सामयिक

बैंकिंग व वित्त:

शहरी सहकारी बैंकों के लिए “साइबर सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी विज़न- 2020-2023” प्रकाशित किया

  • 24 सितंबर, 2020 को, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) के लिए साइबर सुरक्षा विज़नकी रूपरेखा ज़ारी किया।

आवश्यकता

  • हाल के समय में शहरी सहकारी बैंकों (UCB) सहित वित्तीय क्षेत्र में साइबर घटनाओं / हमलों की संख्या, आवृत्ति और प्रभाव कई गुना बढ़ गए हैं।
  • इसलिए, यह आवश्यक है कि साइबर हमलों से बचाव, पता लगाने, प्रतिक्रिया करने और पुनर्प्राप्ति के लिए शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) की सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाया जाए।

मिशन

रूपरेखा का उद्देश्य शहरी सहकारी बैंकों की साइबर सुरक्षा व्यवस्था को पांच-स्तंभ वाले सामरिक दृष्टिकोण-GUARD के माध्यम से बढ़ाना है-

  • शासन प्रणाली प्रबंध(Governance Oversight)
  • उपयोगी तकनीकी निवेश(Utile Technology Investment)
  • उपयुक्त विनियमन और पर्यवेक्षण(Appropriate Regulation and Supervision)
  • मजबूत सहयोग(Robust Collaboration)
  • आईटी और साइबर सुरक्षा कौशल का विकास करना(Developing IT and Cyber Security Skills Set)

मिशन - विशिष्ट कार्रवाई बिंदु शासन प्रणाली प्रबंध Governance Oversight

बोर्ड प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना

  • निदेशक मंडल शहरी सहकारी बैंकों (UCB) की सूचनाओं की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होगा तथा एक प्रभावी सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और सूचना सुरक्षा (IS) प्रशासन को सुनिश्चित करने में सक्रिय भूमिका निभाएगा।

प्रौद्योगिकी विज़न दस्तावेज़

  • शहरी सहकारी बैंक वित्तीय समावेशन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • इसलिए, शहरी सहकारी बैंकों को अपने कारोबार को अत्यधिक सुरक्षित करने के लिए आईटी समाधानों को सम्मिलित करते हुए अपनी खुद की प्रौद्योगिकी विज़न दस्तावेज़ विकसित करने की आवश्यकता है।

उपयोगी तकनीकी निवेश (Utile Technology Investment)

साइबर सुरक्षा परियोजनाओं के कार्यान्वयन हेतु निधि का निर्माण

  • साइबर सुरक्षा परियोजनाओं के लिए धनशहरी सहकारी बैंकों के वार्षिक शुद्ध लाभ (Annual Net Profits) से कुछ समय में बनाया जा सकता है।

बिजनेस आईटी संपत्तियोंका प्रबंधन

  • अपनी आईटी संपत्तियों की पूरी प्रक्रिया की उचित निगरानी करने के लिए, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों क्षेत्रों में शहरी सहकारी बैंकअपनेउद्यम आईटी अवसंरचना के लिए के निवेश करेंगे।
  • इसके अलावा, सॉफ्टवेयर लाइसेंस प्रबंधन (Software License Management - SLM) के लिए एक व्यापक प्रक्रिया शहरी सहकारी बैंकों द्वारा कार्यान्वित की जाएगी।

बैंकिंग सेवाओं की उपलब्धता

  • प्रमुखप्रक्रियाओं से संबंधित अवरोधों से बचने के लिए, शहरी सहकारी बैंकों के पास एक व्यावसायिक निरंतरता योजना (Business Continuity Plan- BCP) होगी।
  • बिजनेस को सुचारू रूप से और सुरक्षित रूप से संचालित करने के लिए सिस्टम और प्रक्रियाओं की प्राथमिकता पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

उपयुक्त विनियमन और पर्यवेक्षण(Appropriate Regulation and Supervision)

पर्यवेक्षी रिपोर्टिंग रूपरेखा (Supervisory Reporting Framework)

  • बड़ी संख्या में शहरी सहकारी बैंकों को देखते हुए,साइबर सुरक्षा दिशानिर्देशों के संबंध मेंशहरी सहकारी बैंकों की प्रभावी निगरानी के लिए एक तंत्र स्थापित किया जायेगा।

सुरक्षित प्रथाओं को लागू करने में उचित मार्गदर्शन

  • सभी सहकारी बैंकों के लिए एक समान साइबर सुरक्षा दस्तावेज़ज़ारी किया जाएगा।
  • यह विशेषाधिकार प्राप्त प्रबंधन (Privileged access management), नेटवर्क का विभाजन (network segmentation), सुरक्षित व्यवस्था का प्रारूप (secure configuration) और आकस्मिक मामलों में सुरक्षा (security incident) जैसी विभिन्न सर्वोत्तम प्रथाओं को सांझा करेगा।

मजबूत सहयोग(Robust Collaboration)

सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को साझा करने के लिए मंच

  • शहरी सहकारी बैंक (UCB) विभिन्न बैंकों के हितधारकों के साथ राज्य / क्षेत्रीय स्तर पर एक मंच स्थापित करने की संभावना तलाश सकते हैं।

क्लाउड सेवाओं को अपनाना

  • उचित ज़ेखिम का मूल्यांकन करने के बाद आईटी समाधान और साइबर सुरक्षा नियंत्रण कोकरने के लिए लागत प्रभावी प्रौद्योगिकियों (Cost effective technologies) जैसे, क्लाउड आधारित सेवाओं का उपयोग किया जा सकता है।

आईटी और साइबर सुरक्षा कौशल का विकास करना (Developing IT and Cyber Security Skills Set)

आईटी और साइबर सुरक्षा का प्रबंधन करने के लिए तकनीकी कौशल प्रदान करना

  • साइबर सुरक्षा के ज़ेखिम के प्रबंधन के लिए कर्मियों को तकनीकी कौशल प्रदान करने के लिए लक्षित कौशल-उन्मुख प्रशिक्षण (Targeted skill-oriented training) और प्रमाणपत्र कार्यक्रम (certification programmes) डिज़ाइन (तैयार) किए जाएंगे।
  • क्षेत्रीय भाषाओं में इस तरह का प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए देश भर के विभिन्न संस्थानों / विश्वविद्यालयों में उपलब्ध विशेषज्ञता का सदुपयोग करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

साइबर सुरक्षा पर सभी शहरी सहकारी बैंकों (UCB) के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना

  • आरबीआई के विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों और आरबीआई द्वारा अनुमोदित ऐसे अन्य संस्थानों के माध्यम से सभी शहरी सहकारी बैंकों (UCB) को जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध किए जाएंगे।
  • साइबर सुरक्षा की बेहतर समझ के लिए स्थानीय भाषा में शहरी सहकारी बैंकों (UCB) को साइबर सुरक्षा चुनौतियों और विनियामक अपेक्षाओं को संप्रेषित करना मुख्य उद्देश्य है।

महत्व

  • प्रौद्योगिकी विज़न दस्तावेज़ में उल्लिखित दृष्टिकोण के कार्यान्वयन से शहरी सहकारी बैंकों के साइबर लचीलापन पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होगा।

कोविड -19 से संबंधित तनाव हेतु संकल्प रूपरेखा परके वी कामत समिति की रिपोर्ट

  • 7 सितंबर, 2020 को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने केवी कामथ समिति द्वारा लायी गयी रिपोर्ट ज़ारी किया।यह समिति कोविड से संबंधित दबावों के लिए संकल्पित रूपरेखा (Resolution Framework) के तहत संकल्प योजना में आवश्यक वित्तीय मापदंडों (क्षेत्र विशिष्ट मापदंडश्रेणियों के साथ)पर सिफारिश करने के लिए बनाई गई थी।

मुख्य बिंदु

  • समिति मानती है कि:
    • कोविड -19 महामारी ने सर्वश्रेष्ठ कंपनियों को प्रभावित किया है।
    • अन्यथा पूर्व-कोविड -19 परिदृश्य में ये व्यवसाय व्यवहार्य (जीवक्षम) थे।
    • कोविड -19 महामारी का प्रभाव हर एक क्षेत्र में व्याप्त है, लेकिन अलग- अलग क्षेत्रों के साथ यह प्रभाव - निम्न, मध्यम और गंभीर है।
  • समिति ने लीवरेज (उद्यामन), लिक्विडिटी (नकदी - चल निधि) और डेब्ट सर्विसबिलिटी (ऋण उपयोगिता)से जुड़े पहलुओं सहित वित्तीय मापदंडों की सिफारिश की है।
  • समिति ने संकल्प योजना (RP) पर विचार करते हुए अपनी प्रासंगिकता के आधार पर पांच मापदंडों का चयन किया। ये अनुपात संकल्प योजना के लिए अपेक्षित मूल्यांकन ढांचा प्रदान करेंगे। इसमें निम्न शामिल हैं:
    • कुल व्यक्तिगत देयता अनुपात और समायोजित मूर्त निवल मूल्य(TOL/Adjusted TNW)
    • कुल ऋण / EBIDTA अनुपात(Earnings Before Interest, Depreciation, Taxes and Amortisation - ब्याज, मूल्यह्रास, कर और परिशोधन से पहले कमाई)
    • चालू अनुपात
    • ऋण सेवा कवरेज अनुपात (DSCR)
    • औसत ऋण सेवा कवरेज अनुपात (adscr)
  • इसमें 26 क्षेत्रों के लिए वित्तीय अनुपात का सुझाव दिया गया है, जो एक उधारकर्ता के लिए एक संकल्प योजना को अंतिम रूप देते समय, उधार देने वाले संस्थानों द्वारा एक सकारात्मक क़दम हो सकता है।इनमें वैमानिकी (aviation), आतिथ्य(hospitality), स्थावर संपदा क्षेत्र (Real estate sector) शामिल हैं जो कोविड -19 महामारी के प्रभाव के कारण अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक तनाव वाले क्षेत्रों में से एक हैं।

Source: Business Standard

  • प्रस्तावित योजना के तहत निम्न, मध्यम और गंभीर तनावपूर्ण श्रेणियों वाली संस्थाओं कोआवश्यक सामर्थ्य पहुचाने के लिए एक उचित दृष्टिकोणअपनाकरत्वरित बदलाव सुनिश्चित किया जा सकता है।
  • इस कार्य को पूरा करने के लिए निम्न और मध्यम तनाव श्रेणियों का पुनर्गठन किया जा सकता है। गंभीर तनाव के मामलों में व्यापक पुनर्गठन की आवश्यकता होगी।

क्षेत्र विशिष्ट मापदंड पर मुख्य सिफारिशें

  • निर्दिष्ट क्षेत्र में एक उधारकर्ता के लिए क्षेत्र विशिष्ट मापदंडों को संकल्प योजना की तैयारी के लिए मार्गदर्शन माना जा सकता है।
  • उधारकर्ताओं के पूर्व कोविड-19 संचालन और वित्तीय प्रदर्शन तथा कोविड-19 के कारण वित्तीय वर्ष 2021 के पहली और दूसरी तिमाही में पड़ने वाले प्रभाव के आधार परसंकल्प योजना की तैयारी की जा सकती है ताकि वित्तीय वर्ष 2021-22 और उसके बाद के वर्षों में नकदी प्रवाह की पहुँच बनाई जा सके। इन वित्तीय अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 को कुल व्यक्तिगत देयता अनुपात / समायोजित मूर्त निवल मूल्य (TOL/Adjusted TNW) औरकुल ऋण / EBIDTA अनुपात को पूरा किया जाना चाहिए।
  • वित्त वर्ष 22 से शुरू होने वाले प्रत्येक अनुमानित वर्ष में अन्य तीन सीमानुपातों को पूरा किया जाना चाहिए।मूल वित्तीय अनुमानों को संकल्प योजना के अनुसार तैयार किया जाना चाहिए।
  • उन क्षेत्रों में जहां समिति द्वारा सीमामापदंड निर्दिष्ट नहीं किए गए हैं,उधारदाता, ऋण चुकाने की क्षमता का अनुपात (solvency ratios)के लिए अपने स्वयं का आंतरिक आकलन कर सकते हैंजैसे- TOL/Adjusted TNWऔर कुल ऋण / EBIDTA। हालाँकि, वर्तमान अनुपात और ऋण सेवा कवरेज अनुपात (DSCR)1.0 या उससे उससे अधिक होगाऔर औसत ऋण सेवा कवरेज अनुपात (ADSCR)1.2 या उससे अधिक होगा।
  • समिति ने अधिकांश क्षेत्रों मेंवर्तमान अनुपात, ऋण सेवा कवरेज अनुपात (DSCR)और औसत ऋण सेवा कवरेज अनुपात (ADSCR)के लिए समान रूप से सीमाएं प्रस्तावित की हैं।
  • वर्तमान ढांचे के तहत उधारकर्ता स्टैण्डर्ड अकाउंट के योग्य हैं और इस तरह, उन्हें पूर्व-कोविड -19 के स्तर पर अपनी स्थिति को बहाल करने के लिए कुछ समय की आवश्यकता हो सकती है।
  • सिफारिशों के अनुसार, संकल्प प्रक्रियाके स्वरुप कोइस तरह से व्यवहार्य होना चाहिए कि 75% ऋणदाताओंका प्रतिनिधित्व मिल सके 60 प्रतिशत ऋणदाता ऐसा करने के लिए सहमत हैं।

विश्लेषण

  • विशेषज्ञों के अनुसार, के वी कामथ पैनल की ऋण पुनरावृत्ति सिफारिशें,पूर्ववर्ती कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन (CDR) तंत्र से बेहतर हैं, लेकिन इससे बैंकों को अल्पकालिक राहत तो ज़रूर है मगर भविष्य में तनाव की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
  • CDR का उपयोग बड़े पैमाने पर गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों को दबाने के लिए किया जा चुका है और इसकी सफलता दर 15 प्रतिशत है।
  • यह रूपरेखा, सीमित समय के लिए हैऔर उच्च प्रावधान, योग्यता और पर्यवेक्षी तंत्र हेतु कठोर वित्तीय सीमा पर ज़ोर देती है।
  • सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले आर्थिक पुनरुद्धार और क्षेत्र-विशिष्ट पैकेजों की अनुपस्थिति में,नया तंत्र "चुनौतीपूर्ण" होगाऔर ऋण बाजारों में अनिश्चितता को भी समाप्त कर सकता है।
  • रियल स्टेट, व्यापारियों, होटल / रेस्तरां क्षेत्रों में तनावग्रस्त उधारकर्ताओं की मदद की जाएगी,लेकिन इस तंत्र के माध्यम सेसरकार के पहल अर्थात क्षेत्र-विशिष्ट पैकेज और आर्थिक पुनरुद्धार के बिना अनियमित बिजली और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में तनाव को हल करनाचुनौतीपूर्ण होगा।
  • यह ‘अच्छी स्थिति’ वाली कंपनियों के खातों के लिए डरावना है जिसके पुनर्गठन के बाद गैर-निष्पादित (non-performing) होने का डर है, दरअसल यह सिर्फ़ "अल्पकालिक राहत"प्रदान करता है।
  • यह रूपरेखा बहुत व्यापक है, लेकिन विषय-वस्तु के लिए कुछ गुंजाइश छोड़ देता है जैसे मूल वित्तीय अनुमानों के आधार पर समय सीमा को 2021-22 के बाद पूरा किया जाना है।

फोर्स मेजर क्लॉज

  • वस्तु एवं सेवा कर (GST) की 41वीं बैठक में आर्थिक विनाश के परिमाण की झलक सामने आई है, जिसमें इस वर्ष क्षतिपूर्ति उपकर में लगभग 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान लगाया गया है।
  • वित्त मंत्रालय ने खुलासा किया कि इस कमी कि भरपाई केंद्र नहीं कर पायेगा।
  • अब देश के व्यापार एक कानूनी प्रावधान -फोर्स मेजर या "एक्ट ऑफ गॉड" क्लॉज की ओर देख रहे हैं। इस शब्द की उत्पत्ति नेपोलियन कोडसे हुई है इसका अर्थ “घाटे की कटौती” होता है।
  • इससे पहले फरवरी, 2020 मेंमंत्रालय ने एक आधिकारिक ज्ञापन जारी किया था जिसमें स्पष्ट किया गया था कि “महामारी को प्राकृतिक आपदा का मामला माना जाना चाहिए और जहाँ उचित समझा जायेगा, फोर्स मेजर क्लॉज का आह्वान किया जा सकता है”।

फोर्स मेजर क्लॉज के बारे में

  • फोर्स मेजर शब्द को ब्लैक लॉ डिक्शनरी (शब्दकोष) में परिभाषित किया गया है, जिसका अर्थ है ‘एक ऐसी घटना या प्रभाव जिसे न तो अनुमानित किया जा सकता है और न ही नियंत्रित किया जा सकता है’।
  • यह एक संविदात्मक प्रावधान है जो किसी पार्टी के प्रदर्शन के असंभव या अव्यवहारिक होने पर नुकसान के जोखिम को आवंटित करता है,विशेष रूप से ऐसी घटनाओं के परिणामस्वरूप जिसका पूर्वानुमान या नियंत्रणपार्टियों द्वारा नहीं किया जा सकता।

फोर्स मेजर की अवधारणा पर भारतीय न्यायशास्त्रका मत

  • भारतीय विधियों के तहत फोर्स मेजर की अवधारणा को न तो सरोकार नज़र आता है और न ही इसे परिभाषित किया गया है।
  • हालाँकि, इससे जुड़े हुए कुछ संदर्भ भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 ("अनुबंध अधिनियम") की धारा 32 में पाए जा सकते हैं।
  • इसका उल्लेख, व्यय विभाग द्वारा जारी किए गए माल की खरीद के लिए 2017 कीनियमावली(Manual) में भी किया गया है।

"एक्ट ऑफ़ गॉड" और "फोर्स मेजर" के बीच अंतर

  • आमतौर पर, "एक्ट ऑफ़ गॉड" को सिर्फ़ प्रकृति अप्रत्याशित परिस्थितियों के रूप में समझा जाता है,जबकि "फोर्स मेजर" का दायरा बड़ा व्यापक है इसमें प्रकृति अप्रत्याशितपरिस्थितियों के आलावा मानव हस्तक्षेप के कारण उत्पन्न परिस्थितियां भी शामिल है।

फोर्स मेजर के उपयोग के लिए कानूनी तौर पर पात्रता

आम तौर पर ‘फोर्स मेजर’ के लिए निम्न स्थितियाँ सूचीबद्ध हैं-

  • युद्ध, दंगे, प्राकृतिक आपदाएँ या एक्ट ऑफ़ गॉड,हड़तालें, सरकार द्वारा नई नीति लागू करकेएक महाभियोग थोपना, बहिष्कार और महामारी का प्रकोप।
  • यदि कोई ऐसी घटना घटित होती है जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता है, तो ऐसी घटनाओं की व्याख्या इस प्रकार से की जाती है कि वह वर्णित घटनाओं की श्रेणी में आ जाए।

फोर्स मेजरक्लॉज लागू होने की स्थिति में

  • जब फोर्स मेजर क्लॉज को लागू किया जाता है, तो पार्टियां अनुबंध का उलंघन किए बिनास्थायी या अस्थायी रूप से अपने दायित्वों से पीछे हटने का फैसला कर सकती हैं।
  • ऐसी स्थितियों में पार्टी इस क्लॉज का उपयोग अपनी जिम्मेदारियों से बचते हुए एक सुरक्षित निकास मार्ग के रूप में करती हैं, कभी-कभी अनुबंध उलंघन करने की वज़ह से लगने वाले जुर्माने से बचने के लिए इसका उपयोग अवसरवादी तरीकों से किया जाता है।
  • यदि एक पार्टी अनुबंध को स्वीकार करती है जबकि दूसरी पार्टीफोर्स मेजर क्लॉज (FMC) का आह्वान करती है तो इस अन्यायपूर्ण स्थिति में अनुबंध को लेकर अदालत का रुख किया जा सकता है।

अनुबंध में फोर्स मेजर क्लॉज (FMC) की अनुपस्थिति की स्थिति में

  • यदि अनुबंध में फोर्स मेजर क्लॉज नहीं होता है, तो सामान्य कानून की कुछ सुरक्षाएं होती हैं जिसका उपयोग पार्टियों द्वारा किया जा सकता है।
  • उदाहरण के लिए, भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 यह प्रावधान करता है कि यदि अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद एक ऐसी घटना घटित हो जाये जिसे किसी पार्टी द्वारा रोकना असम्भव हो तो किया गया अनुबंध व्यर्थ हो जाता है।

फोर्स मेजर क्लॉज पर न्यायालय का दृष्टिकोण

  • कोर्ट के फैसलों नेस्थापित किया है कि अनुबंध के क्रियान्वयन में कठिनाई होने परनहीं, बल्कि असंभव की स्थिति में फोर्स मेजर को लागू किया जा सकता है।
  • यह ध्यान दिया जाता है कि अनुबंध के क्रियान्वयन की असंभवता का तर्क देने वाली पार्टी ने फोर्स मेजर के आह्वान से पहले अपनी देनदारियों को पूरा करने के लिए अन्य सभी तरीकों की कोशिश की है या नहीं।
  • अदालत इस तरह की बारीकियों पर गौर करेगी कि क्या स्थानीय स्तर पर लागू की गयी तालाबंदी अनुबंध के क्रियान्वयन को रोकती है।
  • अदालत इस बात पर भी गौर करेगी कि वास्तव में अनुबंध कोफोर्स मेजर की सूची में सूचीबद्ध होने के लिए उद्धृत परिस्थिति कितनी अप्रत्याशित है।
  • अप्रैल, 2020 में, बॉम्बे उच्च न्यायालयने एक मामले में फोर्स मेजर को स्वीकार नहीं किया जिसमें याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि कोविड -19 के कारण हुई तालाबंदी ने स्टील की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध को बुरी तरह प्रभावित किया।

व्यवसायों के लिए फोर्स मेजर क्लॉज (FMC) का महत्व

  • फोर्स मेजर क्लॉज आमतौर पर विभिन्न अनुबंधों में पाया जा सकता है जैसे बिजली खरीद समझौते, आपूर्ति अनुबंध, विनिर्माण अनुबंध, वितरण समझौते, परियोजना वित्त समझौते, रियल एस्टेट के निर्माणकर्ताओं और घर खरीदारों के बीच समझौते, आदि।
  • यह पार्टियों को उस अवधि के दौरान अनुबंध और परिणामी देनदारियों के तहत किये गए दायित्वों को पूरा करने से रोकता है। उपरोक्त अनुबंधों की शर्तें पूरी होनेके बाद ही फोर्स मेजर क्लॉज लागू कियाजाता है।

FMC को आमंत्रित करने के वैश्विक उदाहरण

  • चीन में, जहां कोविड -19 प्रकोप की उत्पत्ति हुई, काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने व्यवसायों को फोर्स मेजर प्रमाण पत्र ज़ारी किया है।
  • इसके अलावा, इसने 2002 SARS के प्रकोपको एक फोर्स मेजर घटना के रूप में मान्यता दी थी।
  • सिंगापुर ने अप्रैल, 2020 में कोविड -19 (अस्थायी उपाय) अधिनियम बनाया, ताकि उन व्यवसायों को राहत मिल सके जो महामारी के कारण अपने संविदात्मक दायित्वों को नहीं निभा सकते हैं।
  • जुलाई, 2020 में पेरिस वाणिज्यिक न्यायालय ने फैसला सुनाया कि महामारी को फोर्स मेजर घटना के बराबर किया जा सकता है।

फोर्स मेजर (FMC) पर आचार संहिता

  • इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स ने मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय अभ्यास को ध्यान में रखते हुए फोर्स मेजर क्लॉज पर एक आचार संहिताविकसित किया है।
  • इसमें कहा गया है कि फोर्स मेजर क्लॉज के संचालन की गति में अवरोध का नियंत्रण पार्टीसे परे होना चाहिए और अनुबंध के समापन के समय फोर्स मेजर क्लॉज यथोचित पूर्वानुमानित नहीं हो सकता है तथा अवरोध के प्रभाव को यथोचित रूप से टाला या दूर नहीं किया जा सकता है

वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीति

  • 20 अगस्त, 2020 को, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्तीय रूप से जागरूक और सशक्त भारत निर्माण हेतु वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीति (National Strategy for Financial Education NSFE): 2020-2025 दस्तावेज़ ज़ारी किया है।
  • यह दूसरी राष्ट्रीय रणनीतिहै,पहला वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीति (NSFE) 2013 में प्रारंभ किया गया था।

वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीति (NSFE) की पृष्ठभूमि और औचित्य

  • भारत में वयस्कों की एक बड़ी आबादी है। एक जीवंत और स्थिर वित्तीय प्रणाली के माध्यम से समावेशी विकास पर ज़ोर देने तथा भारत को सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने हेतु इस बड़ी जनसांख्यिकीय क्षेत्र से लाभ सुनिश्चित करने के लिएवित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीति (NSFE) की आवश्यकता है।
  • पिछले कुछ वर्षों में, डिजिटलीकरण की दिशा में तेजी से प्रगति हुई हैजिससे नए अवसरों को सामने लाया हैजैसे पहले कभी नहीं था।
  • देश में डिजिटल लेनदेन और भुगतान अवसंरचना (पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर) में बदलाव (कम नकद अर्थव्यवस्था का लक्ष्य) एक मिशाल है। इन सभी विकासों के कारण, वित्तीय शिक्षा के लिए मौजूदा राष्ट्रीय रणनीति (NSFE) को संशोधित करना और इसे लागू करने के लिए नवीन उपायों को अपनाना अनिवार्य हो गया है।
  • बुनियादी वित्तीय शिक्षा प्रारंभ करने और देश में जनता के बीच वित्तीय साक्षरता बढ़ाने हेतु उपयुक्त सामग्री विकसित करने के लिए वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय केंद्र (NCFE) की स्थापना कंपनी अधिनियम, 2013के तहत एक खंड (8) द्वारा की गई है।

वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीति (NSFE) के रणनीतिक उद्देश्य

  • वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीति (NSFE) के रणनीतिक उद्देश्य वित्तीय शिक्षा के माध्यम से जनसंख्या के विभिन्न वर्गों के बीच वित्तीय साक्षरता की अवधारणा को एक महत्वपूर्ण जीवन कौशल बनानाहै।
  • वित्तीय लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करने के लिए वित्तीय बाजारों में भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
  • ऋण अनुशासन विकसित करेंऔर आवश्यकता के अनुसार औपचारिक वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • सही और सुरक्षित तरीके सेडिजिटल वित्तीय सेवाओं के उपयोग में सुधार।
  • प्रासंगिक और उपयुक्त बीमा सुरक्षा के माध्यम से विभिन्न जीवन चरणों में जोखिम का प्रबंधन करें।
  • शिकायत निवारण के अधिकार,कर्तव्य और मार्ग के बारे में ज्ञान।

प्रमुख बिंदु

  • NSFE को नेशनल सेंटर फॉर फाइनेंशियल एजुकेशन (National Centre for Financial Education- NCFE) द्वारा वित्तीय समावेशन एवं वित्तीय साक्षरता पर तकनीकी समूह (Technical Group on Financial Inclusion and Financial Literacy- TGFIFL) के तत्त्वाधान में सभी वित्तीय क्षेत्र नियामकों जैसे- भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI), भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI), पेंशन निधि नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) आदि के परामर्श से तैयार किया गया है।
  • लोगों की जरूरतों और देश के उपलब्ध संसाधनों के आधार पर एक व्यापक रणनीति तैयार करने के लिए, निम्नलिखित प्रक्रिया को भारतीय संदर्भ में अपनाया गया है:
    • वित्तीय साक्षरता में अंतराल का आकलन और मूल्यांकन करना।
    • वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीतियाँ पर OECD अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क वित्तीय शिक्षा के लिए नीति पुस्तिकाके साथ NFSE की तुलना।
    • यह वित्तीय सेवा प्रदाताओं और वित्तीय साक्षरता के प्रसार में शामिल अन्य मध्यस्थों के कौशल की उन्नति पर केंद्रित है।
    • यह पर्याप्त ज्ञान, कौशल, दृष्टिकोण और व्यवहार विकसित करने के लिए जनसंख्या के विभिन्न वर्गों को सशक्त बनाने के लिए भारत सरकार और वित्तीय क्षेत्र के नियामकों की दृष्टिकोण का समर्थन करता है, जिन्हें अपने पैसे का बेहतर प्रबंधन करने और भविष्य की योजना बनाने की आवश्यकता होती है।
  • रणनीतिक उद्देश्यों की परिकल्पना निम्नलिखित आयामों के माध्यम से की जाएगी।

मुख्य सिफारिशें

  • निर्धारित किए गए सामरिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, दस्तावेज़ ‘5-C (सी)’ दृष्टिकोणको अपनाने की सिफारिश करता है-

सामग्री (Content)

  • स्कूली बच्चों (पाठ्यक्रम और सहशैक्षणिक सहित), शिक्षकों, युवा-वयस्कों, महिलाओं, कार्यस्थल / उद्यमियों (MSMEs) में नए प्रवेश, वरिष्ठ नागरिकों, विकलांग व्यक्तियों, निरक्षर लोगों, आदि के लिए वित्तीय साक्षरता सामग्री।

क्षमता (Capacity)

  • विभिन्न बिचौलियों की क्षमता विकसित करना जो वित्तीय साक्षरता प्रदान करने में शामिल हो सकते हैं।
  • वित्तीय शिक्षा प्रदाताओं के लिए एक 'आचार संहिता' विकसित करें।

समुदाय (Community)

  • स्थायी रूप से वित्तीय साक्षरता के प्रसार के लिए विकसित समुदाय दृष्टिकोण का नेतृत्व करें।

संचार(Communication)

  • वित्तीय शिक्षा संदेशों के प्रसार के लिए प्रौद्योगिकी, मास मीडिया चैनलों और संचार के नवीन तरीकों का उपयोग करें।
  • बड़े / केंद्रित पैमाने पर वित्तीय साक्षरता संदेशों को प्रसारित करने के लिए वर्ष में एक विशिष्ट अवधि की पहचान करें।
  • वित्तीय साक्षरता संदेशों के सार्थक प्रसार के लिए सार्वजनिक स्थानों (जैसे बस स्टेंड, रेलवे स्टेशन आदि) पर अधिक दृश्यता के साथ प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।

सहयोग (Collaboration)

  • एक सूचना डैशबोर्ड की तैयारी।
  • वित्तीय साक्षरता के लिए अन्य हितधारकों के प्रयासों को कारगर बनाना।
  • रणनीति व रणनीति के तहत की गई प्रगति का आकलन करने के लिए एक मजबूत “निगरानी और मूल्यांकन रूपरेखा”को अपनाने का भी सुझाव।

अपेक्षित प्रभाव

  • रणनीति ऋण अनुशासन विकसित करेगी और आवश्यकता के अनुसार औपचारिक वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने को प्रोत्साहित करेगी।यह सुरक्षित और सुरक्षित तरीके से डिजिटल वित्तीय सेवाओं के उपयोग में सुधार करेगा।
  • सक्रिय बचत व्यवहार को प्रोत्साहित करनेके अलावा, यह वित्तीय लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करने के लिए वित्तीय बाजारों में भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा।
  • यह वित्तीय शिक्षा में प्रगति का आकलन करने केलिएशोध और मूल्यांकन के तरीकों को बेहतर बनाने में मददकरेगा।

वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीतियों पर OECD / INFE नीति पुस्तिका

  • यह नीति निर्माताओं और सार्वजनिक प्राधिकरणों को वित्तीय शिक्षा और व्यक्तिगत वित्तीय शिक्षा कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय रणनीतियों को तैयार करने और कार्यान्वित करने के लिए समर्थन करता है, जबकि भागीदार देशों की आबादी के बीच वित्तीय साक्षरता बढ़ाने के लिए नवीन तरीकों का प्रस्ताव भी करता है।
  • नीति पुस्तिका को मई 2014 में इस्तांबुल (तुर्की) में OECD / INFE तकनीकी बैठक में विकसित किया गया था।

वित्तीय शिक्षा से संबंधित चार प्रमुख नीतिगत क्षेत्र

  • मानक सेटिंग, कार्यान्वयन और मूल्यांकन
  • वित्तीय शिक्षा और डिजिटलीकरण का प्रभाव
  • कार्यस्थल में वित्तीय शिक्षा
  • उम्र बढ़ने की आबादी और पुराने उपभोक्ताओं की जरूरतों का प्रभाव

वित्तीय शिक्षा के बारे में

  • वित्तीय शिक्षाको उस प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसके द्वारा वित्तीय उपभोक्ता / निवेशक वित्तीय उत्पादों, अवधारणाओं और जोखिमों की अपनी समझ में सुधार करते हैं तथा सूचना, निर्देशया सलाह के माध्यम से वित्तीय जोखिमों और अवसरों के बारे में अधिक जागरूक बनने के लिए कौशल और आत्मविश्वास विकसित करते हैं। वित्तीय शिक्षा के ज़रिये सूचित विकल्प बनाने में, मदद के लिए कहां जाना है और अपनी वित्तीय भलाई में सुधार करने के लिए अन्य प्रभावी कार्रवाई के बारे में समझ विकसित होती है।
  • जबकि, वित्तीय साक्षरताको वित्तीय जागरूकता बनाने के लिए आवश्यक वित्तीय जागरूकता, ज्ञान, कौशल, दृष्टिकोण और व्यवहार के संयोजन के रूप में परिभाषित किया गया है और अंततः व्यक्तिगत वित्तीय कल्याण प्राप्त किया जाता है।

वित्तीय साक्षरता के घटकों की परिभाषा (OECD-INFE)

  • वित्तीय साक्षरता में ज्ञान, दृष्टिकोण और व्यवहार के पहलुओं को समाहित किया गया है, जैसे कि धन प्रबंधन, लघु और दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों की योजना और जागरूकता और वित्तीय उत्पादों की पसंद के संदर्भ में। वित्तीय ज्ञान में प्रमुख वित्तीय अवधारणाओं की समझ और वास्तविक जीवन की वित्तीय स्थितियों में लाभ का मूल्यांकन करने की क्षमता शामिल है। किसी व्यक्ति के वित्तीय ज्ञान का निर्धारण करने के लिए साधारण ब्याज, चक्रवृद्धि ब्याज, धन का सामयिक मूल्य, मुद्रास्फीति, विविधीकरण, विभाजन, जोखिम-प्रतिफल और ऋण पर दिए गए ब्याज की अवधारणा का परीक्षण किया जाता है।
  • वित्तीय व्यवहार में दिन-प्रतिदिन के धन प्रबंधन, वित्तीय नियोजन, खर्च, बचत, निवेश, दैनिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए ऋण पर निर्भरता और भविष्य की भलाई के लिए सुरक्षा जाल का निर्माण शामिल है।
  • वित्तीय दृष्टिकोण का उद्देश्य बचत के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया का अध्ययन करना है, अल्पकालिक प्राथमिकता देना दीर्घकालिक सुरक्षा पर निर्भर करता है।

वित्तीय शिक्षा के घटक

बुनियादी वित्तीय शिक्षा

  • बुनियादी वित्तीय शिक्षा में वित्तीय कल्याण के मूलभूत सिद्धांत शामिल हैं। भारत सरकार द्वारा वित्तीय समावेशन के लिये कई महत्त्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की गई है जैसे- प्रधानमंत्री जन-धन योजनाव सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री किसान धन योजना, प्रधानमंत्री श्रम योगी मन धन योजना और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना। इन योजनाओ के कार्यान्वयन हेतु लोगों को वित्तीय शिक्षा की भी आवश्यकता होती है ताकि वे इन योजनाओं का पूरा लाभ उठा सकें।
  • इन मूल अवधारणाओं को लक्षित दर्शकों के लिए उपयुक्त, डिलीवरी (पहुँच) के विभिन्न तरीकों को अपनाकर सभी को सूचित करने की आवश्यकता है।
  • आर्थिक रूप से बहिष्कृत और नए शामिल किए गए लोगों पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा, लेकिन उनके खातों का संचालन नहीं किया जाएगा।
  • बुनियादी वित्तीय शिक्षा क्षेत्र-विशिष्ट और प्रक्रिया शिक्षा (sector-specific and process education) के लिए एक आधार के रूप में कार्य करती है।

सेक्टर विशिष्ट वित्तीय शिक्षा (Sector Specific Financial Education)

  • वित्तीय क्षेत्र के नियामकों द्वारा सेक्टर विशिष्ट वित्तीय शिक्षा प्रदान की जा रही है जो वित्तीय सेवाओं के “क्याकरें और क्या न करें”, “अधिकार और जिम्मेदारियां”,“डिजिटल वित्तीय सेवाओं का सुरक्षित उपयोग”तथा “शिकायत निवारण” प्राधिकरण के पास जाने को लेकर जागरूकताका विस्तार करती है।

प्रक्रिया शिक्षा (Process Education)

  • प्रक्रिया शिक्षा यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि ज्ञान, व्यवहार में परिवर्तित हो।

आगे का रास्ता

  • वित्तीय शिक्षा आपूर्ति पक्ष के हस्तक्षेपों की पहल की मांग की प्रतिक्रिया बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • संयोग से, वित्तीय शिक्षा भी शिक्षा पर सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) नंबर 4 की उपलब्धि का समर्थन करती है,जिसका उद्देश्य समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना और सभी के लिए जीवन भर सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना है (साक्षरता पर एसडीजी लक्ष्य 4.6 और शिक्षा पर एसडीजी 4 के तहत जीवन कौशल पर एसडीजी लक्ष्य 4.4 है)।
  • संबंधित हितधारकों द्वारा वित्तीय शिक्षा पहल लोगों को विनियमित संस्थाओं के माध्यम से उपयुक्त वित्तीय उत्पादों और सेवाओं तक पहुंच प्राप्त करके वित्तीय कल्याण हासिल करने में मदद करेगी।
  • बैंकिंग के आकार के साथ-साथ अन्य वित्तीय क्षेत्रों में भी वृद्धि करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इन विकासों का लाभ आम जनता तक पहुंचे।
  • वित्तीय क्षेत्र में हो रहे व्यापक और तीव्र बदलावों को ध्यान में रखते हुए, सभी हितधारकों को वित्तीय सेवाओं के विकास की गतिशील प्रकृति और वित्तीय साक्षरता के लिए आवश्यक सहवर्ती परिवर्तन की सराहना करने की आवश्यकता है।
  • नीति निर्माताओं को प्राथमिकताओं की पहचान करने और उनके हस्तक्षेप के प्रभाव का आकलन करने में मदद करने के लिए एक मजबूत और वैज्ञानिक मूल्यांकन पद्धति एक लंबा रास्ता तय करेगी।
  • इस संबंध में कुछ व्यापक मुद्दों पर विचार करने की आवश्यकता है:
    • कार्यान्वयनविधियोंके प्रशासन, समन्वय और निगरानी तंत्र तथा हितधारकों की भूमिका और किसी भी संचार या प्रचार योजनाओं (पहल) के प्रभाव का आकलन करने के लिए राष्ट्रीय रणनीति मूल्यांकनकी आवश्यकता है।
    • प्रत्येक हितधारक को रणनीति के रूपरेखा, विकास और कार्यान्वयन में स्पष्ट रूप से योजना बनाने और उनकी भूमिका को स्पष्ट करने की आवश्यकता है जिसकी गुणात्मक और मात्रात्मक संकेतकों के माध्यम से निगरानी की जाएगी।
    • विभिन्न चैनलों के माध्यम से प्रतिक्रियाओं को एकत्र करने के लिए वैज्ञानिक रूप से तैयार किये गए ख़ाके को वित्तीय क्षेत्र में व्यापक बदलावों को ध्यान में रखते हुए तैयार करने और समय-समय पर समीक्षा करने की आवश्यकता है।
  • मूल्यांकन में शामिल चुनौतियों के मद्देनजर उपयुक्त मूल्यांकन विधियों के चयन को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए।

भारतीय रिजर्व बैंक की नई ऋण पुनर्गठन योजना

  • 6 अगस्त, 2020 को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने क़र्ज़ चुक्ता न करने की स्थिति में पहुचें उधार कर्ताओं के लिए ऋण पुनर्गठन योजना को मंजूरी दी है।
  • इसे 7 जून, 2019 को ज़ारी तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान (Resolution of Stressed Assets issued) के लिए विवेकपूर्ण रूपरेखा (Prudential Framework) के अंतर्गत एक विशेष नीति के रूप में घोषित किया गया है।
  • इसको कोविड-19 संबंधित तनाव के लिए संकल्प योजना रूपरेखा (Resolution Framework for Covid-19 related Stress) कहा गया है।

लाभार्थी

  • सिर्फ़ वही व्यक्ति अथवा कंपनी इसके एकमुश्त पुनर्गठन के लिए पात्र है जिनके ऋण खाते का बकाया 1 मार्च 2020 तक 30 दिनों से अधिक का नहीं है।
  • कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं के लिए, बैंक 31 दिसंबर, 2020 तक संकल्प योजना को ज़ारी रख सकते हैं और इसे 30 जून, 2021 तक लागू कर सकते हैं।
  • व्यक्तिगत ऋणों के लिए, संकल्प रूपरेखा को 31 दिसंबर, 2020 तक ज़ारी रखा जा सकता है और इसके बाद 90 दिनों के भीतर लागू किया जाएगा।

कार्यान्वयन

  • आरबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व अध्यक्ष के वी कामथ की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो आवश्यक वित्तीय मापदंडों पर सिफ़ारिशें देंगे।

यह पिछली पुनर्गठित योजनाओं से कैसे भिन्न है?

  • प्रवेश बाधाएँ: पहले की पुनर्गठन योजनाओं में वर्तमान योजना की तरह कोई प्रवेश बाधा नहीं थी, जो केवल 1 मार्च 2020 की कट-ऑफ तारीख़ तक कोविड की बदौलत समस्या का सामना करने वाली कंपनियों के लिए उपलब्ध है।
  • निर्धारित समय-सीमा: समाधान योजना के आह्वान के लिए सख्त़ समयसीमा और इसके कार्यान्वयन को योजना में परिभाषित किया गया है, जबकि अतीत में यह बड़े पैमाने पर खुला था।
  • आईसीए (ICA)हस्ताक्षरित अनिवार्यता: योजना कीरूपरेखा सभी लेनदारों को अंतर-लेनदार समझौते (Inter-Creditor Agreements- ICA) पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य बनाती है।
  • स्वतंत्र सत्यापन: 100 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण के लिए केवल एक क्रेडिट एजेंसी के सत्यापन की आवश्यकता होगी। कामथ कमेटी द्वारा 1,500 करोड़ रुपये से अधिक के बड़े ऋणों पर भी रोक लगाई गई है।
  • विलंब के लिए जुर्माना: पहले की योजनाओं में पुनर्गठन के लिए एक समझौते में देरी करने वाले ऋणदाताओं के लिए कोई असहमति नहीं थी। वर्तमान योजना में आईसीए पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले उधारदाताओं के लिए 20% दंड का प्रावधान है।
  • निगरानी के बाद का प्रदर्शन: इस योजना में किसी भी ऋणदाता के साथ एक बकाया स्वतः 30-दिन की समीक्षा अवधि का नेतृत्व करेगा। यदि इस अवधि के दौरान 10% चुकौती नहीं की जाती है, तो ऋण को एनपीए(NPA) के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।

प्रभाव

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME), आतिथ्य, विमानन, खुदरा, रियल एस्टेट और ऑटो जैसे प्रमुख क्षेत्र जो बाज़ार में पैसों की कमी का सामना कर रहे हैं, को इस कदम से लाभ होगा।
  • यह पुनर्गठन योजना भी उधारदाताओं को एक संकल्प योजना को लागू करने में सक्षम करेगी (बिना स्वामित्व में बदलाव के योग्य कॉरपोरेट देनदारों के संबंध में).
  • केंद्रीय बैंक का क़दम बैंकों को बॉन्ड के माध्यम से कॉरपोरेट्स को अधिक उधार देने के लिए प्रोत्साहित करेगा,जो कोविड -19 के मद्देनजर ठप हो गया था।
  • इसका सबसे बड़ा असर यह होगा कि बैंक गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) में वृद्धि को काफी हद तक जांचने में सक्षम होंगे।
  • हालाँकि, यह एनपीए को मौजूदा स्थिति से नीचे नहीं लाएगा, सिस्टम के भीतर 9 लाख करोड़ रुपये के पुराने बैड लोन बने रहेंगे।
  • समाधान ऋण के ख़िलाफ़ बैंकों को अतिरिक्त 10% प्रावधान बनाए रखने होंगे, और योजना के आह्वान के 30 दिनों के भीतर आईसीए पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले ऋणदाताओं को 20% प्रावधान बनाना होगा।

बैंकों और कॉर्पोरेट्स द्वारा पूर्व पुनर्गठन योजना का दुरुपयोग

कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन (Corporate Debt Restructuring-CDR)

  • आरबीआई ने 1 अप्रैल 2015 से कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन (CDR) योजना बंद कर दी।
  • कई सालों से, कॉरपोरेट्स कुछ बैंकों के साथ मिलीभगत से संदेहपूर्ण प्रमोटर्स द्वारा हेराफेरी करने के लिए नियामक के साथ ऋण पुनर्वसन योजनाओं का दुरुपयोग कर रहे थे।
  • कई बड़े कॉरपोरेट्स के प्रवर्तक (प्रमोटर्स) ने बैंक फंड्स से पैसा निकाल लिया जबकि उनकी इकाइयों का लगातार नुकशान हो रहा था। उन्होंने अपने ऋण पुनर्गठन के लिए सीडीआर सेल से संपर्क किया और उनमें से कुछ ने एक से अधिक बार ऐसा किया।
  • ये प्रमोटर्स नए ऋण प्राप्त करने में कामयाब रहे और उन्होंने अपने खातों को सदाबहार रखने और NPA की सूची से बाहर रहने के लिए उदार ऋण पुनर्खरीद का इस्तेमाल किया।

रणनीतिक ऋण पुनर्गठन (Strategic Debt Restructuring-SDR)

  • एसडीआर योजना के तहत, बैंकों को ऋण राशि को 51% इक्विटी में बदलने का अवसर दिया गया था, जिसे उच्चतम बोली लगाने वाले को बेचा जाना था (एक बार फर्म के व्यवहार्य हो जाने के बाद)।
  • व्यवहार्यता के मुद्दों के कारण यह बैंकों को अपनी बैड लोन समस्या को हल करने में असमर्थ था।

तनावपूर्ण संपत्ति (स्ट्रेस्ड एसेट्स (S4A)) योजना की सतत संरचना

  • इसके तहत, बैंक राइट-डाउन देने के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि ऐसा करने के लिए कोई प्रोत्साहन (Incentives) नहीं था, और बड़े देनदारों के राइट-डाउन से बैंकों की पूंजी तक ख़त्म हो सकती है।

5/25

  • 5/25 स्कीम को रोक दिया गया क्योंकिबैंक ऋण राशि के कुल वर्तमान मूल्य को संरक्षित करने के लिए पुनर्वित्तीयन उच्च दर पर किया गया था।
  • ऐसी धारणा थी कि यह बैंकों द्वारा एनपीए को कवर करने के लिए तैनात किए गए संस्थाओं में से एक था।

परिसंपत्ति पुनर्निर्माण योजना (Asset Reconstruction Scheme-ARC)

  • इसमें प्रमुख समस्या यह थी कि परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARC) को उन परिसंपत्तियों को हल करना मुश्किल हो रहा था जो उन्होंने बैंकों से खरीदी थी। इसलिए, वे कम कीमतों पर ही ऋण खरीदना चाहते थे। नतीजतन, बैंक उन्हें बड़े पैमाने पर ऋण देने के लिए अनिच्छुक थे।

दुरुपयोग के ख़िलाफ़ प्रावधान

  • आरबीआई ने यह सुनिश्चित करने के लिए समाधान रूपरेखा में सुरक्षा उपायों का निर्माण किया है ताकि इससे पुराने ऋणों में कभी भी कमी न आए।
  • बड़े जोख़िम के पुनर्गठन के लिए रेटिंग एजेंसियों द्वारा किए गए स्वतंत्र क्रेडिट मूल्यांकन और कामथ के नेतृत्व वाली विशेषज्ञ समिति द्वारा एक प्रक्रिया सत्यापन की आवश्यकता होगी।
  • निजी ऋण के लिए बड़े कॉर्पोरेट जोखिमों के पुनर्गठन के मामले में, विशेषज्ञ समिति या क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा तीसरे पक्ष के सत्यापन के लिए कोई आवश्यकता नहीं होगी।
  • आरबीआई ने कहा है कि समाधान के तहत ऋण की अवधि दो साल से अधिक नहीं बढ़ाई जा सकती।
  • अपेक्षित ऋण घाटे के प्रभाव को कम करने के लिए, बैंकों को समाधान के तहत ऐसे खातों के लिए 10% प्रावधान करने की आवश्यकता है।

केवी कामथ समिति

  • 7 अगस्त, 2020 को, आरबीआई ने आवश्यक वित्तीय मापदंडों तथा सेक्टर विशिष्ट बेंचमार्क श्रेणियों के साथ जिन्हें समाधान योजना में शामिल किया जाना है, पर सिफारिशें देने के लिए के वी कामथ की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।
  • अन्य सदस्य: दिवाकर गुप्ता (1 सितंबर, 2020, उपाध्यक्ष, एडीबी के रूप में अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद),टी.एन. मनोहरन (14 अगस्त, 2020, अध्यक्ष, केनरा बैंक के रूप में अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद), अश्विन पारेख, रणनीति सलाहकार सीईओ, भारतीय बैंक संघ, सदस्य सचिव के रूप में।
  • विशेषज्ञ समिति इस रूपरेखा के तहत लागू की जाने वाली संकल्प योजनाओं को वाणिज्यिक पहलुओं में न जाकर, आह्वान के दौरान सभी खातों के संबंध में 1500 करोड़ रूपये और उससे ऊपर के लिए प्रक्रिया सत्यापन का कार्य करेगी।
  • भारतीय बैंक संघ (IBA) समिति के लिए सचिवालय के रूप में कार्य करेगा और समिति किसी भी व्यक्ति से परामर्श करने या उसे आमंत्रित करने के लिए पूरी तरह से सशक्त होगी जिसे वह उपयुक्त मानता है।
  • यह समिति रिज़र्व बैंक को वित्तीय मापदंडों पर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी, जो 30 दिनों में संशोधनों के साथ (यदि कोई हो) सूचित करेगी।
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