सुगम्य भारत अभियान

  • 16 Dec 2019

  • हाल ही में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सुगम्य भारत अभियान (Accessible India Campaign-AIC) अंतर्गत लक्ष्यों के प्राप्ति की समय सीमा मार्च 2020 तक बढ़ा दी है |
  • इसके अंतर्गत 50 शहरों के सबसे महत्वपूर्ण 25-50 सरकारी भवनों को पूरी तरह से सुगम्य बनाया जाना था और सुगम्यता ऑडिट किया जाना था ।

कारण

  • अभियान के तहत, सभी राज्यों की राजधानियों के सभी सरकारी भवनों को पूरी तरह से सुगम्य बनाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसको प्राप्त नहीं किया जा सका है।
  • दिसंबर 2018 तक एनसीटी के50% सरकारी भवनों को पूरी तरह से सुगम्य बनाया जाना था मगर इस पर कार्य करने की गति काफी धीमी है |

सुगम्य भारत अभियान (AIC)

  • विकलांग व्यक्तियों (PwD) या दिव्यांगजनों के लिए सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रव्यापी अभियान ‘सुगम्य भारत अभियान’चलाया गया | इसे दिसंबर, 2015 में विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग द्वारा शुरू किया गया था।

लक्ष्य

  • विकलांग लोगों को सार्वभौमिक पहुंच उपलब्ध कराना |
  • जीवन के सभी पहलुओं में विकास, स्वतंत्र जीवन और भागीदारी के लिए समान अवसर प्रदान करना जो समावेशी समाज की आवश्यक विशेषता है।
  • एक सुलभ भौतिक वातावरण बनाना जो सभी को लाभ पहुंचाता है।

AIC के घटक

निर्मित पर्यावरण पहुंच

  • सुलभ भौतिक वातावरण न केवल विकलांग व्यक्तियों को बल्कि सभी को लाभ देता है। इसके अंतर्गत स्कूलों, चिकित्सा सुविधाओं और कार्यस्थलों सहित सभी जगहों पर आतंरिक और बाह्य बाधाओं को खत्म किया जाना शामिल है।
  • इनमें न केवल इमारतों से संबंधति संरचनाएं शामिल है बल्कि फुटपाथ पर पैदल चलने वालों के आवागमन को अवरुद्ध करने वाली बाधाओं को भी दूर किया जाना शामिल है।

परिवहन प्रणाली पहुंच

  • परिवहन स्वतंत्र जीवन का महत्वपूर्ण घटक है, और समाज के अन्य लोगों की तरह, विकलांग व्यक्ति भीएक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए परिवहन सुविधाओं पर निर्भर हैं।
  • ‘परिवहन’ शब्द में हवाई यात्रा, बस, टैक्सी और ट्रेन सहित कई माध्यमों से यात्रा को शामिल किया जाता है।

सूचना और संचार इको-सिस्टम अभिगम्यता

  • सूचना तक पहुंच समाज के सभी वर्गों के लिए अवसर पैदा करती है । लोग अपने दैनिक जीवन के बारे में निर्णय लेने के लिए कई रूपों में जानकारी का उपयोग करते हैं।
  • यह शारीरिक रूप से एक हॉल में प्रवेश करने, किसी कार्यक्रम में भाग लेने, स्वास्थ्य संबंधी जानकारी की पुस्तिका पढ़ने, एक ट्रेन समय सारिणी को समझने या वेब पेजों को देखने जैसी क्रियाओं से सम्बंधित हो सकता है।

महत्ता

  • सुगम्य भारत अभियान के साथ, भारत विश्व के उनदेशों के समकक्ष हो गया है जहाँ सर्वव्यापी समावेशी समाज है | समावेशी समाज व्यक्ति के अधिकारों और जीवन स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
  • बेहतर भौतिक पहुंच संबंधी कार्य शिक्षा, रोजगार और आजीविका की प्राप्ति को सभी के लिए सुलभ बनायेंगे जिससे एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण होगा ।

एआईसी की ओर हाल के विकास

प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS)

  • सितंबर, 2019 में दिव्यांग जनसशक्ति करण विभाग (DEPwD) ने AIC के हित धारकों के लिए एक प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) विकसित की।
  • MIS पोर्टल AIC के प्रत्येक लक्ष्य की प्राप्ति के लिएकिये जा रहे कार्य की निगरानी में सहायक है एवं सभी नोडल मंत्रालयों और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को एक मंच पर लाता है ।
  • पोर्टल डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सभी फ़ंक्शन को बनाए रखने और वास्तविक समय पर डेटा प्राप्त करने में उपयोगी होगा।

वेबसाइट अभिगम्यता परियोजना

  • जनवरी, 2018 में दिव्यांग जनसशक्ति करण विभागने ERNET(Education and Research Network) इंडिया के माध्यम से वेबसाइट अभिगम्यता परियोजना शुरू की | यह सुगम्य भारत अभियान के तहत राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार के लिए प्रारंभ की गयी है जिसके माध्यम से वेबसाइटों को दिव्यांगजनों के लिए सुलभ बनाया जाना है |

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम –2016

  • दिसंबर 2016 में बनायह अधिनियम विकलांगता से ग्रस्त लोगों की पूर्ण स्वीकृति की सुविधा प्रदान करता है और समाज में ऐसे व्यक्तियों की पूर्ण भागीदारी और समावेश सुनिश्चित करता है।

लक्ष्य

  • समाज में विकलांग व्यक्तियों की गरिमा को बनाए रखना और किसी भी प्रकार के भेदभाव को रोकना।

मुख्य विशेषताएं

  • यह लंबे समय तक शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या संवेदी दुर्बलता वाले किसी भी व्यक्ति कोविकलांग व्यक्तिय के रूप में परिभाषित करता है ।
  • विकलांगों के मौजूदा 7 प्रकार से बढ़ाकर 21 प्रकार कर दिए गए हैं और इसके अनुसार, केंद्र सरकार के पास अधिक प्रकार की विकलांगताओं को जोड़ने की शक्ति है।
  • भाषण और भाषा विकलांगता और विशिष्ट शिक्षण विकलांगता को पहली बार जोड़ा गया है।
  • एसिड अटैक पीड़ितों को शामिल किया गया है।
  • बौनापन, स्नायु अपविकास को निर्दिष्ट विकलांगता के अलग वर्ग के रूप में इंगित किया गया है।
  • विकलांगों की नई श्रेणियों में तीन रक्त विकार, थैलेसीमिया, हेमोफिलिया और हंसिया कोशिका रोग शामिल है |

महत्ता

  • अधिनियम विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन(UNCRPD) के अनुरूप है, जिसका भारत 2007 से एक हस्ताक्षरकर्ता है। यह UNCRPD के संदर्भ में भारत की ओर से दायित्वों को पूरा करेगा।
  • इसके अलावा, यह न केवल दिव्यांगजन के अधिकारों और हक को बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि उनके सशक्तिकरण और समाज में संतोषजनक समावेश को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी तंत्र भी प्रदान करता है।

विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्रीय सम्मेलन (UNCRPD)

  • दिसंबर, 2006 में अंगीकृत UNCRPD पहला अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जो विकलांग लोगों के अधिकारों के पहचान साथ-साथ उनके अधिकारों को बढ़ावा देना सुनिश्चित करता है।
  • कन्वेंशन 3 मई, 2008 को लागू हुआ।
  • यह एक बेंचमार्क दस्तावेज है जो विकलांग लोगों के मानवाधिकारों और मूलभूत स्वतंत्रता की रक्षा करता है।

लक्ष्य

  • यह सुनिश्चित करना कि विकलांग लोग सभी के समान मानवाधिकारों का उपयोग करे और वे दूसरों के समान अवसर प्राप्त करके समाज में अपना योगदान कर सकें।

सुगम्य भवन क्या है?

  • सुगम्य भवन वह भवन होता हैजहां एक विकलांग व्यक्ति बिना किसी बाधा के इसमें प्रवेश कर सके और उपलब्ध सुविधाओं का इस्तेमाल कर सके।
  • निर्मित सुविधाओं में शामिल हैं- सेवाएं, सीढि़यां तथा रैंप्स, प्रवेश द्वार, आकस्मिक निकास, अलार्म सिस्टम तथा प्रसाधन जैसी आंतरिक तथा बाह्य सुविधाएं।

मानदंड

  • सुगम्य भवन की पहचान करने के लिए वार्षिक पहुँच क्षमता ऑडिट की आवश्यकता होती है जो यह निर्धारित करती है कि सुविधाएँ सहमत मानकों पर बनी है या नहीं।
  • एक बार एक भवन को पूरी तरह से सुगम्यके रूप में पहचान हो जाने पर वार्षिक ऑडिट आवश्यक नहीं होती है, लेकिन इसमें निहित संरचना या सिस्टम में किसी भी प्रस्तावित परिवर्तन के लिए आवश्यक होती है |
  • सुगम्यता के मानक,जहां तक संभव हो, स्थानीय संदर्भ लेते हुए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होने चाहिए जैसे आईएसओ ।
  • आईएसओ 21542:2011, भवन निर्माण से सम्बंधित आवश्यकताओं और सिफारिशों की रूपरेखा बनाती है | यह भवन की सुगम्यता, पहुँच,निर्माण, संयोजन, उपकरणों और फिटिंग आदि के बारे में बताती है।