INSTC के माध्यम से रुसी जहाज का भारत आगमन

हाल ही में, रूस के ‘अस्त्रखान बंदरगाह’ (Astrakhan Port or Astrakhanskiy Port) से एक जहाज मुंबई के ‘न्हावा शेवा’ बंदरगाह पर पहुंच गया। इस जहाज द्वारा अनुसरण किया गया मार्ग अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (International North-South Transport Corridor– INSTC) का हिस्सा है।

  • यह अपने प्रकार का प्रथम परीक्षण ‘रेल शिपमेंट’ था जिसे भेजने के लिए ईरान के रास्ते भेजा गया। इस रूस-भारत इंटरमॉडल शिपमेंट को सेंट पीटर्सबर्ग को मुंबई भेजा गया। सर्व प्रथम ट्रेन सेंट पीटर्सबर्ग से कंटेनर लेकरकैस्पियन सागर के तट पर स्थित आस्ट्राखान बंदरगाह की ओर रवाना हुई।
  • आस्ट्राखान बंदरगाह से यह कैस्पियन सागर के तट पर स्थित ईरानी बंदरगाह अंजली (port of Anjali) के लिए रवाना हुई।
  • रेल द्वारा ईरान में प्रवेश करने और पार करने के बाद, फारस की खाड़ी में स्थित बंदर ‘अब्बास बंदरगाह’ पर पहुंचा और अंत में पश्चिम तट पर स्थित भारतीय बंदरगाह न्हावा शेवा पहुंचा।

अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC)

  • INSTC एक 7200 किमी लंबा मल्टीमॉडल परिवहन नेटवर्क (Multimodal transport network) है जिसमें समुद्र, सड़क और रेल मार्ग शामिल हैं। यह हिंद महासागर को कैस्पियन सागर तथा फारस की खाड़ी के रास्ते रूस एवं उत्तरी यूरोप से जोड़ता है।
  • उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे की नींव 12 सितंबर, 2000 को रूस, ईरान और भारत के बीच हस्ताक्षरित एक अंतरसरकारी समझौते (Intergovernmental Agreements) के अनुसार रखी गई थी।
  • यह भारत और रूस के मध्य सबसे छोटा संपर्क मागर् उपलब्ध करता है। अब तक तेरह राष्ट्रों ने इस समझौते की पुष्टि की है।
  • यह भारत और रूस के बीच ढुलाई लागत को लगभग 30% कम करता है और ट्रांजिट समय को 40 दिनों से आधे से अधिक तक कम कर देता है।
  • इस परिवहन कॉरिडोर में उत्तरी एवं पश्चिमी यूरोप (रूसी संघ) काकेशस-फारस की खाड़ी (पश्चिमी मार्ग); मध्य एशिया-फारस की खाड़ी (पूर्वी मार्ग) तथा कैस्पियन सागर-ईरान फारस की खाड़ी (मध्य मार्ग) नामक चार घटक शामिल हैं।

अंतरराष्ट्रीय संबंध