आवश्यक दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी

राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority: NPPA) ने 1 अप्रैल, 2022 से लगभग 800 आवश्यक दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणा की है।

महत्वपूर्ण तथ्य: थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आंकड़ों के आधार पर दवा की कीमतों में वृद्धि लगभग 10.76% है। इससे 'आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची' में शामिल दवाओं जैसे- एंटीबायोटिक्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स और अन्य दवाओं की कीमतों में तेज वृद्धि देखी जाएगी।

औषधियों की कीमतों में बढ़ोतरी: अनुसूचित औषधियों की कीमतों में प्रत्येक वर्ष थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के अनुरूप दवा नियामक द्वारा वृद्धि की अनुमति दी जाती है और वार्षिक परिवर्तन नियंत्रित होता है।

  • लेकिन फार्मास्युटिकल कंपनियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में इनपुट लागत बढ़ गई है। इसलिए कीमतों में बढ़ोतरी की जाए।

मूल्य निर्धारण तंत्र कैसे काम करता है? आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची के तहत सभी दवाएं (औषधियां) मूल्य विनियमन के अधीन हैं।

  • औषध (मूल्य) नियंत्रण आदेश 2013 के अनुसार, अनुसूचित दवाओं (जो कि फार्मा बाजार का लगभग 15% है) के लिए सरकार द्वारा WPI के अनुसार वृद्धि की अनुमति है, जबकि शेष 85% को हर साल 10% की स्वचालित वृद्धि की अनुमति है।
  • फार्मा लॉबी अब अनुसूचित दवाओं के लिए भी कम से कम 10% की बढ़ोतरी की मांग कर रही है।

राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण: इसकी स्थापना 1997 में औषध (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 1995-2013 के तहत नियंत्रित थोक दवाओं और फॉर्मूलेशन की कीमतों को तय / संशोधित करने और देश में दवाओं की कीमत और उपलब्धता को लागू करने के लिए की गई थी।

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