"भारतीय राज्यों पर सांख्यिकी हैंडबुक 2021-22" रिपोर्ट

19 नवंबर, 2022 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा‘भारतीय राज्यों पर सांख्यिकी की हैंडबुक 2021-22’ रिपोर्ट जारी की गई।

  • यह रिपोर्ट 1951 से 2021-22 तक की विभिन्न समयावधियों में भारतीय राज्यों में सामाजिक-जनसांख्यिकी, राज्य घरेलू उत्पाद, कृषि, मूल्य और मजदूरी, उद्योग, बुनियादी ढांचा, बैंकिंग और वित्तीय संकेतकों पर उप-राष्ट्रीय आंकड़ों को शामिल करता है।
  • हैंडबुक के वर्तमान संस्करण में, दो नए खंड अर्थात स्वास्थ्य और पर्यावरण को प्रस्तुत किया गया है।
  • रिपोर्ट के अनुसार भारत के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश की ग्रिड-इंटरैक्टिव अक्षय ऊर्जा क्षमता में कर्नाटक शीर्ष स्थान पर है। कर्नाटक की कुल स्थापित क्षमता 15,463 मेगावाट है।
  • इस रिपोर्ट में तमिलनाडु दूसरे स्थान पर रहा; जबकि गुजरात तीसरे और महाराष्ट्र चौथे स्थान पर था।
  • भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने सांख्यिकीय प्रकाशन का यह 7वां संस्करण है।
  • अक्षय ऊर्जा में विभिन्न स्रोतों जैसे जैव-शत्तिफ़, सौर ऊर्जा, लघु जल विद्युत, अपशिष्ट से ऊर्जा और पवन ऊर्जा से बिजली शामिल है।

अक्षय ऊर्जा में शीर्ष 3 रैंक वाले राज्यों की सूची-

रैंक

राज्य

कुल स्थापित क्षमता

1

कर्नाटक

15,463 मेगावाट

2

तमिलनाडु

15,225 मेगावाट

3

गुजरात

13,153 मेगावाट

महत्वपूर्ण आंकड़ें-

उद्योग संबंधी आंकड़ें

  • तमिलनाडु सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार की इकाइयों सहित अधिकतम कारखानों के साथ भारत में शीर्ष राज्य बना हुआ है। इसके बाद दूसरे स्थान पर गुजरात का स्थान है, जबकि महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है।
  • उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और 36 राज्यों और संघ की सूची में शीर्ष 5 ब्रैकेट में हैं।
  • वर्ष 2019-20 तकमहाराष्ट्र में 25,610, कारखाने थे; जबकि आंध्र प्रदेश में 16,924 कारखाने थे
  • उत्तर प्रदेश में कारखानों की संख्या 16,184 थी।
  • उद्योग-वार, केंद्रीय बैंक ने 2015-16 में आयोजित राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के 73वें दौर के आधार पर एमएसएमई मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार जिसमें देश भर में 6.33 करोड़ इकाइयों का अनुमान लगाया गया था।
  • 2006-07 के दौरान सरकार द्वारा की गई एमएसएमई की पिछली (चौथी) अिखल भारतीय गणना के अनुसार एमएसएमई इकाइयों की संख्या 3.61 करोड़ से 75 प्रतिशत बढ़ गई थी।
  • इसमें 6.33 करोड़ एमएसएमई इकाइयों में से 1.96 करोड़ विनिर्माण खंड में थीं, जबकि 2.30 करोड़ व्यापारिक इकाइयों और 2.06 करोड़ अन्य सेवाओं में थीं।

आर्थिक परिदृश्य