कच्छल द्वीप पर मैंग्रोव आवरण का घटना

8 अगस्त, 2022 को नासा के ‘अर्थ ऑब्जर्वेटरी’ से लिए गए कच्छल द्वीप (Katchal island) का एक नक्शा दिखाया जिसमें इस द्वीप पर पर मैंग्रोव आवरण के कम होने का पता चला है।

  • कच्छल द्वीप भारत के निकोबार द्वीप समूह का एक हिस्सा है।

मैंग्रोव क्या हैं?

  • मैंग्रोव, तटीय लवणीय जल या खारे पानी (Brackish Water) में उगने वाले झाड़ीनुमा या छोटे आकार के वृक्ष होते हैं। इन्हें लवण मृदोद्भिद या हेलोफाइट्स (Halophytes) भी कहा जाता है। ये कठोर तटीय परिस्थितियों के लिए अनुकूलित होते हैं।
  • इनमें, खारे जल के प्रति अनुकूलन के लिए एक जटिल लवण निस्पंदन प्रणाली और जटिल जड़-तंत्र होता है। इनकी जड़ों को श्वसन-सूल या न्यूमेटोफोर (Pneumatophores) कहा जाता है। ये जड़ें इन वृक्षों को अवायवीय मृदा में सांस लेने में मदद करती हैं।
  • मैंग्रोव, विश्व भर में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों, मुख्यतः 30 डिग्री उत्तर और 30 डिग्री दक्षिणी अंक्षाशों के मध्य पाए जाते हैं। मैंग्रोव वनों का सर्वाधिक विस्तार, भूमध्य रेखा के दोनों ओर 5 डिग्री अक्षांशों के मध्य पाया जाता है।
  • इनकी करीब 80 प्रजातियां हैं जो ऊष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) इलाकों में उगती हैं जहां मिट्टी में कम ऑक्सीजन हो।