भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (IIT MADRAS) आईबीएम क्वांटम नेटवर्क में शामिल होने वाला पहला भारतीय संस्थान बन गया है।

स्थापनाः 1959 में संस्थान का औपचारिक रूप से उद्घाटन वैज्ञानिक और सांस्कृतिक मामलों के केंद्रीय मंत्री प्रो- हुमायूं कबीर द्वारा किया गया था। वर्ष 1961 में भारत की संसद द्वारा ‘राष्ट्रीय महत्व का संस्थान’ घोषित किया गया।

उद्देश्यः अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में अंतर- विश्वविद्यालय भागीदारी स्थापित करना, औद्योगिक परामर्श सेवा को मजबूत करना और टेलीविजन इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर कार्यक्रम स्थापित करना है।

  • डॉ. ए. लक्ष्मणस्वामी ने बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के पहले अध्यक्ष और संस्थान के पहले निदेशक के रूप में डॉ. बी. सेनगुप्ता ने पद ग्रहण किया था।
  • वर्ष 1973 में पहला आईबीएम सिस्टम 370 मॉडल 155 डिजिटल कंप्यूटर संस्थान को समर्पित किया गया था।

विश्व स्तरीय प्रतिभा को पहचानना

1973 से संस्थान द्वारा नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. जॉन बार्डीन (भौतिकी-1973), हंस डिट्रिच जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों को डॉक्टर ऑफ साइंस और डॉक्टर ऑफ टेक्नोलॉजी की मानद उपाधियों से सम्मानित किया है।

  • 26 जुलाई, 1997 को डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन को डॉक्टर ऑफ साइंस (मानद) की उपाधि प्रदान की गई थी।
  • आईआईटीएम ‘गिंडी नेशनल पार्क’ (जीएनपी) के निकट स्थित है।
  • 15 जुलाई, 2022 को शिक्षा मंत्रलय द्वारा राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) रैंकिंग 2022 जारी किया गया; जिसमें आईआईटी-मद्रास, समग्र शैक्षणिक संस्थानों और इंजीनियरिंग श्रेणियों में शीर्ष स्थान हासिल किया है।

राष्ट्रीय परिदृश्य