सामयिक

तमिलनाडु:

तमिलनाडु की नमकट्टी, कन्याकुमारी मैटी केला और चेदिबुट्टा साड़ी को जीआई टैग

तमिलनाडु की जदेरी 'नामकट्टी,' कन्याकुमारी मैटी केला, और चेदिबुट्टा साड़ी को चेन्नई में 31 जुलाई, 2023 को भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री से भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्राप्त हुआ।

  • जीआई टैग पाने वाले उत्पादों के मामले में तमिलनाडु 58 उत्पादों के साथ देश में पहले स्थान पर है।
  • तमिलनाडु के बाद 50 से अधिक उत्पादों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर और 48 उत्पादों के साथ कर्नाटक तीसरे स्थान पर है।

जदेरी नामकट्टी

  • जदेरी नामकट्टी उच्च सिलिकेट खनिजों से बनी एक प्रकार की मिट्टी है, जिसका उपयोग भगवन विष्णु की पूजा के दौरान तिलक लगाने में किया जाता है।

कन्याकुमारी मैटी केला (मूसा सैपिडिसियाका)

  • यह मुख्य रूप से कन्याकुमारी जिले के अगाथिस्वरम, थोवलाई और तिरुवत्तार तालुकों में उगाया जाता है।

चेदिबुट्टा साड़ी

  • यह एक हथकरघा साड़ी है जो कला रेशम और सूती मिश्रण कपड़े से बनी है, जिसमें चेदिबुट्टा डिज़ाइन शामिल है। चेडिबुट्टा डिज़ाइन बनाने के लिए चमकीले रंग के सूती धागे का उपयोग किया जाता है।

तमिलनाडु में भारत का सबसे बड़ा स्काईवॉक पुल का उद्घाटन

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 16 मई, 2023 को भारत के सबसे बड़े स्काईवॉक पुलों में से एक का उद्घाटन किया। 570 मीटर लंबा और 4.2 मीटर चौड़ा यह स्काईवॉक ब्रिज मांबलम रेलवे स्टेशन और टी नगर बस टर्मिनस को जोड़ता है।

  • इस स्काईवॉक ब्रिज परियोजना के माध्यम से प्रतिदिन लगभग एक लाख लोगों के द्वारा उपयोग करने की संभावना है। मल्टी-मोडल प्रोजेक्ट रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड को जोड़ता है।
  • यह परियोजना पैदल यात्रियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से एक बड़ी मल्टी-मोडल पहल का हिस्सा है।
  • स्मार्ट सिटी फंड के तहत 28.45 करोड़ रुपये की लागत से ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन (जीसीसी) द्वारा निर्मित स्काईवॉक का उद्देश्य रंगनाथन स्ट्रीट, मैडली रोड, मार्केट स्ट्रीट पर यातायात को कम करना है।

तमिलनाडु के मनामदुरई पॉटरी को GI टैग

तमिलनाडु के मनामदुरई मिट्टी के बर्तनों को अपनी अनूठी शैली और शिल्प कौशल के लिए हाल ही में भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्रदान किया गया है।

  • तमिलनाडु के शिवगंगई जिले मनामदुरई मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए जाना जाता है।
  • वैगई नदी मनामदुरई मिट्टी के बर्तनों के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी को समृद्ध करती है।
  • इन बर्तनों को बनाने के लिए अन्य जल निकायों से एक अद्वितीय प्रकार की मिट्टी भी प्राप्त की जाती है।
  • बर्तन को विभिन्न रंगों में चित्रित किया जाता है। इन बर्तनों को बनाते समय प्रकृति के पांच तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, सूर्य और वायु का उपयोग किया जाता है।
  • जीआई टैग यह सुनिश्चित करता है कि मिट्टी के बर्तन नकल से सुरक्षित हैं और इसकी प्रामाणिकता की गारंटी देते हैं।

एनम एझुथुम योजना

हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन ने 8 साल से कम उम्र के छात्रों के बीच COVID-19 महामारी के कारण हुई सीखने की खाई को पाटने के लिएएक कार्यक्रम में 'एनम एझुथुम योजना' (Ennum Ezhuthum scheme) शुरू की।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • इस योजना का उद्देश्य 2025 तक मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (Numeracy) सुनिश्चित करना है।
  • शिक्षा विभाग सीखने की खाई को पाटने और आकलन करने के लिए कक्षा 1 से 3 तक के छात्रों को कार्यपुस्तिका वितरित करेगा।
  • योजना के तहत प्रत्येक बच्चे की व्यक्तिगत रूप से मदद करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है।
  • इस योजना के अंतर्गत बच्चों को 3 विषयों तमिल, अंग्रेजी और गणित में प्रशिक्षित किया जाएगा।

तमिलनाडु सरकार की 'टेक्सटाइल सिटी' स्थापित करने की योजना

तमिलनाडु सरकार चेन्नई के बाहरी इलाके में एक 'टेक्सटाइल सिटी' (textiles city) स्थापित करने की योजना बना रही है।

(Image Source: https://apparelresources.com/)

  • एक करोड़ रुपए की लागत से इस टेक्सटाइल सिटी की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
  • इस टेक्सटाइल सिटी में वस्त्र विपणन उद्योग और वस्त्र मूल्य शृंखला के घटकों से संबंधित सभी एकीकृत सुविधाएं होंगी।
  • चिकित्सा उपकरण और ऑटोमोबाइल उद्योगों में तकनीकी वस्त्रों (technical textiles) की भारी मांग को देखते हुए राज्य में तकनीकी वस्त्र विनिर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • बदलते फैशन प्रचलन का अध्ययन करने और उत्पाद डिजाइन में नवाचार करने के लिए दस करोड़ रुपए की लागत से चेन्नई में एक 'आधुनिक वस्त्र डिजाइन केंद्र' (modern Textile Design Centre) स्थापित किया जाएगा। यह केंद्र एक 'अंतरराष्ट्रीय नेटवर्किंग केंद्र' के रूप में भी काम करेगा।

कृषि, बागवानी हेतु नए शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 28 अप्रैल, 2022 को कृषि और बागवानी को कवर करने वाले नए शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों का उद्घाटन किया है।

  • इनमें इरोड जिले के भवानीसागर में 100 एकड़ के विशाल परिसर में एक नया ‘हल्दी अनुसंधान केंद्र’ शामिल है।
  • इसके अलावा कोयंबटूर में एक ‘जैविक खेती अनुसंधान केंद्र’ भी शामिल है।
  • कृष्णागिरी के पास जीनूर में, तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय से संबद्धता के साथ 150 एकड़ के परिसर में एक नए ‘बागवानी महाविद्यालय और अनुसंधान केंद्र’ का उद्घाटन किया गया है।
  • मुख्यमंत्री स्टालिन ने नागपट्टिनम, शिवगंगा में चेट्टीनाडु और करूर में तीन कृषि महाविद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों का भी अनावरण किया।

नरसिंहपेट्टई नागस्वरम को जीआई टैग

नरसिंहपेट्टई नागस्वरम (Narasinghapettai Nagaswaram) को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग दिया गया है।

(Image Source: https://indianculture.gov.in/)

  • यह तमिलनाडु का एक पारंपरिक सुषिर (पवन) वाद्य यंत्र है, जिसे कुंभकोणम तालुक के ग्रामीण कारीगरों द्वारा बनाया जाता है।
  • तंजावुर जिले के नरसिंगनपेट्टी गांव के कारीगर इस यंत्र को बनाते हैं। नरसिंगनपेट्टई गाँव के कारीगरों को अपने पूर्वजों से इन लकड़ी के उपकरणों को बनाने का कौशल विरासत में मिला है।
  • अब कलाकारों द्वारा उपयोग किए जा रहे नागस्वरम को 'परी नागस्वरम' कहा जाता है। यह थिमिरी से लंबा होता है।
  • नरसिंहपेट्टई नागस्वरम का एक बड़ा हिस्सा ‘आचा’ (हार्डविकिया बिनाटा) (Hardwickia binata) के पेड़ से बनाया गया है और कई बार कारीगर पुराने घरों के कुछ हिस्सों की लकड़ी का उपयोग करते हैं।
  • यंत्र बेलनाकार होता है और नीचे घंटी के आकार का होता है। इस वाद्य यंत्र में दो भाग होते हैं; शंक्वाकार नली और एक धातु की घंटी। छोर पर नीचे की ओर बढ़ने वाली नली, एक धातु की घंटी से सुसज्जित होती है।
  • इस वाद्य यंत्र की पहचान मंदिरों और अन्य धार्मिक आयोजनों के साथ होती है। इसे शास्त्रीय संगीत कार्यक्रमों के साथ-साथ शुभ और धार्मिक अवसरों पर भी उपयोग किया जाता है।

तमिलनाडु मुख्यमंत्री फेलोशिप कार्यक्रम

  • 9 मार्च, 2022 को तमिलनाडु सरकार ने 5.66 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 2022-24 की अवधि के लिए तमिलनाडु मुख्यमंत्री फेलोशिप कार्यक्रम (Tamilnadu Chief Minister’s Fellowship Programme) को लागू करने के आदेश जारी किए।
  • 24 व्यक्तियों को 12 चिन्हित विषयगत क्षेत्रों (प्रत्येक क्षेत्र के लिए दो फेलो) में शोध के लिए फेलोशिप प्रदान की जाएगी।
  • अनुसंधान के लिए बारह क्षेत्र हैं- जल संसाधनों में वृद्धि; कृषि उत्पादन में वृद्धि और विपणन लिंकेज तैयार करना; सभी के लिए आवास प्रदान करना; शैक्षिक मानकों में सुधार; स्वास्थ्य संकेतकों को बढ़ावा देना; सामाजिक समावेशन प्राप्त करना; बुनियादी ढांचे का उन्नयन और औद्योगिक विकास की सुविधा; कौशल विकास और उद्यमिता विकास प्रदान करना; संस्थागत ऋण की सुविधा; विरासत और संस्कृति की रक्षा करना; पारिस्थितिक संतुलन प्राप्त करना और डेटा शासन को बढ़ाना।
  • अपने आकस्मिक खर्चों को पूरा करने के लिए प्रत्येक अध्येता को 50,000 रुपए का मासिक पारिश्रमिक और प्रत्येक को 10,000 रुपए का अतिरिक्त भत्ता दिया जाएगा।
  • फेलोशिप के लिए आवेदन करने के समय उम्मीदवारों की आयु 22-30 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
  • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के उम्मीदवारों के लिए अधिकतम आयु सीमा 35 वर्ष और पिछड़ी जाति/अति पिछड़ी जाति वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 33 वर्ष होगी।

तमिलनाडु सरकार ने किए क्षेत्रीय योजनाएं तैयार करने हेतु नियम अधिसूचित

जनवरी 2022 में तमिलनाडु सरकार ने तमिलनाडु टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट, 1971 के तहत क्षेत्रीय योजना (तैयारी, प्रकाशन और स्वीकृति) नियम, 2021 को अधिसूचित किया है।

  • क्षेत्रीय योजना प्राधिकरण (RPA) के गठन के 18 महीने के भीतर क्षेत्रीय योजना क्षेत्र (regional planning area) और इसके विभिन्न हिस्सों के लिए भूमि और भवन-उपयोग का नक्शा तैयार करना चाहिए।
  • भूमि और भवन-उपयोग का नक्शा तैयार होने के दो साल के भीतर, RPA को क्षेत्रीय योजना का मसौदा तैयार करना चाहिए।
  • मसौदा योजना: मसौदा क्षेत्रीय योजना में क्षेत्र का स्थान, इसका ऐतिहासिक विकास, स्थलाकृति, भूविज्ञान और भू-आकृति विज्ञान, जल विज्ञान (सतह जल और भूजल), जलवायु, प्रशासनिक ढांचातथा शहरी और ग्रामीण विकास का कार्यात्मक क्षेत्र और अनुपात होगा।
  • इसमें आवासीय, औद्योगिक, वाणिज्यिक, कृषि और मनोरंजक उद्देश्यों के लिए या वनों के रूप में या खनिज दोहन के लिए भूमि के उपयोग की सीमा और विभिन्न क्षेत्रों के लिए विभिन्न सेक्टर से संभावित भूमि आवश्यकता अनुमान भी होंगे।

'मीनदम मंजप्पई' योजना

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने 23 दिसंबर, 2021 को जनता द्वारा कपड़े की थैलियों के उपयोग को बढ़ावा देने और प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए 'मीनदम मंजप्पई' योजना (Meendum Manjappai scheme) शुरू की।

(Image Source: https://www.thehindu.com/)

  • ज्ञात हो की काफी समय पहले पीले रंग के कपड़े के थैले शुभ अवसर के प्रतीक माने जाते थे लेकिन बाद में प्लास्टिक की थैलियों ने उनकी जगह ले ली।

प्लास्टिक के हानिकारक प्रभाव: मुख्यमंत्री ने सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों के हानिकारक प्रभावों पर भी प्रकाश डाला।

  • अगर प्लास्टिक को फेंक दिया जाता है, तो इसे अपघटित होने में कई साल लग जाते हैं और इससे मिट्टी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे कृषि प्रभावित होती है।
  • सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों को समुद्र में फेंकने से समुद्री जलीय प्रजातियों पर इसका दुष्प्रभाव दिखाई देता है।
Showing 1-10 of 23 items.