भारत का मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण एटलस

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 17 जून, 2021 को ‘विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस’ के अवसर पर ‘भारत के मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण एटलस’ (Desertification and Land Degradation Atlas of India) का नवीनतम संस्करण जारी किया गया।

महत्वपूर्ण तथ्यः यह एटलस 2018-19 की समयावधि के लिए अपरदित भूमि के राज्यवार क्षेत्र को दिखाता है।

  • इसके अलावा यह 2003-04 से लेकर 2018-19 तक यानी 15 वर्षों की अवधि के लिए ‘परिवर्तन विश्लेषण’ (change analysis) भी प्रदान करता है।
  • इसे अहमदाबाद स्थित ‘अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, इसरो’ (Space Applications Centre- SAC) द्वारा प्रकाशित किया गया है।

भारत द्वारा मरुस्थलीकरण से निपटने हेतु प्रयासः भारत भूमि क्षरण तटस्थता (Land Degradation Neutrality- LDN) की राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने और 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर अपरदित भूमि की बहाली के लिए प्रयास कर रहा है, जो भूमि संसाधनों के टिकाऊ और इष्टतम उपयोग पर केंद्रित है।

जीके फैक्ट

  • भारत ने सितंबर 2019 में मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन Nations Convention to Combat Desertification- UNCCD) के पक्षकारों के सम्मेलन के 14वें सत्र (CoP-14) की मेजबानी की थी।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी