कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र

10 फरवरी, 2022 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार भारत में ‘कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन’ (Carbon Capture & Utilization: CCU) में दो राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य: ये केंद्र 'नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन' (NCoE-CCU) के नाम से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे में और 'नेशनल सेंटर इन कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन' (NCCCU) के नाम से जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), बेंगलुरू में स्थापित किए जा रहे हैं।

  • इन केंद्रो को भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के समर्थन से स्थापित किया जा रहा है।
  • ये केंद्र कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन के क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान और अनुप्रयोग-उन्मुख पहल के लिए बहु-विषयक, दीर्घकालिक अनुसंधान, डिजाइन विकास, सहयोगी और क्षमता-निर्माण केंद्र के रूप में कार्य करेंगे।
  • केंद्र देश की सामूहिक ताकत को एक साथ लाने में मदद करेंगे और एक उपयुक्त और व्यवहार्य अनुसंधान एवं विकास और नवाचार रोडमैप के विकास में सहायता करेंगे।
  • ये केंद्र अंतरराष्ट्रीय रुझानों पर भी नजर रखेंगे और संभावित सहयोगात्मक प्रयासों का सुझाव देंगे।

जीके फ़ैक्ट

  • कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें बिजली संयत्रों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को वातावरण में फैलने से पहले रोका जाता है और इन्हें कैप्चर (Capture) कर इनका पुन: उपयोग या भंडारण किया जाता है ताकि यह वातावरण में प्रवेश न कर सके।


संसद प्रश्नोत्तर सार

इसरो द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह

इसरो ने वर्ष 1975 से भारतीय मूल के कुल 129 उपग्रह और 36 देशों से संबंधित 342 विदेशी उपग्रहों को लॉन्च किया है, जिनमें से लगभग 39 उपग्रह वाणिज्यिक उपग्रह हैं और बाकी नैनो-उपग्रह हैं।

  • भारत के पास अंतरिक्ष में कुल 53 क्रियाशील उपग्रह हैं, जो राष्ट्र को विभिन्न पहचान सेवाएं प्रदान करते हैं। इनमें से 21 संचार उपग्रह, 8 नेविगेशन उपग्रह, 21 पृथ्वी अवलोकन उपग्रह और 3 विज्ञान उपग्रह हैं। उपग्रह समर्थित डेटा और सेवाओं का उपयोग देश के विभिन्न क्षेत्रों के लाभ के लिए किया जा रहा है। इनमें टेलीविजन प्रसारण, डायरेक्ट-टू-होम, एटीएम, मोबाइल संचार, टेली-एजुकेशन, टेली-मेडिसिन और मौसम एडवाइजरी, कीट संक्रमण, कृषि-मौसम विज्ञान और संभावित फिशिंग जोन शामिल हैं। उपग्रह डेटा का उपयोग फसल उत्पादन अनुमान, फसल गहनता, और कृषि सूखा मूल्यांकन, बंजर भूमि का लेखा, भूजल संभावित क्षेत्रों की पहचान, अंतर्देशीय जलीय कृषि उपयुक्तता और आपदा जोखिम में कमी के लिए भी किया जाता है।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी