डॉप्लर मौसम रडार

जनवरी 2022 में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बेहतर अनुसंधान और परिचालन विश्लेषण के लिए लेह, मुंबई, दिल्ली और चेन्नई में चार 'डॉप्लर मौसम रडार' (Doppler weather radars) राष्ट्र को समर्पित किए।

महत्वपूर्ण तथ्य: IMD ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ साझेदारी में इन रडार को डिजाइन किया है तथा स्वदेशी रूप से निर्माण किया है।

  • लेह में एक एक्स-बैंड रडार, जो देश में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित है, को शुरू किया गया।
  • दिल्ली को अपना तीसरा डॉप्लर रडार ‘आया नगर’ में एक्स-बैंड रडार के रूप में मिला है। वर्तमान में पालम और मौसम भवन में भी रडार काम कर रहे हैं।
  • मुंबई को अपना दूसरा रडार, वेरावल्ली में एक सी-बैंड रडार के रूप मे मिला, जो शहर के चारों ओर 450 किलोमीटर के दायरे को कवर करता है।
  • चेन्नई के चारों ओर 150 किलोमीटर के दायरे को कवर करने वाला एक्स-बैंड रडार शुरू किया गया है। यह दक्षिणी शहर चेन्नई के लिए तीसरा रडार है।

डॉप्लर रडार: यह पूर्वानुमानकर्ताओं को रियलटाइम में वर्षा, बादलों की प्रगति, गरज और आकाशीय बिजली का अवलोकन करने में मदद करता है। भारी वर्षा जैसी चरम मौसमीय घटनाओं के दौरान रडार संचालन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं और इनके डेटा का उपयोग स्थानीय स्तर पर अचानक बाढ़ की भविष्यवाणी करने में भी किया जाता है।

जीके फ़ैक्ट

  • नवीनतम चार 'डॉप्लर मौसम रडार' के साथ, IMD के पास अब देश में 33 रडार हैं। जनवरी 2021 में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में दो डॉप्लर रडार लगाए गए थे।


संसद प्रश्नोत्तर सार

केसर पात्र परियोजना

केसर पात्र परियोजना (Saffron Bowl project) के तहत पूर्वोत्तर प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग और प्रसार केंद्र (North East Centre for Technology Application and Reach: NECTAR) ने केसर की खेती के लिए अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में कुछ स्थानों की पहचान की है।

  • अरुणाचल प्रदेश में फूलों के साथ जैविक केसर की अच्छी उपज होती है। मेघालय में, चेरापूंजी, मौस्मई और लालिंगटॉप स्थलों पर नमूना वृक्षारोपण किया गया। अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के लिए सम्पूर्ण परियोजना की कुल लागत 17.68 लाख रुपए है। इसमें से बड़ापानी (मेघालय) स्थल के लिए 6 लाख रुपये की अनंतिम राशि निर्धारित की गई है। इस परियोजना के तहत मेघालय में इन स्थलों की पहचान की गई है- बड़ापानी, चेरापूंजी, मौस्मई, शिलांग, और लालिंगटॉप।

राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रणाली

पर्यावरण मंत्रालय की योजना 'राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रणाली' (National Natural Resource Management System: NNRMS) एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।

  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के प्राकृतिक संसाधनों की खोज, आकलन और निगरानी के लिए रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग करना है। इस योजना की प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं: (i) पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के कारण वनस्पति परिवर्तन के तंत्र का अनुकरण करने के लिए ज्ञान आधारित निर्णय लेने में सहायक उपकरण का विकास; (ii) हिमालयी क्षेत्र की बर्फ और हिमनदों की निगरानी; (iii) भारत का मरुस्थलीकरण स्थिति मानचित्रण; (iv) तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले के नमक प्रभावित भूमि रूपों में मिट्टी और पानी की गुणवत्ता का मूल्यांकन। पिछले पांच वर्षों के दौरान, मंत्रालय ने अनुसंधान अध्ययन और मूल्यांकन परियोजनाओं को जारी रखने के लिए 1.00 करोड़ रुपए का अनुदान प्रदान किया है।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी