जलवायु परिवर्तन से लक्षद्वीप में बढ़ सकता है समुद्र का जलस्तर

मई 2021 में ‘रीजनल स्टडीज इन मरीन साइंस’ (Regional Studies in Marine Science) शोध पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन से लक्षद्वीप द्वीपसमूह में समुद्र के जल स्तर में वृद्धि होगी, जिससे वहां हवाई अड्डे और आवासीय क्षेत्र प्रभावित होंगे।

महत्वपूर्ण तथ्यः विभिन्न ग्रीनहाउस गैस परिदृश्यों का अनुमान लगाने के लिए कराए गए एक अध्ययन के अनुसार लक्षद्वीप द्वीपसमूह के आसपास समुद्र का स्तर 0.4 मिमी / वर्ष से 0.9 मिमी / वर्ष के बीच बढ़ेगा।

  • लक्षद्वीप द्वीपसमूह के लिए अनुमानित सबसे खराब संभावित बाढ़ परिदृश्य विभिन्न उत्सर्जन परिदृश्यों के तहत लगभग समान हैं।
  • अमिनी और चेतलाट जैसे छोटे द्वीपों में बड़े पैमाने पर भूमि-नुकसान होने की आशंका है। अमिनी में मौजूदा तटरेखा के लगभग 60 से 70% और चेतलाट में लगभग 70 से 80% भूमि के नुकसान की आशंका है।
  • मिनिकॉय जैसे बड़े द्वीप और राजधानी कवरत्ती की मौजूदा तटरेखा में भी लगभग 60% भूमि नुकसान की आशंका है।
  • यह अध्ययन आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है, जिन्हें ‘जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम’ के तहत भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का सहयोग प्राप्त था।

जीके फैक्ट

  • सदी के अंत (वर्ष 2100) तक लक्षद्वीप द्वीपसमूह में समुद्र का जलस्तर 0.78 मीटर तक बढ़ सकता है। यह अनुमान जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) द्वारा वैश्विक स्तर पर समुद्र के जलस्तर में होने वाली 0.8 से 2 मीटर वृद्धि की संभावना से काफी कम है।

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