जाइकोव-डी को आपातकालीन उपयोग के लिए मिली मंजूरी

  • 20 अगस्त, 2021 को अहमदाबाद स्थित जायडस कैडिला (yZdus Cadila)द्वारा विकसित कोविड-19 वैक्सीन ‘जाइकोव-डी’ (yZCoV-D) के लिए भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) से आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिल गई है।
  • महत्वपूर्ण तथ्यः यह दुनिया का पहला और भारत का स्वदेशी तौर पर विकसित डीएनए आधारित कोविड-19 टीका है।
  • इसका उपयोग बच्चों के साथ-साथ 12 साल से अधिक उम्र के वयस्कों के लिए किया जा सकता है।
  • ‘मिशन कोविड सुरक्षा’ के तहत भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के साथ साझेदारी में विकसित और बीआईआरएसी (Biotechnology Industry Research Assistance Council -BIRAC) द्वारा कार्यान्वित जाइकोव-डी को नैदानिक पूर्व अध्ययन, पहले एवं दूसरे चरण के नैदानिक परीक्षण के लिए नेशनल बायोफार्मा मिशन के जरिये ‘कोविड-19 रिसर्च कंसोर्टिया’ के तहत और तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षण के लिए ‘मिशन कोविड सुरक्षा’ के जरिये समर्थन दिया गया है।

तीन खुराक वाला यह टीका लगाए जाने पर शरीर में SARS-CoV-2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन करता है और एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया हासिल करता है, जो बीमारी से सुरक्षा के साथ-साथ वायरस को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पूसा डीकम्पोजर प्रौद्योगिकी

  • देश भर में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए आईसीएआर - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा विकसित नए कम लागत वाले कैप्सूल यानी पूसा डीकम्पोजर प्रौद्योगिकी (Pusa Decomposer Technology) को प्रदर्शित करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने पूसा डीकम्पोजर के बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन और विपणन के लिए 12 कंपनियों को इस तकनीक का लाइसेंस दिया है। इसके अलावा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने किसानों के उपयोग के लिए पूसा डीकम्पोजर के लगभग 20000 पैकेट तैयार किए हैं।
  • 2020-21 के दौरान इसके कैप्सूल किट 25 राज्यों के किसानों को 10,000 हेक्टेयर से अधिक के क्षेत्र को कवर करते हुए प्रदान किए गए। पंजाब और हरियाणा के कई गांवों में कृषकों के खेतों में धान के अवशेषों पर पूसा डीकंपोजर के ‘स्व-स्थाने अनुप्रयोग’ (In-situ application) का प्रदर्शन किया गया।

वनों का LiDAR आधारित सर्वेक्षण

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रलय ने LiDAR तकनीक का उपयोग करते हुए और मृदा नमी संरक्षण (SMC) कार्यों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPRs) तैयार करने के लिए उत्तर प्रदेश सहित 26 राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों में लगभग 10000 हेक्टेयर में अवक्रमित वन क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिए एक परियोजना शुरू की है।
  • अभी तक असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, नागालैंड और त्रिपुरा राज्यों से संबंधित 10 DPRs को अंतिम रूप दिया गया है। DPRs को स्पक्।त् तकनीक का उपयोग करके तैयार किया गया है, जिसमें वनस्पति, धाराओं और जलग्रहण के सर्वेक्षण के आधार पर 3-डी (तीन आयामी) डीईएम (डिजिटल एलिवेशन मॉडल) तैयार किया जाता है।

राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर

  • भारत की समुद्री धरोहर की विरासत लोथल, गुजरात कोसमर्पित राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) की संकल्पना अंतरराष्ट्रीय पर्यटक गंतव्य के रूप में की गई है, जिसमें भारत की समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने के लिए प्रत्येक तटीय राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों के पवेलियन के अलावा पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय, विरासत थीम पार्क, समुद्री अनुसंधान संस्थान, भू- दृश्य निर्माण और मनोरंजन स्थल शामिल हैं।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी