हिंदूकुश में पिघलते ग्लेशियर का प्रभाव

जून 2021 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के अध्ययन के अनुसार, हिंदूकुश हिमालय पर्वत श्रृंखला वर्ष 2100 तक दो-तिहाई बर्फ विहीन हो सकती है, जिससे दक्षिण-पूर्व एशिया में दो अरब लोगों को भोजन और पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

महत्वपूर्ण तथ्यः रिपोर्ट के अनुसार ग्लेशियरों के पिघलने का कारण वातावरण के बड़े मानव जनित संशोधन हैं।

  • हिंदूकुश हिमालय पृथ्वी पर सबसे अधिक प्रदूषित स्थानों में से एक है। इससे कृषि, जलवायु और साथ ही मानसून के पैटर्न को खतरा है।

अनुशंसाएँ: ग्रीनहाउस गैसों के शुद्ध-शून्य उत्सर्जन को हासिल करने के लिए आहार और कृषि पद्धतियों को बदलने के साथ ही ऊर्जा, परिवहन और अन्य क्षेत्रें में जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना।

  • इस क्षेत्र के देशों को ब्लैक कार्बन और अन्य वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन को भी कम करने की आवश्यकता है।

हिंदूकुश हिमालय क्षेत्रः इसे अक्सर ‘तीसरा ध्रुव’ कहा जाता है, यह भारत, नेपाल और चीन सहित आठ देशों में 3,500 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।

  • इस क्षेत्र के पहाड़ों में 240 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं; 1.7 अरब लोग नदी घाटियों में नीचे की ओर रहते हैं, जबकि इन घाटियों में उगाया जाने वाला भोजन (अन्न) तीन अरब लोगों तक पहुंचता है।

जीके फैक्ट

  • हिंदूकुश हिमालय क्षेत्र में अंटार्कटिका और आर्कटिक के बाद जमे हुए पानी का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भंडारण है।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी