‘टेली-लॉ ऑन व्हील्स’ अभियान

न्याय विभाग ने 8 नवंबर 2021 को एक सप्ताह के ‘टेली-लॉ ऑन व्हील्स’ (Tele-Law on Wheels Campaign) अभियान की शुरुआत की।

महत्वपूर्ण तथ्यः इस अभियान के एक हिस्से के रूप में, लोगों को उनके अधिकारों के संबंध में सही तरीके से दावा करने और उनकी कठिनाइयों का समय से समाधान के बारे में ‘मुकदमे से पहले दी जाने वाली सलाह’ के माध्यम से सशक्त बनाने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियों की एक श्रृंखला शुरू की गई।

  • कानूनी सलाह और परामर्श लेने के इच्छुक लोगों को टेली-लॉ सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से पूरे देश में एक विशेष लॉग-इन (Login week) सप्ताह का आयोजन किया गया।
  • कॉमन सर्विस सेंटरों (CSCs) को इस उद्देश्य के लिए ‘कानूनी सलाह सहायक केन्द्रों’ (Kanooni Salah Sahahyka Kendra) के रूप में निरूपित किया गया था।
  • टेली-लॉ ऑन व्हील्स अभियान ‘सीएससी ई-गवर्नेंस’ (CSC e-Governance) की सहायता से चलाया गया।
  • लाभार्थियों को सीधे कानूनी सलाह और परामर्श की पेशकश करने वाले पैनल में शामिल वकीलों के साथ जोड़ने के लिए अभियान के तहत नागरिकों के लिए ‘टेली-लॉ मोबाइल ऐप’ का शुभारंभ किया गया।

इन्हें भी जानें

एक कानून निरस्त करने की प्रक्रिया

  • 19 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले साल पारित तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद इन तीनों कानूनों को मौजूदा शीतकालीन सत्र में निरस्त कर दिया गया है।
  • किसी कानून को निरस्त करना उसे अमान्य करने (nullify) का एक तरीका है। एक कानून को तब वापिस ले लिया जाता है, जब संसद को लगता है कि अब कानून के अस्तित्व की कोई आवश्यकता नहीं है। विधि निर्माण में एक ‘सनसेट क्लॉज’ (sunset clause) भी हो सकता है, जिसके तहत एक विशेष तिथि के बाद उस कानून का अस्तित्व समाप्त माना जाता है। उदाहरण के लिए, आतंकवाद विरोधी कानून आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम 1987, जिसे आमतौर पर ‘टाडा’ के रूप में जाना जाता है, में एक ‘सनसेट क्लॉज’ था और वर्ष 1995 में यह कानून व्यपगत (lapse) हो गया था। उन कानूनों के लिए जिनमें ‘सनसेट क्लॉज’ नहीं है, संसद को कानून को निरस्त करने के लिए एक और अतिरिक्त कानून पारित करना होता है। संविधान का अनुच्छेद 245 संसद को पूरे या भारत के किसी भी हिस्से के लिए कानून बनाने की शक्ति देता है और राज्य विधायिकाओं को राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति देता है। संसद को उसी प्रावधान से कानून को निरस्त करने की शक्ति भी प्राप्त है। किसी कानून को पूरी तरह से या आंशिक रूप से या अन्य कानूनों के उल्लंघन या विसंगति की सीमा तक निरस्त किया जा सकता है। कानूनों को दो तरीकों से निरस्त किया जा सकता है - या तो एक अध्यादेश के माध्यम से, या विधि-निर्माण के माध्यम से।

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