सामयिक

पर्यावरणीय प्रदूषण, अवक्रमण और जलवायु परिवर्तन:

यूरोपीय ग्रीन डील

  • 11 दिसंबर, 2019 को यूरोपीय आयोग ने यूरोपीय ग्रीन डीलपेश किया,जो यूरोपीय नागरिकों और व्यवसायों को स्थायी हरित संक्रमण (green transition) से लाभान्वित होने में सक्षम बनाएगा।
  • इस समझौते में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को शामिल किया गया है और विशेष रूप से परिवहन, ऊर्जा, कृषि, भवनों और इस्पात, सीमेंट, आईसीटी, वस्त्र और रसायन जैसे उद्योगों पर जोर दिया गया है।

लक्ष्य

  • यह यूरोपीय संघ (EU) को आधुनिक, संसाधन-कुशल और प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था बनाने के साथ एक निष्पक्ष और समृद्ध समाज में बदलने का लक्ष्य रखता है।
  • यूरोपीय संघ की प्राकृतिक पूंजी कासंरक्षण और संवर्धन करने के साथ ही पर्यावरण से संबंधित जोखिमों और दुष्प्रभावों से नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण की रक्षा करना।

जरूरत

  • यूरोपीय संघमें 28 सदस्य देश शामिल हैं जोचीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दुनिया में ग्रीनहाउस गैसों का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है।

 

यूरोपीय डील के प्रमुख बिंदु

जलवायु तटस्थ यूरोप

  • यह यूरोपीय ग्रीन डील का अति महत्वपूर्ण उद्देश्य है। EU2050 तक शुद्ध-शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तक पहुंचने का लक्ष्य रखता है, जिसे मार्च 2020 में प्रस्तुत किये जाने वाले ‘क्लाइमेट लॉ’में शामिल किया जायेगा।

उत्सर्जन कमी के लक्ष्य को बढ़ाना

  • यूरोपीय संघ 1990 के स्तर की तुलना में 2030 तक अपने उत्सर्जन में 40 प्रतिशत की कमी करने के लिए प्रतिबद्ध है जो पेरिस समझौते के तहत घोषित इसकी जलवायु कार्य योजना का हिस्सा है। लेकिन अब उत्सर्जन को कम से कम 50 प्रतिशत तक कम कर,55 प्रतिशत की दिशा में बढ़ने का फैसला किया गया है।

सर्कुलर अर्थव्यवस्था

  • मार्च 2020 में,एक नई ‘सर्कुलर अर्थव्यवस्था कार्य योजना’ पेश की जाएगी जो यूरोपीय संघ की व्यापक औद्योगिक रणनीति होगी। इसमें एक स्थायी(sustainable) उत्पाद नीति को शामिल किया जायेगा, जो "हम कैसे चीजें बनाते हैं पर निर्देश" होगी | इससे सुनिश्चित होगा कि कम सामग्री का उपयोग कर, उत्पादों का पुन: उपयोग और पुनर्नवीनीकरण किया जा सके।

भवन का नवीनीकरण

  • यह ग्रीन डील के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है जिसका मुख्य उद्देश्य इमारतों के नवीकरण दर को ‘कम से कम दोगुना यातिगुना’ करना है | वर्तमान में यह लगभग 1% है।

शून्य प्रदूषण

  • इसका उद्देश्य 2050 तक "प्रदूषण-मुक्त वातावरण" का निर्माण करना है जो हवा, मिट्टी या पानी के शुन्य प्रदुषण से सम्बंधित है। नई पहल में "विषाक्त-मुक्त वातावरण" के लिए रासायनिक रणनीति शामिल है।

पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता को पुनर्जीवित करना

  • अक्टूबर 2020 मे,चीन में संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता शिखर सम्मेलन आयोजित होगा | इस सम्मलेन से पहले, मार्च 2020 में एक नई जैव विविधता रणनीति प्रस्तुत की जाएगी।
  • इसमें मिट्टी और जल प्रदूषण से निपटने के उपाय के साथ-साथ एक नई वन रणनीति शामिल हैं।
  • निर्वनीकरण से मुक्त कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए नए लेबलिंग नियम बनाए जाएंगे।

फार्म टू फोर्क रणनीति

  • वसंत 2020 में पेश की जाने वाली नई रणनीति "हरा और स्वस्थ कृषि" प्रणाली को लक्ष्य करती है। इसमें रासायनिक कीटनाशकों, उर्वरकों और एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग को कम करने की योजना है।

परिवहन

  • इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 2025 तक पूरे यूरोप में 1 मिलियन सार्वजनिक चार्जिंग पॉइंट निर्मित किये जाएंगे ।
  • सतत वैकल्पिक ईंधन - जैव ईंधन और हाइड्रोजन - को विमानन, शिपिंग और सड़क परिवहन में बढ़ावा दिया जाएगा जहां विद्युतीकरण संभव नहीं है।

हरित निवेश

  • यूरोपीय निवेश बैंक (EIB) ने 2021 के अंत में जीवाश्म ईंधन से सम्बंधित परियोजनाओं को धन न उपलब्ध कराने का फैसला किया।
  • आने वाले वर्षों में सतत यूरोप निवेश योजना लागू की जाएगी जिसके माध्यम से यूरोपीय ग्रीन डील की नीतियों को वित्त पोषित किया जायेगा।

संक्रमण निधि

  • "किसी को भी पीछे नहीं छोड़ने" के उद्देश्य की घोषणा करता है और आयोग जीवाश्म ईंधन पर सबसे अधिक निर्भर क्षेत्रों को मदद करने के लिए एक उचित संक्रमण तंत्र का प्रस्ताव करता है। यह सबसे कमजोर क्षेत्रों और क्षेत्रकों को लक्षित कर,100 बिलियन यूरो आबंटित करने का लक्ष्य रखता है। 


प्रभाव

  • रोडमैप प्रदान करना: यह स्वच्छ एवं सर्कुलर अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन को रोकने, जैव विविधता के नुकसान को कम करने और प्रदूषण में कटौती करके संसाधनों के कुशल उपयोग को बढ़ावा देने के कार्यों के लिए रोडमैप प्रदान करता है।
  • पर्यावरण में सुधार: जैव विविधता की हानि को रोकने से सम्बंधित पहलें पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करके प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभ लाएगी ।
  • स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार: इसमें विशिष्ट कार्य शामिल हैं जो जनता के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करेंगे। इनमें वायु और जल प्रदूषण,जैसे खतरनाक रसायनों से होने वाले प्रदूषण, से निपटने के लिए कार्य योजना शामिल हैं।
  • उपभोक्ताओं को लाभ: उपभोक्ता अधिक टिकाऊ उत्पादों से लाभान्वित होंगे, जो मरम्मत योग्य तथा टिकाऊ होंगे और कम ऊर्जा का उपयोग कर कार्य करेंगे। यह उत्पादों के सम्पूर्ण जीवनकाल में उपयोग की लागत को कम करने में मदद कर सकता है ।
  • व्यापार को बढ़ावा देना: यह उत्पादकों को अपने उत्पादों को आधुनिक और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने का अवसर प्रदान करता है। बहु-वार्षिक वित्तीय ढांचे से निवेश और नवाचार कार्यक्रमों को समर्थन प्राप्त होगा जिसका उपयोग कर उद्योग नई पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकियों और स्थायी समाधान विकसित करने के लिए प्रोत्साहित होंगे |

आगे की राह

  • यूरोपीय संघ विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इसलिए यह निर्णय पूरे विश्व पर प्रभाव डालेगी । यह एजेंडा 2030 और सतत विकास लक्ष्यों को लागू करने की रणनीति का एक अभिन्न हिस्सा है।
  • यूरोपीय ग्रीन डील को कार्यान्वित करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से सम्बंधित नीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। ये क्षेत्र अर्थव्यवस्था, उद्योग, उत्पादन और खपत, बुनियादी ढांचे, परिवहन, खाद्य और कृषि, निर्माण, कराधान स्वच्छ ऊर्जा आदि से सम्बंधित हो सकते है |
  • इसके उत्सर्जन में कटौती से सम्बंधित लक्ष्य अपर्याप्त है जो जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी और अपरिवर्तनीय प्रभावों से विश्व को बचाने के लिए आवश्यक होगा।
  • चीन और भारत जैसे बड़े विकासशील देशों सहित अन्य बड़े उत्सर्जकों से भी यह संकेत मिल रहा है कि वे भी अपने जलवायु कार्यों को तत्काल बढ़ाने पर विचार कर रहे है |
  • जब तक कई अंतरराष्ट्रीय साझेदार यूरोपीय संघ के समान महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करना निर्धारित नहीं करते है, तब तक कार्बन रिसाव का खतरा बना रहेगा है | क्योंकि यूरोपीय संघ से उत्पादन कमी अन्य देशों केकम महत्वाकांक्षी लक्ष्य से स्थानांतरित हो जायेगा या यूरोपीय संघ के उत्पादों को अधिक कार्बन-गहन आयात द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जायेगा |
  • यदि ऐसा हो जाता हैतो वैश्विक उत्सर्जन में कमी नहीं होगी, और यह पेरिस समझौते के वैश्विक जलवायु उद्देश्यों को पूरा करने के लिए यूरोपीय संघ और इसके प्रयासों को हतोत्साहित करेगा।

यूएनईपी UNEP उत्सर्जन गैप रिपोर्ट - 2019

  • नवम्बर 2019 में, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा ‘संयुक्त राष्ट्र उत्सर्जन गैप रिपोर्ट-2019’ जारी की गयी | यह जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 'देशों को क्या करने की आवश्यकता है' (पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप) और 'विभिन्न देश वास्तव में क्या कर रहे हैं' के बीच के अंतर को मापता है। उत्सर्जन गैप रिपोर्ट विभिन्न देशों के 2030 में प्रत्याशित उत्सर्जन के आकलन पर आधारित होता है |

रिपोर्ट के बारे में

  • उत्सर्जन गैप रिपोर्ट की यह दसवीं श्रृंखला है | यह रिपोर्ट देशों के जलवायु संकल्प और कार्य एवं वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (जीएचजी) की प्रवृत्तियों का वैज्ञानिक अध्ययन प्रस्तुत करता है |
  • इस वर्ष की रिपोर्ट में ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र पर जोर दिया गया है जिसमें विद्युतीकरण और ऊर्जा दक्षता को सफल ऊर्जा संक्रमण की कुंजी माना गया है।
  • यह रिपोर्ट उत्सर्जन अंतर को कम करने के लिए छह बिंदुओं की पहचान करता है जो निम्नलिखित हैं:
  1. वायु प्रदूषण, वायु गुणवत्ता, स्वास्थ्य,
  2. शहरीकरण,
  3. शासन, शिक्षा, रोजगार,
  4. डिजिटलीकरण,
  5. जीवन स्तर को बढ़ाने के लिए ऊर्जा- और भौतिक-दक्ष सेवाएं,
  6. भूमि उपयोग, खाद्य सुरक्षा, जैव-ऊर्जा | इस रिपोर्ट में इनकी स्थिति में सुधार करने की सिफारिश की गयी है |

प्रमुख निष्कर्ष

GHG उत्सर्जन में वृद्धि जारी

  • जीएचजी उत्सर्जन पिछले दशक में प्रति वर्ष 5 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। वर्ष 2018 में कुल जीएचजी उत्सर्जन 55.3गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया।
  • 2030 तक, उत्सर्जन को 2018 की तुलना में 55 प्रतिशत कम करने की आवश्यकता होगी ताकिकम से कम लागतपरविश्व पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त कर सके।

शीर्ष उत्सर्जक

  • चीन, यूरोपीय यूनियन, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका कुल चार शीर्ष उत्सर्जकहैं जो55 प्रतिशत से अधिकजीएचजीकाउत्सर्जन करते हैं।
  • वे क्षेत्र जो सबसे बड़े उत्सर्जक हैं- ऊर्जा>उद्योग>वानिकी>परिवहन>कृषि>भवन।

 

बड़ी अर्थव्यवस्था, बड़ा उत्सर्जन

जी-20 के सदस्य देशों में विश्व की बड़ी अर्थव्यस्थाएं शामिल है जिनका कुल जीएचजी उत्सर्जन में योगदान 78 प्रतिशत है |

लक्ष्य पूरा करने की संभावना नहीं

अधिकांश जी-20 देशों द्वारा पेरिस समझौते के लक्ष्य को पूरा करने की संभावना नहीं हैं जिनमें

ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका प्रमुख है |

लक्ष्य पूरा करना

ईयू के 28 देश, चीन और मेक्सिको

कम से कम 15% से अधिक लक्ष्य को प्राप्त करना

भारत, रूस* और तुर्की*

प्रदर्शन अनिश्चित

अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सऊदी अरब

*रूस और तुर्की अपने जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं, लेकिन जर्मनी के जलवायु एक्शन ट्रैकर के अनुसार लक्ष्य खुद "गंभीर रूप से अपर्याप्त" हैं।

स्रोत:यूएनईपी उत्सर्जन गैप रिपोर्ट, 2019

निवल शून्य उत्सर्जन

  • हालांकि 2050 के लिए निवल शून्य GHG उत्सर्जन लक्ष्यों की घोषणा करने वाले देशों की संख्या बढ़ रही है, मगर केवल कुछ देशों ने ही अभी तक औपचारिक रूप से UNFCCC के समक्ष दीर्घ कालिक रणनीति प्रस्तुत की है।
  • पांच जी-20 सदस्यों (ईयू और चार अन्य सदस्यों) ने शून्य उत्सर्जन लक्ष्य के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त किया है । शेष पंद्रह जी-20 सदस्य अभी तक शून्य लक्ष्यीकरण के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं।

बड़ा उत्सर्जन गैप

  • 2030 में, 2 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य और 5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मौजूदा एनडीसी की तुलना में क्रमशः15 गीगाटन COऔर 32 गीगाटन COउत्सर्जनकम होना चाहिए।

राष्ट्रीय निर्धारित भागीदारी (एनडीसी) को मजबूत करना

  • 2020 से सभी देशों को अपनी एनडीसी महत्वाकांक्षाओं को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। 2°C से कम तापमान केलक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एनडीसी महत्वाकांक्षाओं को तीन गुनाऔर 5°C से कम तापमान केलक्ष्य प्राप्त करने के लिए पांच गुना से अधिक करने की आवशयकता है।

 

भारत सरकार केहालिया प्रयास

  • 2030 तक उत्सर्जन अन्तराल कम करने के लिए एनडीसी के निम्नलिखिततीन संख्यात्मक लक्ष्य हैं:
  • 2005 के स्तर से उत्सर्जन की तीव्रता को 33 प्रतिशत से घटाकर 35 प्रतिशत करना,
  • गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 40 प्रतिशत की स्थापित बिजली क्षमता हासिल करना, और
  • जंगल और वृक्षों के आवरणको बढ़ा कर,2.5-3.0 गीगाटन अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण करना।
  • 2018 में, अक्षय ऊर्जा का फैलाव पारंपरिक ईंधन की तुलना में अधिक था, हालांकि 2022 तक 175गीगावाट लक्ष्य से कम रहने का अनुमान है।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम को शुरू किया गया है |2019 में जारी राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम का उद्देश्य पीएम2.5 और पीएम10 सांद्रता को 25 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक कम करना है|
  • व्यापक ऊर्जा पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए ‘सौभाग्य’ जैसे कार्यकम का संचालन किया गया |2019 की शुरुआत में,100 प्रतिशत घरों का विद्युतीकरण कर दिया गया है ।
  • 2019 की शुरुआत में किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (KUSUM) योजना शुरू की गई |इसका उद्देश्य 2022 तक 26गीगावाट सौर कृषि पंप स्थापित करने के लक्ष्य के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना है।
  • मार्च 2019 में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा भारत कूलिंग एक्शन प्लानजारी की गई |जिसका कार्य सभी क्षेत्रों में गर्मी से राहत दिलाने तथा सतत् शीतलता प्रदान करने वाले वैकल्पिक तकनीकों औरअप्रत्यक्ष उपायों को अपनाने के बारे सलाह देना, तकनीशियनों के कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना, शीतलता से संबंधित आवश्यकताओं से जुड़ी मांग तथा ऊर्जा आवश्यकता का आकलन करना आदिहै |
  • सार्वजनिक और निजी परिवहन के साधनों को विद्युतीकृत करने की नीतियों की शुरुआत की है। इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स, थ्री-व्हीलर्स, फोर-व्हीलर्स और बसों के अपग्रेड करने के उद्देश्य से 2019 में फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME) का दूसरा चरण शुरू किया गया, जिससे7.2 मेगाटनCO2 उत्सर्जन की कमी होगी।
  • भारत अगले दशक में जीवाश्म ईंधन से चलने वाले सभी दो-तीन व चार पहिया वाहनों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लक्ष्य पर विचार-विमर्श कर रहा है।
  • भारत का लक्ष्य 2021-2022 तक अपने सभी ब्रॉड गेज रेलवे मार्गों का विद्युतीकरण करना है।

भारत के लिए उपयोगी उपाय

  • कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से संक्रमण की योजना बनाना,
  • शून्य-उत्सर्जन प्रौद्योगिकियों में निवेश,
  • हरित औद्योगिकीकरण रणनीति विकसित करना,
  • मास पब्लिक ट्रांज़िट सिस्टम का विस्तार करना,
  • समय समय पर हरित लक्ष्यों को परिक्षण एवं अद्यतन करना ।

उत्सर्जन अंतराल क्या है?

  • उत्सर्जन अंतराल को प्रतिबद्धता अंतराल भी कहते है |यह जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए क्या कर रहे हैं और वास्तव में क्या करना है के बीच के अंतर को मापता है।
  • यह गैप उत्सर्जन के निम्न स्तरों के बीच का अंतर है, जिसे विश्व के देशों को अपनीवर्तमान प्रतिबद्धताओं के आधार पर अकार्बनिकरण(decarbonization) के लिए कम करने की आवश्यकता है।

यह महत्वपूर्ण क्यों है?

  • यहअंतराल इसलिए महत्वपूर्ण है कि अगर हम उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य को पूरा नहीं करते हैंतो दुनिया भर में गंभीर जलवायु प्रभाव तेजी से बढेगा।
  • यह देश के नीति निर्माता और नागरिकदोनों के लिए महत्वपूर्ण है | इस अंतराल के बारे में जागरूकता, एक देश को इसे कम या समाप्त करने की प्रतिप्रतिबद्ध बनाएगा।

आगे की राह

  • हालांकि, रिपोर्ट कहती है कि स्पष्ट परिवर्तन अभी भी 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित हो सकता है। इसके लिए, देशों को उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य के साथ-साथ देशों को 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करनेके लिए प्रतिबद्धहोना चाहिए | इसके अनुरूप महत्वाकांक्षीएनडीसी लक्ष्योंका निर्धारण करना चाहिए ।
  • ग्लोबल वार्मिंग लक्ष्यों को प्राप्त करने में देशों को “गैर-राज्य कर्ताओं’(जैसे कंपनियों और गैर सरकारी संगठनों) और उप-नागरिकों (राज्य सरकारों और शहर प्रशासन) की भूमिका को मजबूत किया जाना चाहिए। CO2 उत्सर्जक गतिविधियों को हतोत्साहित करने के लिए कार्बन कर लगाने पर विचार किया जाना चाहिए।

यदि उत्सर्जन अंतराल को ख़त्म करने से जुड़े लक्ष्यों को प्राप्त किए जाते हैं, तो इससे भारत को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्तिमें भीसहायता मिलेगी।

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