बड़ी खामी यह है कि सरकार द्वारा इस योजना के लिए अलग से कोई निधि नहीं है। सांसदों को 21 चालू योजनाओं जैसे ग्रामीण आवास के लिए इंदिरा आवास योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, इत्यादि के माध्यम से गोद लिए गए गांवों में धन पहुंचाना है। गांव गोद लेने की योजना में कम रुचि के पीछे धन की कमी प्राथमिक कारण है।
गांव का चयन
- दिशानिर्देशों के अनुसार, एक सांसद अपने गांव या अपने पति/पत्नी के गांव को छोड़कर किसी भी गांव का चयन कर सकता है। इससे एक सांसद के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र के एक गांव का चयन करना और दूसरे गांव की अनदेखी करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
- हालांकि, शहरी क्षेत्रों में गांवों का चयन भी एक जटिल प्रक्रिया है, क्योंकि सांसदों द्वारा पहचाने गए अधिकांश गांव SAGY दिशानिर्देशों को पूरा नहीं करते हैं।
निगरानी के मुद्दे
- निर्दिष्ट गांव विकास योजना (Village Development Plan - VDP) और जिलास्तरीय समिति की अनियमित बैठकों द्वारा विभिन्न हस्तक्षेपों से एक प्लेटफार्म की कमी के कारण सांसदों के लिए नियमित आधार पर जमीनी स्तर पर विकास की निगरानी करना मुश्किल हो गया है।
कार्यान्वयन के मुद्दे
- SAGY उपलब्ध केंद्रीय और राज्य योजनाओं के अभिसरण और प्रभावी उपयोग के बारे में बात करता है, लेकिन अधिकांश सांसदों को प्रत्येक योजना के प्रावधानों और जमीनी स्तर पर इसके कार्यान्वयन के लिए योजना के संरचना और ढांचे के बारे में जानना बेहद मुश्किल होता है।
- इसके अलावा, ज्यादातर मामलों में गांव विकास योजना को कार्यक्रम के दिशानिर्देशों के अनुसार तैयार नहीं किया गया है।
समन्वय की कमी
- विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, केंद्र सरकार की योजनाओं, राज्य सरकार और निजी क्षेत्र के बीच समन्वय की कमी सांसदों को गांवों को गोद लेने के लिए हतोत्साहित करता है।
भागीदारी का अभाव
- SAGY का मतलब सामुदायिक भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करना है। लेकिन समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से हाशिए पर और सभी आयु वर्ग के लोगों की भागीदारी की कमी इस योजना के दायरे को सीमित करती है।
आगे की राह
- SAGY के माध्यम से सार्थक परिवर्तन के लिए, सांसद की प्रेरणा महत्वपूर्ण है लेकिन पंचायत और ग्रामीणों की सक्रियता भी आवश्यक है। सरकार को योजना को समग्र बनाने और एक आदर्श गांव बनाने के अपने वांछित लक्ष्य को प्राप्त कर SAGY में अंतर्निहित मुद्दों को हल करने की दिशा में काम करना चाहिए।
सुगम्य भारत अभियान
- हाल ही में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सुगम्य भारत अभियान (Accessible India Campaign-AIC) अंतर्गत लक्ष्यों के प्राप्ति की समय सीमा मार्च 2020 तक बढ़ा दी है |
- इसके अंतर्गत 50 शहरों के सबसे महत्वपूर्ण 25-50 सरकारी भवनों को पूरी तरह से सुगम्य बनाया जाना था और सुगम्यता ऑडिट किया जाना था ।
कारण
- अभियान के तहत, सभी राज्यों की राजधानियों के सभी सरकारी भवनों को पूरी तरह से सुगम्य बनाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसको प्राप्त नहीं किया जा सका है।
- दिसंबर 2018 तक एनसीटी के50% सरकारी भवनों को पूरी तरह से सुगम्य बनाया जाना था मगर इस पर कार्य करने की गति काफी धीमी है |
सुगम्य भारत अभियान (AIC)
- विकलांग व्यक्तियों (PwD) या दिव्यांगजनों के लिए सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रव्यापी अभियान ‘सुगम्य भारत अभियान’चलाया गया | इसे दिसंबर, 2015 में विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग द्वारा शुरू किया गया था।
लक्ष्य
- विकलांग लोगों को सार्वभौमिक पहुंच उपलब्ध कराना |
- जीवन के सभी पहलुओं में विकास, स्वतंत्र जीवन और भागीदारी के लिए समान अवसर प्रदान करना जो समावेशी समाज की आवश्यक विशेषता है।
- एक सुलभ भौतिक वातावरण बनाना जो सभी को लाभ पहुंचाता है।
AIC के घटक
निर्मित पर्यावरण पहुंच
- सुलभ भौतिक वातावरण न केवल विकलांग व्यक्तियों को बल्कि सभी को लाभ देता है। इसके अंतर्गत स्कूलों, चिकित्सा सुविधाओं और कार्यस्थलों सहित सभी जगहों पर आतंरिक और बाह्य बाधाओं को खत्म किया जाना शामिल है।
- इनमें न केवल इमारतों से संबंधति संरचनाएं शामिल है बल्कि फुटपाथ पर पैदल चलने वालों के आवागमन को अवरुद्ध करने वाली बाधाओं को भी दूर किया जाना शामिल है।
परिवहन प्रणाली पहुंच
- परिवहन स्वतंत्र जीवन का महत्वपूर्ण घटक है, और समाज के अन्य लोगों की तरह, विकलांग व्यक्ति भीएक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए परिवहन सुविधाओं पर निर्भर हैं।
- ‘परिवहन’ शब्द में हवाई यात्रा, बस, टैक्सी और ट्रेन सहित कई माध्यमों से यात्रा को शामिल किया जाता है।
सूचना और संचार इको-सिस्टम अभिगम्यता
- सूचना तक पहुंच समाज के सभी वर्गों के लिए अवसर पैदा करती है । लोग अपने दैनिक जीवन के बारे में निर्णय लेने के लिए कई रूपों में जानकारी का उपयोग करते हैं।
- यह शारीरिक रूप से एक हॉल में प्रवेश करने, किसी कार्यक्रम में भाग लेने, स्वास्थ्य संबंधी जानकारी की पुस्तिका पढ़ने, एक ट्रेन समय सारिणी को समझने या वेब पेजों को देखने जैसी क्रियाओं से सम्बंधित हो सकता है।
महत्ता
- सुगम्य भारत अभियान के साथ, भारत विश्व के उनदेशों के समकक्ष हो गया है जहाँ सर्वव्यापी समावेशी समाज है | समावेशी समाज व्यक्ति के अधिकारों और जीवन स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
- बेहतर भौतिक पहुंच संबंधी कार्य शिक्षा, रोजगार और आजीविका की प्राप्ति को सभी के लिए सुलभ बनायेंगे जिससे एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण होगा ।
एआईसी की ओर हाल के विकास
प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS)
- सितंबर, 2019 में दिव्यांग जनसशक्ति करण विभाग (DEPwD) ने AIC के हित धारकों के लिए एक प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) विकसित की।
- MIS पोर्टल AIC के प्रत्येक लक्ष्य की प्राप्ति के लिएकिये जा रहे कार्य की निगरानी में सहायक है एवं सभी नोडल मंत्रालयों और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को एक मंच पर लाता है ।
- पोर्टल डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सभी फ़ंक्शन को बनाए रखने और वास्तविक समय पर डेटा प्राप्त करने में उपयोगी होगा।
वेबसाइट अभिगम्यता परियोजना
- जनवरी, 2018 में दिव्यांग जनसशक्ति करण विभागने ERNET(Education and Research Network) इंडिया के माध्यम से वेबसाइट अभिगम्यता परियोजना शुरू की | यह सुगम्य भारत अभियान के तहत राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार के लिए प्रारंभ की गयी है जिसके माध्यम से वेबसाइटों को दिव्यांगजनों के लिए सुलभ बनाया जाना है |
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम –2016
- दिसंबर 2016 में बनायह अधिनियम विकलांगता से ग्रस्त लोगों की पूर्ण स्वीकृति की सुविधा प्रदान करता है और समाज में ऐसे व्यक्तियों की पूर्ण भागीदारी और समावेश सुनिश्चित करता है।
लक्ष्य
- समाज में विकलांग व्यक्तियों की गरिमा को बनाए रखना और किसी भी प्रकार के भेदभाव को रोकना।
मुख्य विशेषताएं
- यह लंबे समय तक शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या संवेदी दुर्बलता वाले किसी भी व्यक्ति कोविकलांग व्यक्तिय के रूप में परिभाषित करता है ।
- विकलांगों के मौजूदा 7 प्रकार से बढ़ाकर 21 प्रकार कर दिए गए हैं और इसके अनुसार, केंद्र सरकार के पास अधिक प्रकार की विकलांगताओं को जोड़ने की शक्ति है।
- भाषण और भाषा विकलांगता और विशिष्ट शिक्षण विकलांगता को पहली बार जोड़ा गया है।
- एसिड अटैक पीड़ितों को शामिल किया गया है।
- बौनापन, स्नायु अपविकास को निर्दिष्ट विकलांगता के अलग वर्ग के रूप में इंगित किया गया है।
- विकलांगों की नई श्रेणियों में तीन रक्त विकार, थैलेसीमिया, हेमोफिलिया और हंसिया कोशिका रोग शामिल है |
महत्ता
- अधिनियम विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन(UNCRPD) के अनुरूप है, जिसका भारत 2007 से एक हस्ताक्षरकर्ता है। यह UNCRPD के संदर्भ में भारत की ओर से दायित्वों को पूरा करेगा।
- इसके अलावा, यह न केवल दिव्यांगजन के अधिकारों और हक को बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि उनके सशक्तिकरण और समाज में संतोषजनक समावेश को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी तंत्र भी प्रदान करता है।
विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्रीय सम्मेलन (UNCRPD)
लक्ष्य
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सुगम्य भवन क्या है?
- सुगम्य भवन वह भवन होता हैजहां एक विकलांग व्यक्ति बिना किसी बाधा के इसमें प्रवेश कर सके और उपलब्ध सुविधाओं का इस्तेमाल कर सके।
- निर्मित सुविधाओं में शामिल हैं- सेवाएं, सीढि़यां तथा रैंप्स, प्रवेश द्वार, आकस्मिक निकास, अलार्म सिस्टम तथा प्रसाधन जैसी आंतरिक तथा बाह्य सुविधाएं।
मानदंड
- सुगम्य भवन की पहचान करने के लिए वार्षिक पहुँच क्षमता ऑडिट की आवश्यकता होती है जो यह निर्धारित करती है कि सुविधाएँ सहमत मानकों पर बनी है या नहीं।
- एक बार एक भवन को पूरी तरह से सुगम्यके रूप में पहचान हो जाने पर वार्षिक ऑडिट आवश्यक नहीं होती है, लेकिन इसमें निहित संरचना या सिस्टम में किसी भी प्रस्तावित परिवर्तन के लिए आवश्यक होती है |
- सुगम्यता के मानक,जहां तक संभव हो, स्थानीय संदर्भ लेते हुए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होने चाहिए जैसे आईएसओ ।
- आईएसओ 21542:2011, भवन निर्माण से सम्बंधित आवश्यकताओं और सिफारिशों की रूपरेखा बनाती है | यह भवन की सुगम्यता, पहुँच,निर्माण, संयोजन, उपकरणों और फिटिंग आदि के बारे में बताती है।