एनबीएफ़सी के लिए पैमाना आधारित विनियमन

22 अक्टूबर, 2021 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) (Non-Banking Finance Companies: NBFC) के ‘पैमाने-आधारित विनियमन’ की घोषणा की।

महत्वपूर्ण तथ्यः देश में गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) को विनियमित करने के लिए एक चार-स्तरीय पैमाने-आधारित दृष्टिकोण 1 अक्टूबर, 2022 से इस क्षेत्र की कड़ी निगरानी सुनिश्चित करने के लिए शुरू होगा।

नियामक संरचनाः नए ढांचे के तहत, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) की नियामक संरचना में आकार, गतिविधि और कथित जोखिम के आधार पर चार परतें शामिल होंगी।

  • सबसे निचली परत ‘आधार परत’ जिसमें 1,000 करोड़ रुपये तक की संपत्ति के साथ गैर-जमा लेने वाली एनबीएफसी होंगे।
  • मध्य परत में जमा लेने वाली एनबीएफसी शामिल होंगी, चाहे संपत्ति का आकार कुछ भी हो; जमा न लेने वाली एनबीएफसी, जिनकी संपत्ति 1,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक हो; साथ ही हाउसिंग फाइनेंस फर्में भी शामिल होंगी।
  • ऐसे एनबीएफसी, जो मापदंडों के एक सेट और स्कोरिंग पद्धति के आधार पर बढ़ी हुई नियामक आवश्यकताओं की गारंटी देते हैं, ऊपरी परत में शामिल होंगे।
  • यदि नियामक को लगता है कि ऊपरी परत में विशिष्ट एनबीएफसी से संभावित जोखिम में पर्याप्त वृद्धि हुई है, तो उन्हें शीर्ष परत में डाला जा सकता है।

प्रश्नोत्तर-सार

कृषि कार्य में संलग्न महिलाएं

  • भारत के महापंजीयक द्वारा आयोजित जनगणना 2011 के अनुसार, महिलाओं की भागीदारी खेतिहर (मुख्य और सीमांत) के रूप में 3.60 करोड़ (30.33%) और महिला कृषि श्रमिक (मुख्य और सीमांत) के रूप में 6.15 करोड़ (42.67%) है। कृषि जनगणना (2015-16) के अनुसार, देश में कुल परिचालन जोतधारक महिलाओं की संख्या 20-44 मिलियन अनुमानित है। भारत सरकार ने कृषि में महिलाओं की समस्याओं और मुद्दों के समाधान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत भुवनेश्वर, ओडिशा में केंद्रीय कृषि महिला संस्थान (Central Institute for Women in Agriculture: CIWA) की स्थापना की है।

राष्ट्रीय डेयरी योजना

  • राष्ट्रीय डेयरी योजना चरण I (NDP-I) एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसे 2242 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मार्च 2012 से नवंबर 2019 के दौरान गुजरात सहित 18 प्रमुख डेयरी राज्यों में लागू किया गया था। NDP-I) के उद्देश्य इस प्रकार थेः (क) दुधारू पशुओं की उत्पादकता बढ़ाना और इस प्रकार दूध की तेजी से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करना। (ख) ग्रामीण दुग्ध उत्पादकों को संगठित दुग्ध प्रसंस्करण क्षेत्र तक और अधिक पहुंच प्रदान करना।

राष्ट्रीय बंदरगाह ग्रिड

  • पत्तन मंत्रालय ने प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों के बीच तालमेल के लिए वर्ष 1997 में समुद्री राज्य विकास परिषद (MSDC) का गठन किया। यह समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए एक शीर्ष सलाहकार निकाय है, जिसका उद्देश्य प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों के एकीकृत विकास को सुनिश्चित करना है। MSDC समुद्री राज्यों में छोटे बंदरगाहों, कैप्टिव बंदरगाहों और निजी बंदरगाहों के विकास की इस उद्देश्य से निगरानी करता है ताकि प्रमुख बंदरगाहों के साथ उनका एकीकृत विकास सुनिश्चित किया जा सके और सड़क, रेल, अंतर्देशीय जल परिवहन जैसी अन्य बुनियादी ढांचा संबंधी उनकी आवश्यकताओं का आकलन कर संबंधित मंत्रालय/विभाग को उपयुक्त सिफारिश की जा सके। प्रमुख बंदरगाहों और गैर-प्रमुख बंदरगाहों के बीच गतिविधियों में तालमेल बनाए रखने के लिए मंत्रालय में एक समिति का गठन किया गया है। समिति को गैर-प्रचालनरत गैर-प्रमुख बंदरगाहों द्वारा उनको प्रचालनरत बंदरगाह के रूप में विकसित करने के लिए अपेक्षित संभावनाओं एवं सहायताओं का विश्लेषण करने का दायित्व सौंपा गया है।

आर्थिक परिदृश्य