‘एसिटाबुलरिया जलकन्याका’ शैवाल

  • अगस्त 2021 में पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के जीव विज्ञानियों की एक टीम ने अंडमान द्वीप समूह में एक छतरी जैसी टोपी (umbrella-like cap) वाली नई समुद्री शैवाल प्रजाति की खोज की है।
  • महत्वपूर्ण तथ्यः इस समुद्री शैवाल प्रजाति का नाम संस्कृत शब्द ‘जलकन्याका’ (Jalkaanykaa) पर ‘एसिटाबुलरिया जलकन्याका’ (Acetabularia Jalkaanykaae) रखा गया है।
  • जलकन्याका का अर्थ ‘महासागरों की देवी’ या मत्स्यांगना होता है। यह प्रजाति भारत में खोजी जाने वाली जीनस ‘एसिटाबुलरिया’ की पहली प्रजाति भी है।
  • इस प्रजाति की विशिष्टता यह है कि पूरा पादप केवल एक विशाल कोशिका के रूप में है और इसमें एक केन्द्रक है। एक केंद्रक वह स्थान है, जहां पादप की कोशिकीय प्रक्रियाओं को नियंत्रित किया जाता है।
  • एसिटाबुलरिया की एक अन्य विशेषता उनकी पुनर्योजी क्षमता (regenerative potential) है। उदाहरण के लिए, यदि शैवाल का शीर्ष भाग काट दिया जाता है, तो यह संरचना को फिर से विकसित कर सकता है।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह विश्व में अंतिम शेष स्वस्थ प्रवाल भित्तियों में से कुछ का घर है और इस द्वीप समूह में सबसे अधिक शैवाल विविधता पाई जाती है। पिछली बार द्वीप पर एक नई शैवाल प्रजाति 1984 में पाई गई थी।

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