भारत की चार और आर्द्रभूमियां रामसर सूची में शामिल

  • भारत की चार और आर्द्रभूमियों (वेटलैंड्स) को रामसर सचिवालय से रामसर स्थलों के रूप में मान्यता मिल गई है। इसके साथ ही भारत में रामसर स्थलों की संख्या 46 हो गई है।
  • महत्वपूर्ण तथ्यः ये स्थल हैं- गुजरात के थोल और वाधवाना तथा हरियाणा के सुल्तानपुर और भिंडावास। हरियाणा के किसी स्थल को पहली बार रामसर सूची में स्थान दिया गया है।
  • थोल झील वन्यजीव अभयारण्यः मेहसाणा जिला स्थित यह अभयारण्य पक्षियों के मध्य एशियाई उड़ान मार्ग (फ्रलाईवे) पर स्थित है और यहां 320 से अधिक पक्षी प्रजातियां पाई जा सकती हैं।
  • यह आर्द्रभूमि 30 से अधिक संकटग्रस्त (threatened) जलपक्षी प्रजातियों की आश्रयस्थली भी है।
  • वाधवाना आर्द्रभूमिः वडोदरा जिला स्थित यह आर्द्भूमि अपने पक्षी जीवन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण है। इनमें 80 से अधिक ऐसी प्रजातियां हैं, जो मध्य एशियाई उड़ान मार्ग में स्थान-स्थान पर प्रवास करती हैं।
  • सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यानः गुरुग्राम स्थित यह उद्यान यहाँ रहने वाले पक्षियों, शीतकालीन प्रवासी और स्थानीय प्रवासी जलपक्षियों की 220 से अधिक प्रजातियों को उनके जीवन चक्र के महत्वपूर्ण चरणों में आश्रय देकर सम्भरण करता है।
  • भिंडावास वन्यजीव अभयारण्यः झज्जर स्थित हरियाणा की सबसे बड़ी यह आर्द्रभूमि मानव निर्मित होने के साथ ही मीठे जल वाली आर्द्रभूमि है। पूरे वर्ष 250 से अधिक पक्षी प्रजातियां इस अभयारण्य का उपयोग अपने विश्राम एवं प्रजनन स्थल के रूप में करती हैं।

रामसर अभिसमय आर्द्रभूमि के संरक्षण और बुद्धिमतपूर्ण उपयोग के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है, जहां 2 फरवरी, 1971 को संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी