विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति से संबंधित विधेयक

तमिलनाडु विधान सभा ने 25 अप्रैल, 2022 को दो विधेयक पारित किए, जो राज्य सरकार को 13 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति में राज्यपाल की शक्ति को स्थानांतरित करने का प्रावधान करते हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य: मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि राज्यपाल द्वारा कुलपतियों की नियुक्तियों में राज्य सरकार की राय की अवहेलना के बाद इन विधेयकों को लाया गया है।

  • ज्ञात हो कि इससे पूर्व में महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने भी राज्यपाल द्वारा विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्ति के संबंध में समान प्रावधान किये हैं।

विधेयकों की विशेषताएं: कुलपति की हर नियुक्ति सरकार द्वारा एक 'खोज-सह-चयन समिति' द्वारा अनुशंसित तीन नामों के पैनल के माध्यम से की जाएगी।

  • वर्तमान में, राज्यपाल, राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति कि हैसियत से, शॉर्टलिस्ट किए गए नामों में से किसी एक को कुलपति नियुक्त करने की शक्ति रखते हैं।
  • विधेयकों में राज्य सरकार को जरूरत पड़ने पर कुलपतियों को हटाने पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार देने का भी प्रयास किया गया है।
  • उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या कम से कम मुख्य सचिव के रूप में सेवा करने वाले नौकरशाह द्वारा जांच के आधार पर कुलपतियों को हटाया जा सकेगा।

GK/GS तथ्यावलोकन

  • शिक्षा समवर्ती सूची के अंतर्गत आती है, लेकिन संघ सूची की प्रविष्टि 66 - "उच्च शिक्षा या अनुसंधान और वैज्ञानिक एवं तकनीकी संस्थानों में मानकों का समन्वय और निर्धारण" केंद्र को उच्च शिक्षा पर पर्याप्त अधिकार देती है।

इन्हें भी जानें

हिंदी भाषा

हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने सुझाव दिया है कि राज्यों को अंग्रेजी के बजाय हिंदी में एक-दूसरे के साथ संवाद करना चाहिए, जबकि हिंदी को स्थानीय भाषाओं का विकल्प नहीं होना चाहिए।

  • 2011 की भाषाई जनगणना में 121 मातृभाषाएं हैं, जिनमें संविधान की 8वीं अनुसूची में सूचीबद्ध 22 भाषाएं शामिल हैं। हिंदी सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है। 52.8 करोड़ व्यक्ति या 43.6% आबादी इसे अपनी मातृभाषा के रूप में प्रयोग करते हैं। अगली सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा बंगाली है, जो 97 लाख (8%) लोगों की मातृभाषा है, जो कि हिंदी भाषी आबादी के पांचवें हिस्से से भी कम है। हिंदी जानने वालों की संख्या के मामले में यह संख्या देश के आधे से अधिक को पार कर जाती है। लगभग 13.9 करोड़ (11% से अधिक) ने हिंदी को अपनी दूसरी भाषा के रूप में स्वीकार किया है। इससे लगभग 55% आबादी के लिए हिंदी मातृभाषा या दूसरी भाषा है। हिंदी दशकों से भारत की प्रमुख मातृभाषा रही है, प्रत्येक उत्तरोत्तर जनगणना में जनसंख्या में इसका हिस्सा बढ़ रहा है। 1971 में, 37% भारतीयों ने हिंदी को अपनी मातृभाषा के रूप में रिपोर्ट किया था, जो अगली चार जनगणनाओं में बढ़कर 38.7%, 39.2%, 41% और 43.6% हो गया है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार सहित भारत के कुछ सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में हिंदी प्रमुख भाषा है।

राष्ट्रीय परिदृश्य